Noida: प्राधिकरण का करोड़पति चौकीदार बर्खास्त, फर्जी अलाटमेंट लेटर जारी कर 47 को बनाया था शिकार
Noida News: नोएडा प्राधिकरण ने 47 प्लाट व फ्लैट आवंटन प्रकरण में फर्जी अलाटमेंट लेटर जारी करने के आरोप में चौकीदार के पद पर तैनात रहे नितिन राठी बर्खास्त कर दिया गया है।
Noida News: चौकीदार के पद पर तैनात रहे नितिन राठी पर नोएडा प्राधिकरण ने बर्खास्त कर दिया है। क्योंकि नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) ने 47 प्लाट व फ्लैट आवंटन प्रकरण में फर्जी अलाटमेंट लेटर जारी करने और उसके एवज में लोगों से अवैध तरीके से पैसा वसूल करने की पुष्टि होने पर बृहद दंड का नोटिस जारी कर दिया गया था।
बता दें कि प्राधिकरण में ड्यूटी के दौरान कर्मचारी की मौत होने पर उसके किसी एक परिजन को नौकरी देने की व्यवस्था है। चूंकि प्राधिकरण में नितिन के पिता उदयवीर चौकीदार थे। ऐसे में उनकी मौत के बाद 2010 में अनुकंपा के आधार पर नितिन राठी को नौकरी मिली थी। उसके बाद सेक्टर-21ए स्थित नोएडा स्टेडियम में खेल प्रकोष्ठ में तैनाती थी।
46 लोगों को जारी किए थे फर्जी आवंटन पत्र
शुभांकर बासू ने भूखंड आवंटन (plot allotment) के संबंध में नितिन राठी पर आरोप लगाया था कि उनसे ढाई लाख रुपए लेकर उनके पक्ष में प्राधिकरण के लैटर पैड पर फर्जी तरीके से हस्ताक्षर कराकर आवासीय भूखंड संख्सा ए-175 सेक्टर-72 को उनके पक्ष में आवंटित किया गया और 25 लाख 60 हजार 750 रुपए बैंक में जमा कराए गए। इस प्रकरण के अलावा 46 अन्य लोगों ने भी नितिन राठी सेक्टर-12, 73 और 122 में फर्जी हस्ताक्षर के जरिए आवंटन किया गया।
जनवरी 2015 में किया गया निलंबित
इन प्रकरण की जांच के बाद जनवरी 2015 में प्राधिकरण ने नितिन राठी को निलंबित करते हुए कोतवाली सेक्टर-20 में मुकदमा दर्ज कराया। विवेचना अधिकारी ने एक रिपोर्ट न्यायालय में दायर की गई। जिसमे 6 नवंबर 2017 को नितिन राठी चार्ज फ्रेम किया गया। इसके बाद आरोप पत्र जारी कर नितिन राठी से जवाब मांगा गया। एवं शिकायत कार्ताओं के प्रकरण को भी सुना गया।
मॉल में खोली थी कंसलटेंट एजेंसी
शिकायतकर्ताओं ने लिखित बयान में बताया कि राठी ने खोड़ा के ग्रीन इंडिया प्लेस मॉल (Green India Place Mall) में जिविका कंसलटेंट (Jeevika Consultant) नाम से कार्यालय खोला था। जोकि नोएडा सेवा नियमावली में इंगित प्रावधानों के विरूद् था। इसी कंसलटेंट कंपनी की आड़ में राठी ने 47 लोगों से ठगी की। बता दें कि 47 में से 46 प्रकरण में आवासीय भवन के मद में जमा धनराशि की पुष्टि वित्त विभाग से हो चुकी है। एक प्रकरण में चालान नंबर अंकित न होने के कारण जमा का सत्यापन नहीं हो पाया।
इस प्रकार ठगी का खेला गया खेल
वर्ष 2015 से पहले कैंसिल प्लाट व लेफ्ट आउट फ्लैट की प्राधिकरण ने आवासीय स्कीमें निकाली। तमाम आवेदन पत्र भरने के दौरान चौकीदार लोगों से संपर्क कर रहा था। कह रहा था कि रुपये खर्च करो तो वह आवंटन करा सकता है। ड्रॉ होने पर चौकीदार कहता था कुछ प्लाट और फ्लैट बचाकर रख लिए गए हैं। साथ ही कुछ ऐसे भी प्लाट या फ्लैट होते है, जिनका किसी न किसी कारण से आवंटन निरस्त हो जाता है। चौकीदार उन्हीं के फर्जी कागजात थमाकर लोगों से रुपये ले लेता था और प्राधिकरण में भी किस्त के रूप में कुछ रकम जमा करा देता था।
मोबाइल नंबर बदल देता था
राठी के जाल में फंसे लोगों की बैचेनी उस समय बढ़ गई, जब उसका मोबाइल लंबे समय तक स्विच आफ हो गया। पता चला है कि फर्जीवाड़े में फंसाने के लिए नितिन लोगों को अलग-अलग नंबर देता था और पैसा वसूलने के बाद उन्हें बंद कर देता था। शिकायतकर्ताओं ने प्राधिकरण को नितिन के कई मोबाइल नंबर मुहैया कराए थे।