अब जेलों में मोबाइल इस्तेमाल करने वालों की खैर नहीं, होगी ये कड़ी कार्रवाई

अब तक प्रदेश के जेलों में मोबाइल से बात करना तथा अपराधियों के गुर्गों का जेल में आना काफी आसान था पर अब ऐसा नहीं होगा।

Update:2020-08-19 22:23 IST
अब जेलों में मोबाइल का इस्तेमाल किया तो बढ़ेगी सजा

श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: अब तक प्रदेश के जेलों में मोबाइल से बात करना तथा अपराधियों के गुर्गों का जेल में आना काफी आसान था पर अब ऐसा नहीं होगा। प्रदेश की योगी सरकार ने जेल में चल रही ढिलाई को ध्यान में रखकर बड़ा फैसला लिया है। जिसके तहत अब यदि कोई बंदी अथवा उनका जानने वाला ऐसा करता हुआ पाया गया तो उसके खिलाफ सजा के साथ जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है।

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कठोर कार्यवाही

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जीरो टालरेंस की नीति पर चलते हुए फैसला लिया कि यदि कारागार में सेल फोन एवं इण्टरनेट संचालित करने वाले बंदियों तथा गलत पहचान विवरण के साथ कारागारों में प्रवेश किया तो ऐसे लोगों के विरूद्ध कठोर दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी।

20 हजार से 50 हजार रूपये तक अर्थदण्ड

अपर मुख्य सचिव, गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया है कि इस संबंध में वर्तमान में प्राविधानित दण्ड को और अधिक कठोर बनाये जाने के लिए दण्ड में वृद्धि कर अपराध को संज्ञेय बनाये जाने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुये राज्य सरकार ने यह फैसला लिया है। राज्य सरकार की तरफ से लिए गए फैसले के अनुसार यदि कोई बंदी किसी कारागार परिसर के अन्दर अथवा उसके बाहर कोई अपराध करने का प्रयास करने, षड़यंत्र करने आदि के लिए किसी बेतार संचारयुक्ति का प्रयोग करते हुये पाया जाता है त तो उसे 3 से 5 साल तक की जेल की सजा हो सकती है, अथवा 20 हजार से 50 हजार रूपये तक अर्थदण्ड लगाया जा सकता है, या दोनो से दण्डित किया जा सकता है।

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उल्लेखनीय है कि कारागार में बंदी को भेजे जाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि वह आगे कोई अपराध न कर सके तथा मुकदमे के साक्ष्य अथवा साक्षियों को प्रभावित न कर सके। परन्तु कारागारो में सेल फोन एवं इण्टरनेट का अनाधिकृत उपयोग किये जाने से इन उद्देश्यो की पूर्ति में बाधा उत्पन्न होती है। इसके लिए कभी-कभी कारागार में गलत पहचान विवरण के साथ बाहरी व्यक्ति प्रवेश कर जाते हैं। ऐसे लोग बंदियों को निषिद्ध वस्तुओं की आपूर्ति करते हैं। साथ ही बंदियों से मिलकर आपराधिक षडयंत्र करने का प्रयास करते हैं। इसी पर कड़ाई से रोकथाम के लिए यह कार्यवाही की जा रही है। इसके लिए कारागार अधिनियम में को और अधिक कठोर बनाये जाने का प्रस्ताव मंत्रिपरिषद द्वारा मंजूर किया जा चुका है।

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