लखनऊ : प्रदेश में चर्चित घोटालों में एनआरएचएम घोटाले ने दसवीं जान ले ली है। सीएम के गृह जनपद गोरखपुर में आरोपी रिटायर्ड चिकित्सक डॉ पवन कुमार श्रीवास्तव ने खुद को गोली मार कर खुदकुशी कर ली। पवन कुमार को सीबीआई ने 15 जनवरी को पूछताछ के लिए तलब किया था। इससे पहले लखनऊ समेत प्रदेश भर में मेडिकल सेवाओं से जुड़े नौ लोगों की जान जा चुकी है। इस में लखनऊ हुए दो सीएमओ के मर्डर और जेल में डिप्टी सीएम की मौत भी शामिल है।
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माया राज में हुए 37 हजार करोड़ रूपए के एनआरएचएम घोटाले ने एक और जान ले ली। पूर्व सीएमओ डॉ पवन कुमार श्रीवास्तव 2010 में रिटायर हो गए थे। 68 वर्षीय डॉ पवन कुमार श्रीवास्तव को सीबीआई ने 15 जनवरी को पूछताछ के लिए फिर तलब किया था। डा पवन ने आज गोरखनाथ इलाके में स्थित अपने घर पर खुद को गोली मार कर खुदकुशी कर ली।
कब कहां किस की हुई ह्त्या, कौन हुआ हादसे का शिकार
डा बच्चीलाल रावत, डीजी मेडिकल एंड हेल्थ की घर लौटते समय गोली मार कर ह्त्या कर दी गई। रावत ने ड्रग माफियाओं की मदद करने से इंकार कर दिया था।
आरएस शर्मा, एडिशनल डायरेक्टर की लखनऊ में उनके चैंबर के बाहर गोली मार कर ह्त्या कर दी गई दवा माफिया को ठेका देने का किया था विरोध।
डा ओमप्रकाश चिंपा, सीएमओ इटावा की आधी रात घर के बाहर गोली मार कर ह्त्या कर दी गई। कहा जाता है कि ओमप्रकाश ने ड्रग माफिया को नाराज कर दिया था।
डा विनोद कुमार आर्य, एनआरएचएम सीएमओ की मार्निग वाक के दौरान लखनऊ में गोली मार कर ह्त्या कर दी गई थी। आर्या ने ड्रग माफिया को ठेका देने से इंकार कर दिया
डा बीपी सिंह, एनआरएचएम सीएमओ को अपनी ईमानदारी की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। मार्निग वाक के दौरान उनकी गोली मार कर ह्त्या कर दी गई।
डा वाई एस सचान, डिप्टी सीएमओ, घोटाले और ह्त्या के आरोप में जेल में बंद थे। जेल के अंदर ही उन की लाश लटकी पाई गई। पोस्टमार्टम में बॉडी पर चोट के कई गहरे निशान थे। सचान पर डा बीपी सिंह और डा विनोद कुमार आर्या की ह्त्या में साज़िश का आरोप था।
सुनील वर्मा, प्रोजेक्ट मैनेजर की गोली मार कर ह्त्या कर दी गई। सुनील पर बड़े नामो का खुलासा करने का दबाव था। सीबीआई सुनील से पूछताछ करने वाली ही थी, कि उस की ह्त्या कर दी गई।
डा शैलेष यादव, डिप्टी सीएमओ वाराणसी की कार ट्राली में घुस गई थी। मौके पर ही उन मौत हो गई। शैलेश सीबीआई के सामने बड़ा खुलासा करने वाले थे।
महेंद्र शर्मा, क्लर्क हेल्थ डिपार्टमेंट कई दिनों से घर से लापता थे। बाद में लाश बरामद की गई महेंद्र के पास घोटाले से जुड़े कई कागज़ात थे। जिसे वह सीबीआई को सौंप सकते थे।