मुहर्रम पर कोरोना का ग्रहण: जुलूस और मजलिस रद्द, ऑनलाइन होगा आयोजन
मुहर्रम का महीना शुरू होने में कुछ ही दिन शेष हैं। मोहर्रम शुरू होते ही हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत की याद मनाने का सिलसिला शुरू होता है। कोरोना वायरस के चलते इस बार मातमी जुलूस निकालने तथा इमाम चौकों पर ताजिया रखने की इजाजत नहीं है।
लखनऊ : मुहर्रम का महीना शुरू होने में कुछ ही दिन शेष हैं। मुहर्रम शुरू होते ही हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत की याद मनाने का सिलसिला शुरू होता है। कोरोना वायरस के चलते इस बार मातमी जुलूस निकालने तथा इमाम चौकों पर ताजिया रखने की इजाजत नहीं है। ऐसे में गम मनाने वालों ने घरों पर ही रहकर मजलिसें व मातम करने का फैसला किया है। कई जगहों पर ऑनलाइन जलसे, मातम व मजलिसे होंगी। घरों पर ही रहकर सोशल मीडिया के माध्यम से इनमें शिरकत की जाएगी।
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इधर लखनऊ में मुहर्रम के जुलूस में होने वाले जलसे पहली बार ऑनलाइन आयोजित किए जाएंगे। कोविड-19 के खतरे को देखते हुए इस्लामिक विद्वान खालिद रशीदी फिरंगी महली ने पत्र जारी कर आम जनता और मौलानाओं से अपील की है कि वे इस बार मुहर्रम के ऑनलाइन जलसे आयोजित करें।
ऑनलाइन जलसे
20 अगस्त को मुहर्रम का चांद देखा जाएगा, जिससे 21 अगस्त को मुहर्रम शुरू होगा और यौम-ए- आशूरा 30 अगस्त को होगा। मुहर्रम के इस महीने में सुन्नत वल जमात की ओर से बड़े पैमाने पर जलसे आयोजित किए जाते हैं, लेकिन इस साल कोविड-19 के प्रोटोकॉल और सरकार की गाइडलाइन को देखते हुए मुस्लिम संगठनों ने ऑनलाइन जलसे आयोजित करने का फैसला किया है।
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इफ्तार और नमाज घरों में
मौलाना खालिद रशीद फिरंगी ने लोगों से इस बार इफ्तार और नमाज घरों में ही अदा करने की अपील की। कहा कि कोरोना बीमारी काफी तेजी से फैल रही है। इसको ध्यान में रखकर यह फैसला लिया है कि दारुल उलूम पहली मुहर्रम से 10वीं मुहर्रम तक होने वाले 10 दिवसीय जलसे को ऑनलाइन आयोजित करे।
वे मुहर्रम के मौके पर सरकारी गाइडलाइन का पालन करें और सामाजिक दूरी का ख्याल रखें। बता दें पिछले 4 महीनों से कोरोना ने कई धार्मिक आयोजनों पर रोक लगा दी है।