Janmashtami 2022: पचरुखिया कांड के बाद से ही कुशीनगर में पुलिसकर्मी नहीं मनाते हैं श्री कृष्ण जन्माष्टमी

Janmashtami 2022 in Kushinagar: दूसरे खेप में डेंगी पर सवार होकर चले पुलिस टीम की नाव पर बीच नदी में पहुंचने पर बदमाशों ने बम चलाकर ताबड़तोड़ फायर झोंक दिया।

Update:2022-08-17 18:17 IST

Pachrukhiya incident in Kushingar (Image: Newstrack)

Janmashtami 2022 in Kushinagar: भगवान श्रीकृष्ण का जन्म जेल में होने की वजह से इस पर्व का संबंध थानों से विशेष रहा है। कृष्ण जन्माष्टमी जहां पूरे प्रदेश के थानों मे धूमधाम से मनाई जाती है वही कुशीनगर जनपद में पुलिसकर्मी जन्माष्टमी नहीं मनाते हैं। पचरुखिया कांड में ड्यूटी के दौरान शहीद हुए साथियों का गम मनाते हैं।

29 अगस्त 1994 को डकैतों की सूचना मिलने पर छोटी नाव से नदी पार कर रहे पुलिसकर्मियों पर डकैतों ने बम चलाकर फायरिंग झोंक दिया था जिसमें दो एस ओ सहित छह पुलिसकर्मी शहीद हुए थे। यह घटना जन्माष्टमी को हुई थी तब से पुलिसकर्मी जन्माष्टमी नहीं मनाते हैं ।

क्या है पचरुखिया कांड

पुलिस लाइन में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर तैयारियों पर जोरों पर चल रही थी कि 29 अगस्त 1994 को पडरौना कोतवाली पुलिस को सूचना मिली कि जंगल पार्टी के सरगना बेचू मास्टर व रामप्यारे कुशवाहा उर्फ सिपाही आदि पचरूखिया गांव के प्रधान राधाकृष्ण गुप्त के घर डकैती डालकर उनकी हत्या का योजना बना रहे हैं।

उस समय के कोतवाल योगेंद्र प्रताप सिंह ने इसकी सूचना तत्कालीन एसपी बुद्धचंद को दी। एसपी ने कोतवाल को थाने में मौजूद फोर्स के अलावा मिश्रौली चौकी से लेकर मौके पर पहुंचने का निर्देश दिया। एसपी ने एसओ तरयासुजान अनिल पांडेय को इस अभियान में शामिल होने का आदेश दिया।

बदमाशों की धर पकड़ के लिए सीओ पडरौना आरपी सिंह के नेतृत्व में गठित टीम में सीओ हाटा गंगानाथ त्रिपाठी, दरोगा योगेंद्र सिंह, आरक्षी मनिराम चौधरी, रामअचल चौधरी, सुरेंद्र कुशवाहा, विनोद सिंह व ब्रह्मदेव पांडेय को शामिल किया गया, जबकि दूसरी टीम में एसओ तरयासुजान अनिल पांडेय के नेतृत्व में एसओ कुबेरस्थान राजेंद्र यादव, दरोगा अंगद राय, आरक्षी लालजी यादव, खेदन सिंह, विश्वनाथ यादव, परशुराम गुप्त, श्यामा शंकर राय, अनिल सिंह व नागेंद्र पांडेय की टीम सात साढे़ नौ बजे बांसी नदी किनारे पहुंचे। वहां पता चला कि जंगल दस्यु बदमाश पचरूखिया गांव में हैं।तो पुलिसकर्मियों ने नाविक भुखल को बुलाकर डेंगी नाव से उस पार चलने को कहा।

नाविक भुखल ने दो बार में डेंगी से पुलिस कर्मियों को बांसी नदी के उस पार पहुंचाया, लेकिन बदमाशों का कोई सुराग नहीं मिलने पर पहली खेप में सीओ समेत अन्य पुलिस कर्मी नदी इस पार वापस आ गए। दूसरे खेप में डेंगी पर सवार होकर चले पुलिस टीम की नाव पर बीच नदी में पहुंचने पर बदमाशों ने बम चलाकर ताबड़तोड़ फायर झोंक दिया। जाबांज जिसमे जांबाज एसओ अनिल पांडे वह कुबेरस्थान के एसएसओ राजेंद्र यादव सहित छह पुलिसकर्मी शहीद हो गए। नाविक भूखल भी बदमाशों की गोली से मारे गए और नाव पलट गई चार अन्य पुलिसकर्मी भी घायल हो गए।

नदी में शैवाल अधिक होने के कारण नाव पलटने के बाद जिन पुलिसकर्मियों का बचने का चांस था वह भी उसी सवाल में फस कर दम तोड़ दिए थे । पचरुखिया कांड में शहीद पुलिसकर्मी की याद में पडरौना कोतवाली में शहीद गेट बना है जिस पर शहीद हुए पुलिसकर्मियों के नाम भी अंकित हैं ।

जांबाज एसओ अनिल पांडेय से डरते थे डकैत

कुशीनगर जनपद का दियारा क्षेत्र उस समय डकैतों के चंगुल में था। फसलें कोई बोता था कटवाते थे जंगल दस्यु के सरगना । आए दिन कहीं न कहीं लूटपाट अपहरण की घटनाएं होती रहती थी । पूरा क्षेत्र आतंकित था जंगल पार्टी के नाम से डकैत लोग प्रसिद्ध थे । इनमें भी गैंगवार चलती थी। ऐसे में जब अनिल पांडेय जनपद में आए तो एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के रूप में फेमस हो हुए थे । लेकिन पचरुखिया कांड ने इस जांबाज दरोगा को काल के गाल में समवा दिया । जन्माष्टमी पर अनिल पांडे अपने घर छुट्टी में जाने वाले थे लेकिन डकैती की सूचना मिलने पर वह जांबाज दरोगा छुट्टी कैसिंल बदमाशों से लोहा लेने के लिए निकल पड़ा था।

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