विकास दुबे के आतंक से मुक्त बिकरु गांव, 25 साल बाद चुनाव लड़ेगा प्रत्याशी
पुलिस एनकाउंटर में मारा गया अपराधी विकास दुबे की मर्जी के बिना पंचायत चुनाव लड़ने के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था। आज 10 दावेदारों ने प्रधान पद के लिए नामांकन कर वोट मांगना शुरू कर दिया है।
कानपुर: कानपुर के बिकरू गांव में पुलिस एनकाउंटर में मारा गया अपराधी विकास दुबे की मर्जी के बिना गांव में पंचायत चुनाव लड़ने के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था और जिसको अपराधी विकास दुबे चाहता था वहीं पंचायत चुनाव में पर्चा दाखिल करता था और फिर चुनाव लगता था अपराधी विकास दुबे इतनी तूती बोलती थी कि लगभग 25 वर्षों तक गांव में होने वाले पंचायत चुनाव में सिर्फ और सिर्फ उसी के परिवार का वर्चस्व रहता था और ज्यादातर उसके परिवार के लोग निर्विरोध चुनाव जीत जाते थे।अपराधी विकास दुबे खुद तो निर्विरोध चुनाव जीता ही जीता और साथ में दो बार भाई की पत्नी व नौकर की पत्नी तथा करीबी को निर्विरोध प्रधान बनवाया।लेकिन इस बार के चुनाव में बिकरू गांव की कुछ अलग ही तस्वीर दिखाई पड़ रही है जहां कभी अनादि विकास दुबे के खिलाफ खड़े होने की कोई हिम्मत नहीं कर पाता था आज उन्हीं पंचायत सीटों से 10 दावेदारों ने प्रधान पद के लिए नामांकन कर वोट मांगना शुरू कर दिया है।इस बार प्रधान पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।
25 वर्ष तक बिकरू गांव की घिमऊ सीट पर कायम था दवदवा
25 वर्षों तक अपने आतंक के बल पर जिला पंचायत घिमऊ सीट अपना दवदवा कायम रखने वाले कुख्यात गैंगस्टर विकास दुवे के आतंक के साये से इस वार घिमऊ जिला पंचायत मुक्त हो गई।वर्ष 2000 में अपराध की दुनिया में पैर पसार चुके विकास दुवे राजनीतिक चोला ओढ़ने के लिए घिमऊ से जिला पंचायत का चुनाव लड़ा और जिला पंचायत सदस्य के रूप में विजयी हुआ था। 2005 में घिमऊ जिला पंचायत की सीट आरक्षित हो जाने पर गैंगस्टर विकास दुवे ने अपने अनुज वधू अंजली दुवे को बिकरू ग्राम पंचायत से निर्विरोध प्रधान बनाया। वर्ष 2010 में जिला पंचायत घिमऊ से विकास दुवे ने अपने चचेरे भाई अनुराग दुवे की पत्नी रीता दुवे को घिमऊ जिला पंचायत सदस्य बनाया।इसी बीच शिवली के प्राचार्य सिद्धेश्वर पांडेय हत्याकांड में विकास दुवे को अदालत ने सजा सुना दी। सजायाफ्ता होने के कारण 2015 में विकास दुवे ने घिमऊ जिला पंचायत से अपनी पत्नी ऋचा दुवे को जिला पंचायत का सदस्य बनाया। इसी तरह विकरु ग्राम पंचायत में सन 1995 में विकास दुवे पहली वार ग्राम प्रधान बना। इसके बाद सन् 2000 में उसने अपने नौकर की पत्नी गायत्री देवी को विकरु ग्राम पंचायत से ग्राम प्रधान काया। सन् 2005 में उसने अपने अनुज वधू अंजली दुवे को गांव का ग्राम प्रधान बनाया। 2010 में गैंगस्टर विकास दुवे ने अपने नौकर रामनरेश कुशवाहा को ग्राम प्रधान बनाया। 2015 में विकास दुवै की अनुज वधू अंजली दुवे ग्राम प्रधान बनी।जबकि विकरू गांव से सटे हुए भीटी ग्राम पंचायत में सन् 2005 में बिकास दुवे ने अपने छोटे भाई अविनाश दुवे को ग्राम प्रधान बनाया था, जिसकी मृत्यु ह्ये जाने के वाद विकास दुवे ने अपने सिपह सलकार जिलेदार यादव के वेटे को ग्राम पंचायत का ग्राम प्रधान बनाया। इसी तरह पड़ोसी गांव बसेन ग्राम पंचायत से गैंगस्टर विकास दुवे ने अपने भांजे आशुतोष को ग्राम प्रधान बनाया।अगली बार सीट आरक्षित हो जाने पर आशुतोष तिवारी के नौकर को वसेन गांव से ग्राम प्रधान बनाया।
इन सीटों पर था विकास का दबदबा
अपराधी विकास दुबे का बिकरू, भीटी, सुजजा निवादा, डिव्वा निवादा, काशीराम निवादा, वसेन सहित आसपास के एक दर्जन ग्राम पंचायतों में दवदवा था।इन ग्राम पंचायतों में विकास दुवे की मर्जी के खिलाफ कोई भी जिला पंचायत प्रत्याशी गांव में प्रवेश नहीं करता था और अगर गांव में पहुंच भी गया तो गैंगस्टर विकास दुवे का इतना आतंक था कि किसी भी प्रत्याशी से ग्रामीण बात नहीं करते थे और प्रत्याशी को उल्टे पैर वापस होना पड़ता था लेकिन आज चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी जहां स्वतंत्र होकर वोट मांगते घूम रहे हैं,वहीं मतदाता भी अपनी इच्छा अनुसार मतदान करने को स्वतंत्र दिखाई पड़ रहा है और खुलकर चौराहों पर बैठ लोग राजनीतिक बातें करते हुए दिख रहे हैं।
क्या बोले गांव के लोग
गांव में अभी भी विकास की दहशत देखी जा सकती है।सीधे तौर पर यहां पर कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है।लेकिन इन सब के बीच गांव में रहने वाले राम कुमार ने फोटो ना छापना की बात कहते होए बताया कि 25 साल के बाद हम लोगो को वोट करने का मौका मिल रहा है।अभी तक विकास दुबे के कहने पर वोट देते थे।सबसे बड़ी बात थी कोई भी उनके परिवार की खिलाफ न तो कोई चुनाव लड़ता था और नही उनके खिलाफ कोई बोलता था।