Bulandshahr News: न्यूजट्रैक की खबर का असर, बुलंदशहर जिला अस्पताल रिश्वत कांड में अधिकारी सहित चार पर FIR
Bulandshahr News : यूपी के बुलंदशहर के बाबू बनारसी दास राजकीय जिला अस्पताल का है, जहां जिला अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग के ही कुछ कर्मचारियों द्वारा रिश्वत वसूल की गयी।
Bulandshahr News : बुलंदशहर के जिला अस्पताल में चल रहे भ्रष्टाचार के खेल की 2 दिन पहले न्यूस्ट्रेक ने खबर प्रसारित की तो उसे बुलंदशहर के उच्चाधिकारियों ने संज्ञान लिया और आप उच्चाधिकारियों के आदेश पर पीड़ित ने पेंशन व ईपीएफ के नाम पर रिश्वत लेने के आरोप में जिला मलेरिया अधिकारी सहित 4 कर्मचारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई है, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा है।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में इन पर हुई FIR सीएमओ ने बताया कि जिला अस्पताल में तैनात जिला मलेरिया अधिकारी डॉ.बीके श्रीवास्तव और CMO कार्यालय में तैनात अकाउंटेंट निर्देशपाल, लिपिक सुरेंद्र शर्मा व चपरासी भूपेंद्र सिंह के विरुद्ध कोतवाली नगर में हुई भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 व 8 के तहत पीड़ित सेवानिवृत्त कर्मचारी सत्येंद्र सिंह ने रिपोर्ट दर्ज कराई ।
जानिये क्या था रिश्वतखोरी का पूरा मामला
मामला यूपी के बुलंदशहर के बाबू बनारसी दास राजकीय जिला अस्पताल का है, जहां जिला अस्पताल में मलेरिया विभाग से सेवानिवृत्त हुए चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी सत्येंद्र सिंह की पेंशन और ईपीएफ आदि बनाने के नाम पर मजबूर कर स्वास्थ्य विभाग के ही कुछ कर्मचारियों द्वारा रिश्वत वसूल की गयी। रिश्वत मांगे जाने से परेशान सेवानिवृत्त कर्मचारी सतेंद्र सिंह ने ही रिश्वतखोर कर्मचारियों को रिश्वत लेते हुए कैमरे में कैद किया और मामले की शिकायत स्वास्थ्य निदेशक से की, तो स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में बुलंदशहर के सीएमओ डॉ. विनय कुमार ने अपने की कार्यालय में तैनात लिपिक सुरेंद्र शर्मा व चपरासी भूपेंद्र सिंह को निलंबित कर दिया था, जबकि अपने ही कार्यालय में सेवारत अकाउंटेंट निर्देशपाल के खिलाफ विभागीय कार्यवाही करने हेतु शासन को पत्र भेजने का दावा किया था ।
रिश्वत के लिये कटवाये जा रहे थे चक्कर
बुलंदशहर के अनूपशहर कोतवाली क्षेत्र में रहने वाले सत्येंद्र बुलंदशहर के ही स्वास्थ्य विभाग में सेवारत थे । सेवानिवृत्ति के बाद अपनी पेंशन व ईपीएफ बनवाने के लिए अपने ही दफ्तर के चक्कर काटने को सिर्फ इसी लिए मजबूर हो गए क्योंकि उन्होंने कुछ बाबुओं को खुश नहीं किया था, लिहाज उनकी फ़ाइल आगे नही बढ़ पा रही थी। सत्येंद्र ने बताया कि अपना काम रुकते देख मजबूर होकर रिश्वत का सहारा लेना पड़ा। हालांकि रिश्वतखोर कर्मचारियों को कैमरे में कैद भी किया ।
रिश्वत लेते किये कैमरे में कैद, किया भ्रष्टाचार का खुलासा
सत्येंद्र की मानें तो पेंशन व ईपीएफ के नाम पर सीएमओ कार्यालय में तैनात अकाउंटेंट निर्देश कुमार ने 20000 की रिश्वत मांगी और मोलभाव कर 19000 में मामला तय हो गया था, 2 - 2 हज़ार के 7 नोट कुल 14000 लेते हुए निर्देश कैमरे में कैद हुआ है । जबकि मलेरिया विभाग में तैनात कर्मचारी सुरेंद्र 4000 रुपये व तीसरी वीडियो में भूपेंद्र भी रिश्वत की रकम लेते हुए कैमरे में कैद हुए हैं।