Meerut News: फिल्मी है गौरव चौधरी का सफर, जर्मनी से आए, चुनाव लड़ा और बन गए जिला पंचायत अध्यक्ष

जिला पंचायत अध्यक्ष पद की शपथ लेने वाले 33 साल के गौरव चौधरी की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है।

Report :  Sushil Kumar
Published By :  Raghvendra Prasad Mishra
Update: 2021-07-14 08:36 GMT

जीत का प्रमाण पत्र लेते जिला पंचायत अध्यक्ष गौरव चौधरी (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

Meerut News: 12 जुलाई को उत्तर प्रदेश के मेरठ जनपद में 23वें जिला पंचायत अध्यक्ष पद की शपथ लेने वाले 33 साल के गौरव चौधरी की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है। उन्होंने जर्मनी से उच्च शिक्षा ली, वहीं पर कारोबार जमाया, लेकिन वतन की मिट्टी उन्हें अपनी और खींच लाई। यहां आकर उन्होंने पहली बार चुनाव लड़ा और निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष बन गए। इस तरह देखा जाए तो गौरव चौधरी की कहानी बॉलीवुड की फिल्म 'स्वदेश' जैसी है। इस फिल्म में नायक विदेश में नौकरी करता था, लेकिन एक दिन वतन की मिट्टी उसे खींच लाती है।

कुछ ऐसी ही कहानी निर्विरोध चुने गए जिला पंचायत अध्यक्ष गौरव चौधरी कुसैड़ी की है। 15 वर्षों से जर्मनी में रहकर अपना बिजनेस कर रहे गौरव चौधरी मेरठ जिले के मूल निवासी हैं। इंटरमीडिएट तक की शिक्षा गौरव ने मेरठ से ही पूरी की। बाद में वह उच्च शिक्षा के लिए जर्मनी चले गए। वहीं पर उन्होंने होटल के साथ रियल एस्टेट और आयात-निर्यात का कारोबार शुरू कर दिया। करीब 15 वर्षों से जर्मनी में रहकर बिजनेस कर रहे थे।

अचानक उन्होंने फैसला किया कि जि़ला पंचायत सदस्य पद का चुनाव जीतकर जनता की सेवा करेंगे। पंचायत चुनाव से ठीक पहले वह वतन लौटे। गांव आए तो लोगों की मदद शुरू कर दी। उसके बाद उन्होंने जिला पंचायत चुनाव लड़ने का फैसला किया। जिले के वार्ड-18 कुसैडी से बीजेपी के प्रत्याशी बन चुनाव लड़ा और रिकॉर्ड वोटों से जीत भी हासिल की। भाजपा से पांच जीतने वालों में से वह एक हैं।


गौरव का बैकग्राउंड हाई प्रोफाइल होने की वजह से उनके चुनाव लड़ने की खबर इलाके में चर्चा में बनी रहीं। सोशल मीडिया से लेकर लोगों की दीवारों पर उनके फोटो चिपके रहे। पहली बार वह राजनीति में आए और अपने क्षेत्र के लोगों का दिल जीत लिया। गौरव का कहना है कि जो सुख अपनी माटी में है वो विदेश में नहीं। उनका जर्मनी में अच्छा बिजनेस है। बावजूद इसके वह जिला पंचायत के चुनाव में उतरे। बिजनेसमैन से जिला पंचायत अध्यक्ष बने गौरव चौधरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आदर्श मानते हैं। गौरव का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की छवि को समूचे विश्व में बदलकर रख दिया है। विदेशों में भारतीयों का सिर गर्व से ऊंचा उठ गया है।

गौरव का फैमिली बैकग्राउंड हाई प्रोफाइल होने की वजह से उनके चुनाव लड़ने की खबर इलाके में चर्चा का विषय बनी। अभी गौरव चौधरी की पत्नी मोनिका अपनी बेटी के साथ जर्मनी में रहते हैं। गौरव का कहना है कि वह जर्मनी में रहते भले ही थे, लेकिन गांव की मिट्टी को कभी नहीं भूले। साल में दो बार गांव जरूर आते रहे। गांव में कई साल से अपने दादा चौधरी भीम सिंह मेमोरियल ट्रस्ट नाम से संस्था चला रहे हैं। ट्रस्ट के माध्यम से जरूरतमंद बच्चों की मदद करते रहते हैं। जर्मनी में रहते हुए अपने गांव समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं। इसी जज्बे ने उन्हें जिला पंचायत का पहले सदस्य बनाया। अब अध्यक्ष बनाकर जिले की सेवा का मौका दिया है। उनका कहना है कि जीत के साथ अब जिम्मेदारी बढ़ गई है। वह चाहते हैं कि युवाओं के लिए रोजगार और गरीब तबके की सभी जरूरतें पूरी की जाएं। गांव से लेकर जिले का विकास हो।


ऐसे बने जिला पंचायत अध्यक्ष

मेरठ जिला पंचायत सदस्य के चुनाव बीजेपी ने गौरव चौधरी को कैंडिडेट बनाकर अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज होने की रणनीति बनाई थी। उधर विपक्ष की तरफ से जिला पंचायत पर काबिज होने के लिए बीजेपी के खिलाफ सपा-बसपा-रालोद एकजुट हो गई थी। सपा और आरएलडी ने अपने निर्वाचित सदस्यों में से किसी को प्रत्याशी बनाने के बजाय बसपा समर्थित सदस्य सलोनी गुर्जर पर दांव खेला था। मेरठ के जिला पंचायत चुनाव में कुल 33 सीटों में से बसपा और आरएलडी के समर्थित प्रत्याशियों ने आठ-आठ सीट पर कब्जा किया था। बीजेपी और सपा को छह-छह सीटें मिली थीं। वहीं, निर्दल प्रत्याशियों ने भी पांच सीटों पर जीत दर्ज की है। इस तरह से जीत के लिए कम से कम 17 सदस्यों का समर्थन जरुरी था।। लेकिन यहां पहले कैंडिडेट का टोटा रहा। बाद में विपक्ष की कैंडिडेट के प्रस्तावक ही मुकर गया और पर्चा कैंसल हो गया। बीजेपी जीत गई।

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