Interview Yogesh Verma: 'बीजेपी सरकार कुछ दिन और रुक गई तो लोग एक-एक निवाले को तरस जाएंगे'

पूर्व विधायक योगेश वर्मा की गिनती मेरठ ही नहीं बल्कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेताओं में की जाती है।

Report :  Sushil Kumar
Published By :  Raghvendra Prasad Mishra
Update: 2021-09-05 11:25 GMT

पूर्व विधायक योगेश वर्मा की फाइल तस्वीर (फोटो-न्यूजट्रैक)

हस्तिनापुर विधानसभा (सु०) रनरअप

Interview: दलित राजनीति में पकड़ बना चुके पूर्व विधायक योगेश वर्मा की गिनती मेरठ ही नहीं बल्कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेताओं में की जाती है। योगेश वर्मा की गिनती उन जमीनी नेताओं में की जाती है, जो कि अपने बल पर किसी भी चुनाव के परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं। जैसा कि 2012 में वह एक तरह से निर्दलीय होते हुए भी बसपा को हस्तिनापुर में तगड़ा झटका दे चुके हैं। यही नहीं, दो अप्रैल 2018 के आंदोलन में भी उनका दलितों के बीच प्रभाव साफ नजर आया था। दलित आंदोलन में दलितों की आवाज़ उठाने के जुर्म में योगेश वर्मा को जेल भी जाना पड़ा था।

इस मामले में मेरठ की एसएसपी मंज़िल सैनी ने उनपर रासुका की कार्यवाही कर महीनों तक जेल में रहने के लिए मजबूर किया था, जेल में होने की वजह से योगेश वर्मा गम्भीर रूप से बीमार हो गए थे। योगेश वर्मा वर्ष 2007 में बसपा के सिंबल पर पहली बार वह मेरठ जिले की हस्तीनापुर सुरक्षित सीट से विधायक बने थे, लेकिन वर्ष 2012 के अगली ही चुनाव में बसपा ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आक्षेप लगाकर उनका टिकट काट दिया था। पार्टी से छह साल के लिए उनके निष्कासन का फरमान बसपा की ओर से जारी किया गया। इसके बाद वह पीस पार्टी में शामिल होकर इसी सीट पर चुनावी मैदान में उतरे थे।


उसके बाद उनकी बसपा में पुन: वापसी हुई और वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने उन्हें फिर से उम्मीदवार बनाया, लेकिन वह फिर दूसरे नंबर पर रहे और भाजपा की लहर में हस्तिनापुर पर कमल खिल गया। इसके अगले ही वर्ष 2018 में हुए नगर निकाय चुनाव में मेरठ मेयर सीट रिजर्व होने पर बसपा से अपनी पत्नी सुनीता वर्मा को प्रत्याशी बनावाकर योगेश वर्मा ने भाजपा लहर के बावजूद भी इस चुनाव में भाजपा की मौजूदा राज्यसभा सांसद कांता कर्दम को सुनीता वर्मा के हाथों करीब 30 हजार वोटों के बड़े अंतर से हरवाया।

पत्नी के मेरठ का महापौर बनने पर उनकी पार्टी में भी पहले की तरह ही साख मजबूत हुई। वर्ष 2019 में उन्हें बुलंदशहर से लोकसभा चुनाव लड़ाया गया था, जिसमें वह हार गए। इसके कुछ समय बाद फिर सियासत ने करवट बदली और बसपा ने एक बार फिर योगेश को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। योगेश वर्मा बसपा के हर आंदोलन को अंजाम तक पहुंचाने में माहिर रहे है। वहीं आज बसपा की खामोशी यह बताने के लिए काफी है कि मेरठ में योगेश वर्मा बसपा के लिए एक संजीवनी से कम नहीं थे।


दलितों के साथ साथ मुस्लिमों में भी मजबूत पकड़ रखने वाले पूर्व विधायक योगेश वर्मा ने अपना नया सियासी ठिकाना सपा को बनाया है। सियासी हल्कों में कयास लगाए जा रहे हैं कि वह 2022 के चुनाव में हस्तिनापुर सीट पर सपा के उम्मीदवार हो सकते हैं। योगेश वर्मा के सपा में जाने से जहां बसपा की मुश्किलें बढ़ गईं हैं वहीं समाजवादी पार्टी में उत्साह का माहौल है। सपा में शामिल होने के बारे में पूछे जाने पर योगेश वर्मा कहते हैं, सपा सभी वर्गों के हित में कार्य करने वाली पार्टी है। उनकी विचारधारा से प्रेरित होकर ही मैंने पत्नी सहित सपा में जाने का निर्णय लिया था।

राजनीति में नहीं आते तो क्या करते?

संवाददाता के इस सवाल पर योगेश वर्मा बिना देरी किये तपाक से बोल पड़ते हैं, अगर राजनीति में नहीं आता तो भी जनता की सेवा ही करता, चाहे किसी रूप में सही। भाई में राजनीति में कमाने नहीं जनता की सेवा करने आया हूं। खाने, पहनने की पसंद के बारे में पूछने पर योगेश वर्मा कहते हैं, मैं शाकाहारी हूं। शराब, सिगरेट, बीड़ी यानी किसी भी नशे से पूरी तरह दूर रहता हूं। मुझे तो बस जनता की सेवा करने का नशा है। जनता की सेवा करने के लिए ही राजनीति में आया हूं। राजनीति के अलावा बाकी का समय कैसे बिताते है? इस सवाल पर योगेश वर्मा ने कहा- मुझे तो राजनीति और लोगों की सेवा करने से फुर्सत ही नहीं मिल पाती है। दरअसल, लोगों की समस्याएं ही इतनी हैं कि उन्हें सुनते-सुनते और उनका समाधान कराते-कराते कब दिन से रात हो जाती है पता ही नहीं चल पाता है।


वर्तमान राजनीति में बदलाव चाहते है क्या, यदि हाँ तो कैसा?

इस सवाल पर तनिक गंभीर होकर योगेश वर्मा कहते हैं, आज की राजनीति बहुत गंदी हो गई है। सरे आम कत्ल हो रहे हैं, लूट,डकैती हो रही है, दुष्कर्म हो रहे हैं। मेरठ में देख लो रोजाना चार-पांच मर्डर हो रहे हैं। भूखमरी ऐसी फैल गई है, महंगाई इतनी बढ़ गई है कि हर आदमी लूट-खसोट करने को तैयार है। अगर बीजेपी सरकार कुछ दिनों और रुक गई तो लोग एक-एक निवाले को तरस जाएंगे। हाथों से रोटी छिनने लगेंगे। पांच-पांच, दो-दो हजार में मर्डर करने लगेंगे। परिवर्तन तो राजनीति में बहुत जरूरी है। बीजेपी से देश को आजाद कराना पड़ेगा। वरना यह देश को खत्म कर देंगे। खा जाएंगे।

ज़िंदगी का सबसे बेहतरीन क्षण, जिसे याद करना चाहेंगे- इस सवाल पर योगेश वर्मा तनिक गंभीर होते हुए कहते हैं, पहली बार 2007 में जब हस्तिनापुर जैसे ऐतिहासिक विधानसभा क्षेत्र के लोगों ने मुझे विधायक के लिए चुना था। हस्तिनापुर ऐतिहासिक इसलिए हैं क्योंकि जिस भी दल का सदस्य यहां चुनाव जीतता है प्रदेश में सरकार उसी दल की बनती है। इसलिए वह पल मेरे लिए सबसे बेहतरीन क्षण था। दूसरा, जब मैं 2018 में 2 अप्रैल के आंदोलन में समाज की आवाज़ उठाने के जुर्म में जेल गया था। मुझ पर रासुका भी लगाई गई थी। यह क्षण भी मेरे लिए यादगार रहा है। क्योंकि मेरे दिल को इस बात को लेकर संतोष और गर्व था कि मैं अपने गरीब लोगों की आवाज उठाने के जुर्म में जेल गया हूं।


ज़िंदगी की ऐसी कोई घटना जिसने आपको सबसे ज़्यादा दुख पहुँचाया हो

इस सवाल पर उन्होंने कहा, दुःख तो इस बीजेपी सरकार में रोज होता है। जब रोजाना भाजपा के द्वारा लोगों के उत्पीड़न की घटनाएं सुनने-देखने में आती है।

बच्चों को राजनीति में उतारना चाहेंगे

इस सवाल पर योगेश वर्मा सवालिया लहजे में कहते हैं, बच्चों को राजनीति में उतारने में बुराई ही क्या है। भाई, राजनीति तो हमारे परिवार के खून में है। मैं विधायक रहा हूं। मेरे भाई ब्लाक प्रमुख रहे है। मेरी पत्नी मेरठ की मेयर हैं। मेरे पिता भी राजनीति में थे। मेरे दो बेटे हैं। उनमें से एक बेटा तो राजनीति में उतरेगा ही।

विधायक निधि के बारे में आपकी राय क्या है? इसे भ्रष्टाचार का कारण मानते हैं या विकास के लिए ज़रूरी

इस सवाल का जवाब देते हुए योगेश वर्मा कहते हैं, विकास के लिए विधायक निधि तो बहुत जरूरी है। विधायक निधि तो वास्तव में गरीब आदमियों के लिए होती है। क्योंकि सरकार की योजनाएं गरीब लोगों तक तो पहुंचती नहीं है। इनका लाभ तो बड़े लोग ही उठाते हैं। जैसे बीजेपी के विधायक अपनी विधायक निधि बड़े स्कूलों आदि को बेच देते हैं। यानी जिन्हें विकास के लिए सरकारी पैसे की जरूरत नहीं है, वें लोग सरकारी पैसे का फायदा उठा लेते हैं। तो भ्रष्टाचारी तो बीजेपी सरकार है।

क्षेत्र के गरीब लोग अपने विधायक से कहकर विधायक निधि के पैसे से क्षेत्र की सड़कें, खंडजे, पानी के नल आदि काम करा लेते हैं। इसलिए गरीब लोगों के लिए विधायक निधि को मैं बहुत जरूरी मानता हूं। मेरे हस्तिनापुर क्षेत्र में ऐसा कोई गांव नहीं है जहां मेरे नाम से विकास कार्यों के पत्थर नहीं लगे हों। यह सब कार्य मैंने विधायक निधि से ही कराए हैं।

पहले या किसी चुनाव की कोई घटना जो शेयर करना चाहेंगे?

इस सवाल पर योगेश वर्मा कहते हैं, समाज के लोगों के दुःख-दर्द को सुनते-सुनते अब तो ऐसी कोई चुनाव की घटना याद ही नहीं रह गई है।

Tags:    

Similar News