UP : अपराधियों को सलाखों के पीछे डाल पुलिस ने अपराधियों का चोला पहन लिया है क्या

मेरठ में वर्तमान समय में 135 पुलिसकर्मी भ्रष्टाचार के मामलों में दंडित चल रहे हैं। जबकि 50 से अधिक पुलिसकर्मी गंभीर आरोपों के कारण निलंबित हो चुके हैं ।

Report :  Sushil Kumar
Published By :  Vidushi Mishra
Update:2021-10-24 16:09 IST

सीएम योगी (फोटो : फोटो : सोशल मीडिया )

Meerut : अभी कुछ दिन पहले सीएम योगी आदित्यनाथ ने दो टूक शब्दों में अपर मुख्य सचिव गृह और डीजीपी से कहा था कि भ्रष्टाचार में संलिप्त एक भी पुलिसकर्मी यूपी पुलिस का हिस्सा नहीं रहना चाहिए। लेकिन लगता है कि यूपी पुलिस ने ना सुधरने की कसम खा रखी है। यूपी की हाल-फिलहाल की घटनाएं तो यहीं प्रमाणित करती हैं।

शुरुआत मेरठ से की जाए तो यहां वर्तमान समय में 135 पुलिसकर्मी भ्रष्टाचार के मामलों में दंडित चल रहे हैं। जबकि 50 से अधिक पुलिसकर्मी गंभीर आरोपों के कारण निलंबित हो चुके हैं ।उनके खिलाफ जांच बैठी हुई है। यह हालात तो तब हैं जबकि एसएसपी प्रभाकर चौधरी मेरठ में तैनाती के बाद से ही भ्रष्ट पुलिसकर्मियों के खिलाफ अभियान छेड़े हुए हैं।

अब तक का सबसे बड़ा एक्शन 

पुलिस के इतिहास में भ्रष्टाचार और ठेकेदारी प्रथा को लेकर अब तक का सबसे बड़ा एक्शन एसएसपी मेरठ प्रभाकर चौधरी ने बीती जुलाई माह में एक साथ 75 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर के किया था।

गोपनीय जांच रिपोर्ट, व्हाट्सएप पर मिली शिकायतों की जांच और एसपी-सीओ स्तर के अधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर यह कार्रवाई की गई थी। इसके कुछ दिन बाद तक तो पुलिस विभाग के भ्रष्ट पुलिसकर्मियों में हड़कंप की स्थिति रही। लेकिन बाद में सब-कुछ सामान्य हो गया। है।

पिछले महीनें 80 हजार रुपये रिश्वत लेने के आरोप में सदर थाने के इंस्पेक्टर बिजेन्द्र राणा को निलंबित किया गया और मुकदमा दर्ज किया गया। इस मामले में ही इसी थाने के सिपाही मनमोहन सिंह को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया । हालांकि तब से इंस्पेक्टर बिजेन्द्र राणा फरार चल रहा है।

गंगा नगर थाने का दारोगा दिनेश कुमार भ्रष्टाचार के मामले में सस्पेंड और मुकदमा दर्ज होने के बाद फरार चल रहा है। ब्रहमपुरी थाने का एक दारोगा भी रिश्वत के मामले में सस्पेंड हो चुका है।

किठौर क्षेत्र में गोपनीय जांच के बाद थाना प्रभारी के चेहते माने जाने वाले और हमेशा उनके हमराह बनकर साथ चलने वाले सरकारी गाड़ी के चालक मुकेश कुमार, आरक्षी जोनी गुर्जुर, अरविंद,पीयूष सहित पांच सिपाहियों को एसएसपी ने लाइन हाजिर किया था। यह ऐसा पहला मौका था जब किसी थाने में सबसे ज्यादा पुलिसकर्मियों पर गाज गिरी।

शाहजहांपुर चौकी इंचार्ज हरिभान तथा किठौर चौकी इंचार्ज उदयवीर को लोगों की शिकायत के चलते जांच के बाद दोषी पाए जाने पर निलंबित किया गया था। यही नही कुछ दिन पहले ही हाइवे पर वेदव्यासपुरी पुलिस चौकी के दो सिपाहियों के साथ मिलकर पांच बदमाश पशुओं से भरे ट्रकों से वसूली करते पकड़े गये। जिनको एसएसपी द्वारा निलंबित किया गया।

एक इंस्पेक्टर समेत पांच पुलिसकर्मी निलंबित

अब बात करें मेरठ से बाहर की तो आगरा में अरुण वाल्मीकि की पुलिस कस्टडी में हुई मौत के बाद पुलिस प्रशासन पर सवाल खड़े हुए थे। इसी को देखते हुए अभी कल ही मुनिराज को आगरा कप्तान की जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया है। इससे पहले इस मामले में एक इंस्पेक्टर समेत पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित किया जा चुका है।

इन पुलिसकर्मियों के नाम हैं: आनंद शाही (इंस्पेक्टर), योगेंद्र (सब इंस्पेक्टर), सत्यम (सिपाही), रूपेश (सिपाही) और महेंद्र (सिपाही). इस मामले में विपक्ष सरकार पर हमलावर है और स्थानीय अधिकारी मरने वाले सफ़ाईकर्मी के परिजन को मनाने में जुटे हैं ताकि मामला तूल नहीं पकड़े।

रियल एस्टेट कारोबारी नीरज गुप्ता की गोरखपुर पुलिस ने कथित जांच के नाम पर होटल में हत्या कर दी। घटना में छह पुलिसवाले शामिल थे।लेकिन गिरफ़्तारी से पहले तुरंत मुआवज़ा दे दिया गया।

अब इस मामले में इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह, सब इंस्पेक्टर अक्षय मिश्रा, सब इंस्पेक्टर राहुल दुबे, आरक्षी विजय यादव, कमलेश कुमार यादव और प्रशांत कुमार को गिरफ्तार किया गया है।बता दें कि पिछले महीने गोरखपुर के एक होटल में गुप्ता (36) की पुलिसकर्मियों ने कथित तौर पर पिटाई कर दी थी, जिससे उनकी मौत हो गई थी।कानपुर पुलिस ने पहले सभी छह आरोपियों की गिरफ्तारी पर 25-25 हजार रुपये का इनाम रखा था लेकिन, बाद में उसे बढ़ाकर एक-एक लाख रुपये कर दिया।

इसी साल जनवरी में गोरखपुर कैंट इलाके के रेलवे स्टेशन से महराजगंज के दो स्वर्ण व्यापारियों को अगवा कर नौसड़ के पास से 30 लाख रुपये बस्ती में तैनात दरोगा व सिपाहियो ने मिलकर लूटे थे। इस मामले में दरोगा धर्मेंद्र यादव व दो सिपाहियों सहित छह आरोपी गिरफ्तार किये जा चुके हैं।

व्यापारी इंद्रकांत त्रिपाठी की बीते 8 सितंबर को गोली मारी गई थी। जिसके बाद गंभीर हालत में उन्हें महोबा जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां से से इंद्रकांत त्रिपाठी को कानपुर रेफर किया गया था।

इंद्रकांत त्रिपाठी की मौत के बाद हंगामा

इंद्रकांत त्रिपाठी की मौत (फोटो- सोशल मीडिया)

कानपुर में इलाज के दौरान 13 सितंबर को इंद्रकांत त्रिपाठी (indrakant tripathi ki maut) की मौत हो गई। इंद्रकांत त्रिपाठी की मौत के बाद हंगामा मच गया और परिजनों की तरफ से एसपी मणिलाल पाटीदार पर इल्जाम लगाए गए। आई पी एस मणिलाल पाटिदार अभी तक फ़रार है।

पड़ोस के गाजियाबाद के नरेश त्यागी हत्याकांड (Ghaziabad Naresh Tyagi Hatyakand)के साजिशकर्ता व भाजपा विधायक के भाई गिरीश पाल त्यागी को पुलिस साढ़े 13 महीने बाद भी गिरफ्तार नहीं कर सकी है। पुलिस इस कदर मेहरबान रही कि कुर्की करना तो दूर, गिरीश पाल त्यागी पर इनाम तक घोषित नहीं किया।

बता दें कि पिछले साल 9 सितंबर को लोहिया नहर में मॉर्निंग वॉक के दौरान भाजपा विधायक अजीत पाल त्यागी के मामा नरेश त्यागी की गोलियां बरसाकर हत्या कर दी थी। नवंबर 2020 में पुलिस ने खुलासा किया कि विधायक के भाई गिरीश पाल त्यागी ने ही भाड़े के शूटर्स से मामा की हत्या कराई थी। जितेंद्र त्यागी ने शूटर मुहैया कराए थे।

पुलिस ने सद्दीक नगर निवासी जितेंद्र त्यागी और मनोज कुमार के अलावा डिफेंस कॉलोनी मोदीनगर निवासी अर्पण चौधरी तथा सोंदा रोड मोदीनगर निवासी विपिन शर्मा को गिरफ्तार किया था। जबकि लोहियानगर निवासी गिरीश पाल त्यागी घटना के बाद से ही फरार चल रहा है।

ये सब घटनाएं तो वें घटनाएं हैं,जो कि मीडिया की सुर्खियां बनने के कारण चर्चा बन सकी। ऐसी घटनाएं भी होंगी जो कि समय रहते पुलिस प्रशासन द्वारा दबा ली गई। इन घटनाओं से तो यही लगता है कि अपराधियों को जेल की सलाखों के पीछे बहुचाने का दावा करतने नही थकने वाली पुलिस ने अब खुद अपराधी का चोला पहन लिया है।

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