Meerut : मेरठ विकास प्राधिकरण के पूर्व वीसी का आलीशान बंगला CAG के निशाने पर, अफसरों ने करोड़ों किए खर्च
Meerut : मेरठ में मेरठ विकास प्राधिकरण के पूर्व उपाध्यक्ष का बंगला भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक (सीएजी) के निशाने पर है। 2015 में एमडीए के तत्कालीन वीसी राजेश यादव ने वीसी आवास के लिए आलीशान बंगले का निर्माण शुरू कराया था।
Meerut : उत्तर प्रदेश के मेरठ में मेरठ विकास प्राधिकरण के पूर्व उपाध्यक्ष का बंगला भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक (सीएजी) के निशाने पर है। 2015 में एमडीए के तत्कालीन वीसी राजेश यादव ने वीसी आवास के लिए आलीशान बंगले का निर्माण शुरू कराया था। इसमें करीब तीन करोड़ रुपये खर्च भी हुए।
आवास बंगले के रूप में लगभग तैयार हो गया है, मगर उसमें फिनिशिंग आदि का कार्य बाकी है। फिनिशिंग कार्य शुरू होने का समय आया तब तक राजेश यादव का स्थानांतरण हो गया। बाद में एमडीए बोर्ड की बैठक में लिए गए निर्णय के बाद इसका निर्माण रुकवा दिया गया।
सीएजी की रिपोर्ट में खुलासा
अब तक चार बार इस बंगले की नीलामी का प्रस्ताव रखा गया, लेकिन कोई खरीदार नहीं मिला। नीलामी में प्राथमिक बोली 10 करोड़ 21 लाख रखी गई थी। एमडीए ने जुलाई 2021 में फिर इसे नीलामी में लगा दिया। कीमत 12 करोड़ 81 लाख 13 हजार 800 रुपये रखी गई है।
सीएजी की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। सीएजी ऑडिट की जांच रिपेर्ट के अनुसार एमडीए ने अप्रैल 2013 में गंगानगर योजना में वीसी आवास बनाने के लिए 21528 वर्ग फिट जमीन चिह्नित हुई थी। वर्ष 2014 में तत्कालीन वीसी राजेश यादव ने इसे बदलकर शताब्दीनगर आवासीय योजना 50208 वर्ग फीट(4664 वर्ग मीटर) जमीन पर बनाने का फैसला किया। तब इस जमीन की कीमत 5.36 करोड़ रुपये थी।
इस पर सितंबर 2015 में मकान बनाने का फैसला हुआ। इसका निर्माण मई 2015 से शुरू भी हुआ और अक्तूबर 2016 तक चला। 24 जुलाई 2016 को तत्कालीन एमडीए वीसी राजेश यादव का ट्रांसफर हो गया। 2015 में एमडीए के तत्कालीन वीसी राजेश यादव ने वीसी आवास के लिए आलीशान बंगले का निर्माण शुरू करा दिया।
निर्माण पर करीब तीन करोड़ रुपये खर्च भी हुए। आवास बंगले के रूप में लगभग तैयार होने लगा था। फिनिशिंग का कार्य बाकी था। फिनिशिंग कार्य शुरू होने का समय आया तब तक राजेश यादव का स्थानांतरण हो गया। 2017 में एमडीए बोर्ड की बैठक में लिए गए निर्णय के बाद इसका निर्माण तुरंत रुकवा दिया गया।
तब से इस अर्द्धनिर्मित बंगले को बेचने के लिए कई बार आनलाइन नीलामी निकाली गई, लेकिन कोई खरीदार नहीं आया। अब बंगला खंडहर होने लगा है। हालांकि एमडीए ने जुलाई 2021 में फिर इसे नीलामी में लगा दिया। कीमत 12 करोड़ 81 लाख 13 हजार 800 रुपये रखी गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2009 और 2011 के दो आदेशों में, यूपी सरकार ने अधिकारियों के आवासों के लिए 2,426-वर्ग फुट की सीमा तय की थी, जिसमें एमडीए के उपाध्यक्ष हैं। किसी अधिकारी के आवास की मंजूरी एमडीए बोर्ड से मिलती है, जहां उपाध्यक्ष संभागीय आयुक्त के बाद ही आता है।
2013 और 2014 में, यादव एमडीए सचिव थे और 2015 और 2016 में उपाध्यक्ष थे। निर्माण मई 2015 में शुरू हुआ। यह एक भव्य परियोजना थी - 20,000 वर्ग फुट का घर और 9,700 वर्ग फुट "मनोरंजन" क्षेत्र। यह क्षेत्र उपाध्यक्ष के हकदार होने के 12 गुना से अधिक था।
दिसंबर 2016 में आधी-अधूरी परियोजना को गिराए जाने पर 8 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए थे - भूमि की लागत 5 करोड़ रुपये से अधिक थी और निर्माण लगभग 3 करोड़ रुपये था। इससे एक महीने पहले, एमडीए ने स्थापित एक समिति ने कहा था " भवन का उपयोग आवासीय उद्देश्यों के लिए नहीं किया जा सकता है क्योंकि इसकी अव्यवहारिक डिजाइन में कई वास्तु दोष, उच्च रखरखाव लागत है। "
इस मामले में एमडीए के कार्यकारी अभियंता राजीव सिंह, जो परियोजना से जुड़े नहीं थे ने एमडीए का बचाव करते हुए कहा, "यह सिर्फ एक निवास नहीं था। यह गेस्ट हाउस और कैंप ऑफिस भी बनेगा।
एक नजर वीसी बंगला
कुल एरिया : 4660 वर्ग मीटर
वर्तमान कीमत : 10 करोड़ 21 लाख
मंजिल : दो मंजिल
स्टाफ सुविधा : अलग से स्टाफ क्वार्टर
स्नान सुविधा : स्वीमिंग पूल
कमरे : 25
कवर्ड एरिया : 16500 वर्ग मीटर
बिल्ट अप ग्राउंड फ्लोर एरिया : 5000 वर्ग मीटर
सेकेंड फ्लोर बिल्ट अप एरिया : 4100 वर्ग मीटर
गेस्ट रूम एरिया : 1600 वर्ग मीटर
मनोरंजन संबंधित क्षेत्र एरिया : 900 वर्ग मीटर
सर्वेट रूम एरिया : 800 वर्ग मीटर