Meerut News: आतंकियों के मंसूबों पर पानी फेरने के लिए मेरठ और देवबंद में सरकार बनाएगी एटीएस कमांडो सेंटर
मेरठ और देवबंद के अलावा इंडो नेपाल बॉर्डर बहराइच, श्रावस्ती, जेवर एयरपोर्ट में भी कमांडो सेंटर बनाए जाएंगे।
Meerut News: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आतंकियों के नापाक मंसूबों पर पानी फेरने और निगरानी बढ़ाने के लिए सरकार मेरठ और देवबंद में आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) कमांडो सेंटर की नई यूनिट बनने जा रही है। मेरठ और देवबंद के अलावा इंडो नेपाल बॉर्डर बहराइच, श्रावस्ती, जेवर एयरपोर्ट में भी कमांडो सेंटर बनाए जाएंगे।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की अगर बात की जाए तो मेरठ में भी एटीएस की स्वात टीम पहले से तैनात है। इसके अलावा एटीएस की एक टीम नोएडा में हर वक्त रहती है, लेकिन नोएडा के जेवर और देवबंद में एटीएस के दो कमांडो सेंटर बनने से पश्चिमी उत्तर प्रदेश का पूरा एरिया कवर हो जाएगा। इस तरह से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खासकर संदिग्ध आतंकियों पर नजर रखने और उनके छानबीन में एटीएस को आसानी होगी।
गौरतलब है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 90 के दशक से अब तक कई आतंकी वारदातों को अंजाम दिया गया है और कई बार यहां आतंकी पकड़े भी गए हैं। पिछले दो दशकों में 150 से ज्यादा संदिग्ध पाकिस्तानी और विदेशी नागरिक लापता हो चुके हैं। कई रोहिंग्या भी यहीं से लापता हुए हैं। ऐसे में आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियों से निपटने के लिए दोनों जगहों पर ऑपरेशन सेंटर बनाया जाना जरुरी माना जा रहा था।
खुफिया विभाग के इनपुट के अनुसार पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ, देवबंद, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बिजनौर और हापुड़ समेत कई जगहों पर स्लीपिंग मॉड्यूल भी एक्टिव हैं, जो समय आने पर ही आतंकियों के मददगार बन जाते हैं। इसलिए वेस्ट यूपी को अति संवेदनशील की श्रेणी में रखा जाता है। मुजफ्फरनगर दंगों के बाद आतंकी संगठनों द्वारा दंगा पीड़ित युवाओं को बरगलाकर आतंकी बनाने की साजिश का पर्दाफाश हुआ था। पिछले 20 साल में वेस्ट यूपी में 24 से ज्यादा आतंकी और 7 खालिस्तान समर्थकों की गिरफ्तारी की गई है।
पिछले करीब पांच सालों से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खालिस्तान आतंकियों और समर्थकों का दखल बढ़ा है। पंजाब में हिंदू नेताओं की हत्या में प्रयुक्त हथियारों की खेप यहीं मेरठ से भेजी गई थी। इसे लेकर लगातार एनआईए की छापेमारी की गई और अकेले मेरठ से 4 लोगों की गिरफ्तारी की गई। इसके अलावा अभी हाल ही में मेरठ से खालिस्तान आतंकियों का हथियार देने के मामले में एक माह पूर्व ही दो संदिग्ध आरोपियों की गिरफ्तारी की गई थी। इसके अलावा भी लगातार एनआईए की कार्रवाई जारी है। ऐसे में यहां एटीएस का दायरा बढ़ाना जरूरी था।
एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार कहते हैं कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश चूंकि काफी संवेदनशील है और यहां पर पूर्व में भी कुछ आतंकी कनेक्शन सामने आए हैं, इसलिए यहां खास तौर पर नजर रखी जा रही है। दिल्ली और हरियाणा के अलावा उत्तराखंड का बार्डर भी वेस्ट यूपी से लगा हुआ है। ऐसे में चौकसी बढ़ाना जरूरी है। एटीएस अब आतंकी गतिविधियों पर और ज्यादा सुदृढ़ तरीके से नजर रख सकेगी।