Meerut: मेरठ में बढ़े हुए मुआवजे की मांग को लेकर किसान धरने पर बैठे, मांग पूरी होने तक कब्जा नहीं देने का किया ऐलान

मेरठ में बढ़े मुआवजे की मांग को लेकर किसान धरने पर बैठ गए हैं। किसानों ने कहा कि अगर पुलिस व प्रशासन ने जबरदस्ती जमीन पर कब्जा लेने की कोशिश की तो किसान इसी पल सड़कों पर उतर कर आंदोलन शुरु कर देंगे।

Report :  Sushil Kumar
Published By :  Deepak Kumar
Update:2021-12-10 22:17 IST

Meerut: उत्तर प्रदेश के मेरठ में बढ़े हुए मुआवजे का मुद्दा एक बार गरम होने लगा है। आज शताब्दी नगर (Shatabdi nagar) में किसानों की हुई एक बैठक में किसानों ने कहा कि जब तक एमडीए उनकी मांग के अनुरूप अतिरिक्त प्रतिकर नहीं देता है, तब तक वे जमीन नहीं छोड़ेंगे। अगर पुलिस व प्रशासन ने जबरदस्ती जमीन पर कब्जा लेने की कोशिश की तो किसान इसी पल सड़कों पर उतर कर आंदोलन शुरु कर देंगे। यही नहीं कुछ किसान तो शताब्दी नगर (Shatabdi nagar) में पानी की टंकी के पास धरने पर बैठ गए हैं। ऐसे में एक बार फिर  किसानों और प्रशासन के बीच टकराव के आसार बन गए हैं।

किसानों द्वारा जमीन पर कब्जा नहीं देने के कारण मेरठ हवाई पट्टी (Meerut Airstrip) के विस्तारीकरण के लिए जमीन पर कब्जा लेने के लिए पहुंची वन विभाग की टीम (forest department team) को शताब्दी नगर (Shatabdi nagar) में बिना कब्जा लिये वापस लौटना पड़ा। किसानों के धरने पर पहुंचे किसान नेता पवन गुर्जर (farmer leader pawan gurjar) ने किसानों की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि जब तक किसानों के मुआवजे का मामला हल नहीं हो जाता तब तक जमीन खाली कराने के लिए पुलिस बल का प्रयोग होगा तो वे उस प्रयास को सफल नहीं होने देंगे। उधर, एमडीए अधिकारियों का कहना है कि किसानों को एक बार मुआवजा व दो बार अतिरिक्त प्रतिकर दिया जा चुका है। शीर्ष अदालतों से किसान की फिर से प्रतिकर की मांग खारिज हो चुकी है। किसान जबरन जमीन पर कब्जा किए हुए हैं।

दरअसल, वन विभाग (forest department) की 12 एकड़ जमीन शताब्दी नगर (Shatabdi nagar) में गुमी गांव के किनारे है, जिसे एमडीए ने दी थी,मगर इस पर किसानों का कब्जा है और किसान उस पर खेती करते हैं। किसानों का कहना है कि नौ साल से उनका एमडीए के साथ मुआवजा को लेकर संघर्ष चल रहा है। जब तक एमडीए उनकी मांग के अनुरूप अतिरिक्त प्रतिकर नहीं देता है तब तक वे जमीन नहीं छोड़ेंगे। ‌धरने पर बैठे किसानों का कहना है कि 1987 में जब भूमि अधिग्रहीत हुई थी तब बहुत कम धनराशि दी गई। दूसरी बार जो अतिरिक्त प्रतिकर दिया वह भी कम है। उन्हें नई भूमि अधिग्रहण नीति 2014 के तहत मुआवजा दिया जाए।

वहीं, वन क्षेत्राधिकारी रिठानी रेंज नरेश कुमार (Forest Officer Rithani Range Naresh Kumar) का कहना है कि हवाई पट्टी विस्तार के लिए वन विभाग (forest department) की जमीन गई थी। उसके बदले में एमडीए ने अपनी अधिग्रहीत भूमि में आवंटन किया। मगर उस पर अभी तक कब्जा वन विभाग को नहीं मिल पाया है।

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