Meerut News : पांच हजार मिलने की आस लगाए परिवहन निगम कर्मचारियों को मिली निराशा, दिवाली रही फीकी

Meerut News :नियमित कर्मियों का बकाया डीए के एरियर के नाम पर पांच-पांच हजार रुपये तोहफा दिये जाने की घोषणा की गई थी। लेकिन बहुत कम कर्मचारी इसकी जद में आ सके।

Report :  Sushil Kumar
Published By :  Shraddha
Update:2021-11-06 13:13 IST

परिवहन निगम कर्मचारियों को मिली निराशा (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)

Meerut News :  उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (Road Transport Corporation) के नियमित कर्मियों की दीपावली (Diwali) इस बार फीकी रही। कहने को नियमित कर्मियों का बकाया डीए के एरियर के नाम पर पांच-पांच हजार रुपये तोहफा दिये जाने की घोषणा की गई थी। लेकिन बहुत कम कर्मचारी इसकी जद में आ सके। नतीजन,हजारों कर्मचारियों को इस लाभ से वंचित रह जाना पड़ा। ऐसे कर्मचारियों और उनके परिवार के लिए दीपावली का पर्व फीका ही रहा। परिवहन निगम से जुड़े मजदूर संगठनों की मानें तो परिवहन निगम के अब तक के इतिहास में यह पहला मौका है जब दीपावली जैसे पर्व पर परिवहन निगम कर्मचारियों (Transport Corporation employees) को वेतन के अलावा कुछ नही हाथ नही लगा है।

परिवहन निगम से जुड़े कर्मचारी संगठनों के अनुसार उत्तर प्रदेश में परिवहन निगम की स्थापना के कई साल तक दीपावली के मौके पर करीब एक माह के वेतन के बराबर बोनस दिया जाता था। पिछले करीब दो दशक से निगम कर्मचारियों को बोनस मिलना बंद हो गया। कर्मचारी संगठनों की मांग पर बाद में कर्मचारियों के बकाए डीए में से पांच-पांच हजार रुपये दिए जाने लगे। पिछले साल तक ऐसा ही रहा। लेकिन इस साल कुछ एक कर्मचारियों को छोड़कर हजारों कर्मचारियों को यह भी नसीब नही हुआ। इसकी वजह यह रही कि ऐसे कर्मचारियों की मंहगाई भत्ते की सात फीसदी बकाया एरियर राशि पांच हजार से बहुत कम शेष बची थी। खासकर चतुर्थश्रेणी के अधिकांश कर्मचारियों की बकाया एरियर राशि सौ से दो सौं तक ही शेष बची थी। ऐसे में इन कर्मचारियों को सौ-दो सौ रुपये में ही संतोष करना पड़ा।  

दरअसल,अभी हाल ही में परिवहन निगम में कार्यरत नियमित कार्मिकों को सातवें वेतनमान में मूल वेतन का सात फीसदी महंगाई भत्ता एक जुलाई 2020 से देने का आदेश जारी किया गया था।  आदेश में यह भी कहा है कि एक जुलाई, 2017 से एक जुलाई,2020 के बीच कोई एरियर देय नहीं होगा। शासन के इस निर्णय से रोडवेज के करीब 20 हजार कर्मियों का एक जुलाई, 2017 से एक जुलाई, 2020 के बीच एरियर मारा गया। अचरज की बात यह है कि शासन द्वारा जिस अवधि यानी एक जुलाई, 2017 से एक जुलाई, 2020 के बीच का एरियर जब्त करने की बात कही गई है। इस अवधि में प्रदेश में कोरोना नामक बीमारी का कहीं कोई नाम नही था। यही नही, अन्य सरकारी विभाग के कर्मचारी इस अवधि के लाभ को पहले ही ले चुके हैं। जबकि निगम कर्मचारियों को इस लाभ से वंचित कर दिया गया।

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