Meerut News: हिंद मजदूर किसान समिति के नेताओं ने कहा, तीनों कृषि कानूनों की वापसी देश में गलत परंपरा की शुरूआत

Meerut News: मेरठ में तीनों कृषि कानूनों की वापसी पर हिंद मजदूर किसान समिति के जिला प्रवक्ता नीरज मछरी ने कहा कि 'चंद किसान राजनैतिक स्वार्थ के कारण इसके विरोध में थे।'

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Published By :  Shashi kant gautam
Update: 2021-11-21 12:55 GMT

Meerut News: मेरठ में तीनों कृषि कानूनों की वापसी (withdrawal of all three agricultural laws) पर वो लोग और संगठन खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं जिन्होंने ना सिर्फ इन तीनों कृषि कानूनों का खुलकर समर्थन ( kisan Bill ka Suport) किया था। बल्कि इनके समर्थन में रैलियां भी आयोजित की थी।

हिंद मजदूर किसान समिति (Hind Mazdoor Kisan Samiti) भी ऐसे ही संगठनों में शामिल है, जिसने ना सिर्फ खुलकर तीनों कृषि कानूनों का समर्थन किया था बल्कि कृषि कानूनों के समर्थन में रैली निकाल कर केंद्रीय राज्य मंत्री डा. संजीव बालियान (Union Minister of State Dr. Sanjeev Balyan) की मौजूदगी में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar) को ज्ञापन सौंपा था।

चंद किसान राजनैतिक स्वार्थ के कारण कृषि कानूनों का विरोध कर रहे थे-प्रवक्ता नीरज मछरी

हिंद मजदूर किसान समिति के जिला प्रवक्ता नीरज मछरी (Spokesperson Neeraj Machhri) आज स्थानीय मीडिया से बातचीत में तीनों कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा को किसान आंदोलन की जीत ना मानकर राजनीति की जीत मानते हैं। वें कहते हैं कि 'किसान तीनों कृषि कानूनों के समर्थन में था। चंद किसान राजनैतिक स्वार्थ के कारण इसके विरोध में थे।'

हमारे संगठन हिंद मजदूर समिति ने तो तीनों नए कृषि कानूनों का खुलकर समर्थन किया था। यही नही 26 दिसंबर 2020 को अध्यक्ष चंद्रमोहन के नेतृत्व में हमने किसानों की ट्रैक्टर रैली (tractor rally) भी निकाली थी। यह रैली मुजफ्फरनगर से मेरठ होते हुए दिल्ली पहुंची थी। इसमें केंद्रीय राज्य मंत्री डा. संजीव बालियान की मौजूदगी में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को कृषि कानूनों के समर्थन में ज्ञापन सौंपा गया था।

तीनों कृषि कानूनों की वापसी किसानों की नहीं बल्कि राजनीति की जीत-प्रवक्ता नीरज मछरी

समिति के जिला प्रवक्ता नीरज मछरी के अनुसार सच्चाई यही है कि तीनों कृषि कानूनों की वापसी किसानों की नहीं बल्कि राजनीति की जीत है। नीरज मछरी सवालिया लहजे में आगे कहते हैं, अगर कानून गलत थे तो संसद में पारित ही क्यों किए गए। वे कहते हैं, इस निर्णय से देश में एक नई परंपरा की शुरुआत हो गई है। सीएए, तीन तलाक व अनुच्छेद 370 जैसे मामलों की वापसी की मांग करने वालों के हौसले बुलंद होंगे।

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