Up Election Result 2022 : पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक बार फिर भाजपा रालोद पर भारी हुई साबित
Up Election Result 2022: इस बार किसान आंदोलन और सपा-रालोद गठबंधन की वजह से भाजपा को मुजफ्फरनगर और शामली में चार सीटों का नुकसान हुआ।
Up Election Result 2022: रालोद बेशक जाटों की पार्टी कही जाती हो, लेकिन जाट विधायकों के मामले में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक बार फिर भाजपा भारी साबित हुई है। इसका पता इसी बात से चलता है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश से इस बार 17 विधायक जाट समाज से चुने गए हैं। इनमें से दस विधयक भाजपा के हैं। हालांकि, पिछली बार के मुकाबले इस बार चार सीटें कम हुई हैं।
बता दें कि पिछली बार यानी 2017 के चुनाव में 13 सीटों पर भाजपा के टिकट पर जाट नेता जीते थे। बाद रालोद का एक विधायक भाजपा में शामिल हो गया था, जिसके कारण भाजपा के जाट विधायकों की संख्या 14 हो गई थी।
मुजफ्फरनगर और शामली में चार सीटों का नुकसान
इस बार किसान आंदोलन और सपा-रालोद गठबंधन की वजह से भाजपा को मुजफ्फरनगर और शामली में चार सीटों का नुकसान हुआ। ऐसे में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन का असर माना जा रहा था। यही नहीं सपा-रालोद एक साथ चुनाव लड़ रहे थे। भाजपा के टिकट पर दस जाट विधायक जीतकर लखनऊ पहुंचे हैं। भाजपा का जाट बाहुल्य पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रदर्शन निराशाजनक नहीं कहा जा सकता है।
गौरतलब है कि स्थानीय मीडिया द्वारा चुनाव से आकंलन किया जा रहा था, कि इस जाट बैल्ट में भाजपा को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। भाजपा केे नेतृत्व भी इस बात से आशंकित थेे। बीजेपी ने इस बार आरएलडी-सपा के मुकाबले जाट समाज को अधिक टिकट यानी 17 उम्मीदवारों को टिकट दिए गए, जिनमें से दस जीत गये। जबकि आरएलडी ने 10 जाट उम्मीदवारों को टिकट दिए जिनमें से चार जीत सके। सपा ने सात जाट उम्मीदवारों को टिकट देकर मैदान में उतारा जिनमें से तीन जीते हैं।
दस जाट उम्मीदवार भाजपा के जीतें हैं
जनपद स्तर पर मिली सफलता की बात करें तो पिछली बार की तरह इस बार भी रालोद के गढ़ बागपत से भाजपा के दो जाट विधायक चुनाव जीतने में सफल हुए हैं। इसी तरह मथुरा जनपद से भाजपा के दो जाट उम्मीदवार जीते हैं। इसके अलावा गाजियाबाद, बुलन्दशहर, आगरा, हापुड़, बिजनौर और रामपुर से एक-एक जाट उम्मीदवार जीतने में सफल हुए हैं। इस तरह कुल मिलाकर दस जाट उम्मीदवार भाजपा के जीतें हैं। जबकि रालोद-सपा गठबन्धन के मुजफ्फरनगर जनपद से दो जाट उम्मीदवार जीते हैं। इसके अलावा हाथरस, शामली, बिजनौर और अमरोहा से एक-एक जाट उम्मीदवार जीते हैं। इस तरह कुल मिलाकर सात जाट उम्मीदवार जीते हैं।
गौरतलब है कि भाजपा और सपा-रालोद गठबंधन के बीच पिछले कई चुनावों से जाट समाज में वर्चस्व साबित करने की होड़ लगी थी। मुजफ्फरनगर दंगे के बाद बिगड़े जातीय समीकरण को साधने में पिछले चुनाव में अजित सिंह कामयाब नहीं हो सके और लोकसभा चुनाव के बाद अब विधानसभा चुनाव भी उनके लिए कटु अनुभव दे गया। 257 सीटों पर चुनाव लड़ने के बाद भी रालोद सिर्फ एक छपरौली सीट पर ही जीत हासिल कर सकी थी।
बहरहाल, ताजा चुनाव परिणामों से स्पष्ट हो गया है कि जाटों पर भाजपा की पकड़ कम जरुर हुई है, लेकिन उतनी नहीं जितना कि प्रचारित किया जा रहा था।