Saharanpur Ragging News: छात्रा के साथ रैगिंग के आरोप में दो छात्राएं 15 दिन के लिए निलंबित

Saharanpur Ragging News: राजकीय मेडिकल कालेज में 15 दिन पहले सीनियर छात्राओं ने एमबीबीएस की जूनियर छात्रा के साथ रैगिंग की थी।

Newstrack :  Network
Published By :  Pallavi Srivastava
Update:2021-07-31 09:20 IST

रैगिंग की सांकेतिक फोटो pic(social media)

Saharanpur Ragging News: सहारनपुर से मेडिकल छात्रा के साथ रैगिंग(Ragging) का मामला प्रकाश में आया है। राजकीय मेडिकल कालेज में 15 दिन पहले सीनियर छात्राओं ने एमबीबीएस की जूनियर छात्रा के साथ रैगिंग की थी। छात्रा के साथ दोबारा रैगिंग होने पर कालेज के प्राचार्य को परिजनों ने इसकी जानकारी दी। जांच में रैगिंग की पुष्टि होने पर प्राचार्य ने दोनों आरोपित छात्राओं को 15 दिन के लिए निलंबित कर दिया है।

रैगिंग की ये घटना कोई नयी नहीं है। कॉलेजों में छात्र-छात्राओं के साथ रैगिंग का मामला आए दिन सामने आता रहता है। कभी-कभी तो रैंगिंग से तंग आकर स्टूडेंस आत्महत्या तक कर लेते हैं। रैगिंग का एक मामला सहारनपुर के सरसावा से सामने आया है। राजकीय मेडिकल कालेज में फिर छात्रा के साथ रैगिंग हुआ है। इस बार छात्रों के बजाय छात्राओं ने एमबीबीएस की जूनियर छात्रा के साथ रैगिंग की है। जांच के बाद प्राचार्य ने दोनों आरोपित छात्राओं को 15 दिन के लिए निलंबित कर दिया है।

एमबीबीएस की जूनियर छात्रा के साथ सीनियर छात्राओं ने किया रैगिंग (सांकेतिक फोटो) pic(social media)

सहारनपुर के अंबाला रोड स्थित राजकीय मेडिकल कालेज में 15 दिन पहले एमबीबीएस की जूनियर छात्रा के साथ सीनियर छात्राओं ने रैगिंग किया था। लकिन दोबारा रैगिंग होने पर छात्रा के माता-पिता ने मेडिकल कालेज प्राचार्य डा. अरविंद त्रिवेदी को रैगिंग की जानकारी दी। प्राचार्य ने जांच कराई तो पीड़ित छात्रा से रैगिंग का मामला सही निकला। प्राचार्य ने बताया कि दोनों आरोपित छात्राओं को शैक्षणिक गतिविधियों तथा हास्टल से 15 दिन के लिए निलंबित कर दिया गया है। प्राचार्य का कहना है रैगिंग को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

क्या है रैगिंग

रैगिंग को आमतौर पर पुराने छात्रों द्वारा कॉलेज में नए छात्रों के स्वागत करने का और दोस्ताना माहौल कायम करने का एक तरीका माना जाता है। मतलब ये है कि इसे नए छात्रों और पुराने छात्रों के बीच की दूरियों को खत्म करने का प्रयास भी माना जा सकता है। ताकि नए छात्र अपने सीनियर्स को पहचान सकें, जान सकें। लेकिन पिछले कुछ सालों से इसका मतलब ही बदल गया है। रैगिंग के कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमे पुराने छात्र नए छात्रों पर रौब दिखाते हैं और मानसिक व शारीरिक उत्पीड़न भी करते हैं।

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