पतंजलि को जमीन देने के केस में यमुना एक्सप्रेस वे विकास प्राधिकरण से जवाब तलब
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पतंजलि योग पीठ को जमीन देने के मामले में यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने पूछा है कि यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक
लखनऊ/इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पतंजलि योग पीठ को जमीन देने के मामले में यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने पूछा है कि यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण से पूछा है कि उसने बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि योगपीठ को नोएडा में फूड पार्क बनाने के लिए कोई जमीन दी है या नहीं।
इस मामले में हाईकोर्ट में औसाफ़ नाम के एक व्यक्ति द्वारा याचिका दाखिल कर कहा गया है कि पतंजलि योगपीठ को आवंटित भूमि पर से हजारों हरे पेड़ काट दिए गए हैं। इन पेड़ों को लगाने का जिम्मा एक एनजीओ को दिया गया है। बाद में यही जमीन योगपीठ को फूडपार्क बनाने के लिए दे दी गई।
औसाफ की याचिका पर न्यायमूर्ति तरुण अग्रवाल और न्यायमूर्ति अजय भनोट की पीठ सुनवाई कर रही है। यमुना एक्सप्रेस वे अथॉरिटी का कहना है कि उसके अधिकारियों ने पेड़ नहीं कटवाए और न ही आवंटित भूमि पर कोई पेड़ था।
दूसरी ओर प्रदेश सरकार का कहना है कि अथॉरिटी के अधिकारियों ने ही मौके पर जाकर पेड़ों को कटवाया। सरकार और अथॉरिटी दोनों ही यह बता पाने में नाकाम हैं, वास्तव में पेड़ों को कटवाने या जेसीबी लगवाकर उखाड़ने का काम वास्तव में किसने किया है।
हाईकोर्ट ने विवादित भूमि पर कोई विकास करने या भूमि की प्रकृति में परिवर्तन करने पर पहले ही रोक लगा दी थी। याची का कहना है कि उसे 200 बीघा जमीन पेड़ लगाने के लिए 30 साल के पट्टे पर दी गई है। पतंजलि योगपीठ को फूड पार्क के लिए आवंटित भूमि में यह 200 बीघा जमीन भी शामिल है। इस पर याची ने करीब 6000 पेड़ लगवाए थे जिनको उखाड़ दिया गया। इससे पर्यावरण को गंभीर नुकसान हुआ है।