Sonia Gandhi Retirement: सोनिया के राजनीतिक संन्यास के संकेत, रायबरेली में भरपूर निराशा

Sonia Gandhi Retirement: सोनिया गांधी ने राजनीतिक संन्यास के संकेत क्या दिए, कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले रायबरेली के लोगों में निराशा झलकने लगी है।

Report :  Narendra Singh
Update:2023-02-25 17:41 IST

रायबरेली: सोनिया गांधी के राजनीतिक सन्यास के संकेत से रायबरेली की जनता निराश

Sonia Gandhi Retirement: सोनिया गांधी ने राजनीतिक संन्यास के संकेत क्या दिए, कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले रायबरेली के लोगों में निराशा झलकने लगी है। यहां से उनकी राजनीतिक विरासत को लेकर भी अटकलों का दौर शुरू हो गया है। कांग्रेस के अधिवेशन में उन्होंने ऐलान किया कि वे 2024 का लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगी। उनके एलान के बाद जहां पार्टी वर्कर्स, उनके समर्थकों में निराशा है वहीं उनके संसदीय क्षेत्र रायबरेली की जनता भी उनके फैसले से दुखी है। एक सांसद के रूप में सोनिया गांधी से रायबरेली की जनता का 20 साल का नाता है।

2004 से मिल रहा जनता का भरपूर प्यार

सोनिया गांधी ने जब कांग्रेस की कमान संभाली थी। उस समय सोनिया गांधी को विदेशी मूल के मुद्दे पर काफी घेरा गया था। भाजपा के इंडिया शाईनिंग के नारे के जवाब में कांग्रेस सोनिया गांधी के नेतृत्व में चुनावी मैदान में उतरी। सोनिया गांधी ने अपने पहले लोकसभा चुनाव के लिए अपनी सास इंदिरा गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली को चुना। 2004 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का 'इंडिया शाइनिंग' नारा धराशायी हो गया और कांग्रेस को देश भर में जीत मिली। सोनिया गांधी ने रायबरेली सीट से भारी मतों से जीत हासिल की।

भावनात्मक रूप से जुड़े हैं लोग

सोनिया गांधी को लेकर रायबरेली की जनता में काफी अपनत्व देखा गया। सोनिया गांधी को अपने बीच पाकर रायबरेली की जनता काफी गदगद दिखती है। इंदिरा गांधी के 1980 में रायबरेली सीट छोड़ देने के बाद रायबरेली की जनता का गांधी परिवार से रिश्ता टूट गया था, जो सोनिया गांधी के आने के बाद फिर से जुड़ गया। सोनिया गांधी से रायबरेली की जनता भावनात्मक रूप से जुड़ गयी। 2004 से सोनिया से जुड़ा ये रिश्ता आज तक ख़त्म नहीं हुआ। 2004 के बाद रायबरेली की जनता ने लगातार सोनिया गांधी को सिर आंखों पर बैठाया है। चुनाव जीतने के दो साल बाद ऑफिस ऑफ़ प्रॉफिट के मुद्दे पर सोनिया गाँधी ने लोक सभा से इस्तीफा दे दिया, उसके बाद फिर 2006 में रायबरेली से उपचुनाव लड़ा और प्रचंड मतों से जीत हासिल की।

लगातार हैं यहां से सांसद

सोनिया गांधी ने 2009, 2014 व 2019 के लोकसभा चुनाव में रायबरेली से जीत हासिल की। रायबरेली को कांग्रेस का गढ़ कहा जाने लगा। सोनिया गांधी ने रायबरेली के विकास के लिए बहुत काम किया। रेल कोच कारखाना और एम्स सोनिया गांधी की देन है। सोनिया गांधी ने रायबरेली को एक एजुकेशन हब बनाने की दिशा में काम करना शुरू किया। इसके लिए उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली में निफ्ट, राजीव गांधी पेट्रोलियम संस्थान, नाइपर, रायन इंटरनेशनल स्कूल जैसे उच्चकोटि के संस्थान स्थापित किये। उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र में सड़कों को एनएच से जोड़ा और जाम से जूझ रही जनता को कई फ्लाइओवर दिए। उन्होंने रायबरेली में विकास की ऐसी गाथा लिखी कि लोग उनकी तारीफ करते नहीं थकते हैं। ऐसे में जब सोनिया गांधी ने संन्यास के संकेत दिए हैं तो रायबरेली की जनता काफी दुखी है।

क्या कहते हैं लोग

वरिष्ठ समाजसेवी रामसेवक चौधरी एडवोकेट ने कहा कि सोनिया गांधी के जगह अगर कोई आदमी आएगा तो वह पार्टी का प्रतिमूर्ति बनकर रह जाएगा। सोनिया गांधी एक बड़ी शख्सियत है। अगर 2024 में सोनिया गांधी चुनाव नहीं लड़ती तो यहां पर बड़ा फर्क पड़ सकता है। उनकी जगह पर कोई भी आएगा तो बड़ा ही कठिन होगा। वरिष्ठ नागरिक दयानन्द त्रिपाठी का कहना है कि सोनिया गांधी ने जिस दौर में कांग्रेस को जीवित किया और देश में सरकार बनाई वह एक चमत्कार था। सोनिया गांधी कांग्रेस पार्टी के लिए और रायबरेली जिले के लिए एक वरदान रही हैं। इंदिरा जी के बाद सोनिया गांधी ने रायबरेली को एक नया जीवन और पहचान देने का काम किया है। आज यदि स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने संन्यास लेने का इशारा किया है आप अब दादी इंदिरा गांधी और मां सोनिया गांधी के बाद बिटिया प्रियंका गांधी की ओर हम रायबरेलीवासी आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं।

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