आगराः शाहजहां के 361वें उर्स में खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी द्वारा जब 870 मीटर लंबी चादर चढ़ाई गई तो सांप्रदायिक सद्भाव की महक फिजाओं में घुल गई। शाही द्वार पर गूंजती शहनाई और मुख्य मकबरे पर होती कव्वालियों के बीच ढोल-ताशों के साथ अकीदतमंदों ने चादरपोशी कर दुआ मांगी।
सुबह हुआ कुलशरीफ
-ताज में शहंशाह शाहजहां का उर्स मंगलवार को गुस्ल की रस्म से शुरू हुआ था।
-बुधवार को संदल चढ़ाया गया तो गुरुवार को कब्र पर कुलशरीफ की रस्म निभाई गई।
-मदरसों में पढऩे वाले बच्चों और हाफिजों ने कुरान के पारे पढ़कर शाहजहां को बख्शे।
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-कुरानख्वानी के बाद कलमा और उसके बाद फातिहा पढ़ा गया और गुलपोशी हुई।
-तवर्रुख में चने,किशमिश और इलाइची दाना तकसीम किया गया।
-इसके बाद चादरपोशी और पंखे चढ़ाने का सिलसिला शुरू हुआ।
चढ़ाई गई 870 मीटर की चादर
-दोपहर 3.15 बजे हनुमान मंदिर से खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी की 870 मीटर लंबी सतरंगी चादर ताज पहुंची।
-सभी धर्मों के धर्मगुरु और धर्मावलंबी इसके साथ चल रहे थे।
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-ताजमहल में इसका एक छोर मुख्य गुंबद पर था तो दूसरा फोरकोर्ट में।
-इसके चलते भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और केंद्रीय सुरक्षा बल के कर्मियों को मशक्कत करनी पड़ी।
लगा जायरीनों का जमघट
-शाहजहां की मजार पर चादर पहुंचने के बाद जायरीनों ने मन्नत मांगी।
-फातिहा पढऩे के बाद देश में अमन-चैन और खुशहाली के लिए दुआ मांगी गई।
-नेपाल के भूकंप पीडि़तों की मदद के लिए भी दुआ मांगी गई।
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प्रेम औरशांति का संदेश
कमेटी अध्यक्ष हाजी ताहिरउद्दीन ताहिर ने कहा कि सतरंगी चादर के जरिए हम प्रेम और शांति का संदेश ताजमहल से दुनिया भर में पहुंचाना चाहते हैं।