विधान परिषद में शिक्षक दल के नेताओं पर व्यक्तिगत आक्षेप पर हुआ हंगामा
इतने लंबे कार्यकाल में आज पहली बार उन्हें वेल में आने के लिए मजबूर होना पड़ा है। लगातार टोकने के बावजूद जब संजय मिश्रा ने बोलना बंद नहीं किया तो अधिष्ठाता देवेन्द्र प्रताप सिंह ने उन्हें सदन का त्याग करने को कहा और बाहर न जाने पर मार्शल के जरिए जबरन निकलवा दिया।
लखनऊ: विधान परिषद में शून्य प्रहर के दौरान सोमवार को वित्त विहीन शिक्षकों के मुद्दे पर बोलते हुए सपा सदस्य संजय मिश्रा द्वारा शिक्षक दल के नेताओं पर कुछ व्यक्तिगत आक्षेप लगा दिए जाने से जबरदस्त हंगामा खड़ा हो गया। सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य और शिक्षक दल के नेता ओम प्रकाश शर्मा ने इन आक्षेपों पर कड़ी आपत्ति जतायी और विरोध स्वरूप वेल में आ गए।
उन्होंने कहा कि अपने इतने लंबे कार्यकाल में आज पहली बार उन्हें वेल में आने के लिए मजबूर होना पड़ा है। लगातार टोकने के बावजूद जब संजय मिश्रा ने बोलना बंद नहीं किया तो अधिष्ठाता देवेन्द्र प्रताप सिंह ने उन्हें सदन का त्याग करने को कहा और बाहर न जाने पर मार्शल के जरिए जबरन निकलवा दिया।
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संजय मिश्रा ने अपने आक्षेपों के लिए सदन में ओम प्रकाश शर्मा से क्षमा मांगी
जिसके विरोध में सभी सपा सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया। बाद में संजय मिश्रा ने अपने आक्षेपों के लिए सदन में ओम प्रकाश शर्मा से क्षमा मांगी। जिसके बाद पीठ ने उन्हें सदन से बाहर किए जाने का निर्णय वापस लिया। अधिष्ठाता ने कहा कि पूरा सदन ओम प्रकाश शर्मा का सम्मान करता है और उनके साथ है।
निर्दलीय समूह के राज बहादुर सिंह चन्देल, चेत नारायण सिंह एवं अन्य सदस्यों ने प्रदेश के सभी वित्तविहीन शिक्षकों की सेवा नियमावली बनाते हुए सम्मानजनक मानदेय दिए जाने का मामला उठाया। सपा के नरेश चन्द्र उत्तम, राम सुन्दर दास निशाद एवं अन्य सदस्यों की नियम-105 एवं इसी विषय से संबन्धित शिक्षक दल के ओम प्रकाश शर्मा, हेम सिंह पुण्डीर एवं अन्य सदस्यों की नियम-111 की सूचना को उक्त सूचना के साथ सम्बद्ध किया गया।
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सूचना की ग्राहय्ता पर बोलते हुए संजय मिश्रा द्वारा अपने विचारों को व्यक्त करते समय उन्होंने कुछ आरोपित शब्दों का प्रयोग किया गया। जिस के विरोध में शिक्षक दल के ओम प्रकाश शर्मा व दल के अन्य सदस्य वेल में आ गए। अधिष्ठाता देवेंद्र प्रताप सिंह ने संजय मिश्रा को अक्षेपित भाषा प्रयोग करने से मना किया और शिक्षक दल को अपने स्थान पर लौटने के लिए कहा। शिक्षक दल के सदस्यों के वापस अपने स्थान पर जाने के बाद अधिष्ठाता ने कहा कि ओम प्रकाश शर्मा के प्रति कोई बात स्वीकार नहीं की जाएगी।
मार्शल संजय मिश्रा को बाहर लेकर गए
संजय मिश्रा ने जो आक्षेप लगाए हैं वह कार्रवाई का हिस्सा नहीं बनेंगे। जिसके बाद संजय मिश्रा भी वेल में आ गए। अधिष्ठाता ने उन्हें सदन का त्याग करने के लिए कहा। बार-बार कहने के बाद भी जब उन्होंने सदन का त्याग नहीं किया तो अधिष्ठाता ने मार्शल को उन्हें बाहर करने के लिए आदेशित किया। मार्शल संजय मिश्रा को बाहर लेकर गए। अधिष्ठाता के इस निर्णय के विरोध में नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन व सपा के सभी सदस्यों ने सदन का परित्याग किया। नेता सदन डा.दिनेश शर्मा ने सदन को तथ्यों से अवगत कराया। अधिष्ठाता ने कार्यस्थगन अस्वीकार कर सूचना शासन को प्रभावी कार्यवाही के लिए संदर्भित करने के निर्देश दिए।
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अधिष्ठाता देवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि नियम-41 में पीठ को अधिकार है
इस बीच सपा सदस्य वापस सदन मेें लौट आए। सपा के शतरुद्ध प्रकाश ने कहा कि संजय मिश्रा को सदन से बाहर निकालना गरिमा के अनुकूल नहीं है। उन्हें सदन की राय से ही बाहर किया जाना चाहिए था। इस पर अधिष्ठाता देवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि नियम-41 में पीठ को अधिकार है। शतरुद्ध प्रकाश ने प्रस्ताव रखा कि सदन की राय से पीठ संजय मिश्रा को पुनः कार्रवाई में हिस्सा लेने के लिए सदन में वापस बुलाए। अधिष्ठाता ने कहा कि इस पर सभी दलीय नेता अपनी राय दें। उन्होंने सबसे पहले शिक्षक दल नेता ओम प्रकाश शर्मा से राय देने को कहा। शर्मा ने कहा कि सभापति को अधिकार है कि जब चाहे जिस सदस्य को बाहर जाने को कह सकते हैं।
सपा सदस्य संजय मिश्रा ने सदन में आकर ओम प्रकाश शर्मा से अपने व्यवहार के लिए क्षमा याचना की
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उन्होंने कहा, हालांकि मैने किसी को सदन से बाहर करने की मांग नहीं की थी। नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन ने कहा कि किसी सदस्य को इस तरह नहीं निकालना चाहिए। उन्होंने अधिष्ठाता से कहा कि संजय मिश्रा को वापस बुलाकर बात खत्म करें। नेता सदन डा.दिनेश शर्मा ने कहा कि ओम प्रकाश शर्मा इस सदन के सर्वश्रेष्ठ सदस्य हैं। आज वह आहत हुए हैं। पूरा सदन उनके साथ हैं और अपने को सम्बद्ध करता है। सपा सदस्य संजय मिश्रा ने सदन में आकर ओम प्रकाश शर्मा से अपने व्यवहार के लिए क्षमा याचना की। जिसके बाद अधिष्ठाता देवेंद्र प्रताप सिंह ने संजय मिश्र को सदन से बाहर जाने के अपने आदेश को वापस लिया।