यश भारती पुरस्कार के विरोध में याचिका दाखिल, HC से की गई समीक्षा की मांग

यश भारती पुरस्कार का मामला हाई केार्ट पहुंच गया है। सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज नाम के एक संगठन की ओर से यश भारती पुरस्कार के विरोध में कोर्ट के समक्ष याचिका दाखिल कर पुरस्कृत और पुरस्कार के लिए चुने गये लोगों की पात्रता की समीक्षा की मांग की गई है।

Update: 2016-12-19 16:45 GMT

लखनऊ: यश भारती पुरस्कार का मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है। सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज नाम के एक संगठन की ओर से यश भारती पुरस्कार के विरोध में कोर्ट के समक्ष याचिका दाखिल कर पुरस्कृत और पुरस्कार के लिए चुने गये लोगों की पात्रता की समीक्षा की मांग की गई है।

क्या कहा गया है याचिका में ?

संगठन की वकील डॉ. नूतन ठाकुर के अनुसार याचिका में कहा गया है कि इस पुरस्कार के लिए चयन प्रक्रिया पूरी तरह से मनमाने ढंग से अपनाई जाती है। इस पुरस्कार के लिए चुने गए व्यक्ति को यूपी सरकार 11 लाख रुपए और भारी रकम मासिक पेंशन दे रही है।

वकील ने कहा कि इन पुरस्कारों के लिए किसी भी नियम का पालन नहीं किया जा रहा है और इन्हें केवल भाई-भतीजेवाद में दिया जा रहा है। अंतिम समय तक पुरस्कार पाने वालों के नाम बढ़ाए जाते हैं और उन्हें मनमाने ढंग से चुना जा रहा है। जो स्पष्ट रूप से अनुचित कृत्य और शासकीय धन का दुरुपयोग है।

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याचिका में क्या मांग की गयी है ?

याचिका में मांग की गई है कि हाई कोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाकर साल 2012 से 2016 के बीच दिए गए यश भारती पुरस्कारों की समीक्षा कराई जाए और गलत ढंग से पुरस्कार पाए लोगों से इसे वापस लिया जाए।

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