टीईटी में शामिल होने को मान्यता न देने के खिलाफ याचिका दाखिल
याचीगण के अधिवक्ता के मुताबिक मान्यता प्राप्त और गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों में पढ़ा रहे अप्रशिक्षित अध्यापकों के लिए एनसीटीई ने 28 नवम्बर 2014 को प्रशिक्षण हेतु आदेश जारी किया।
प्रयागराज: प्रदेश के गैर प्रशिक्षित कार्यरत शिक्षकों ने टीईटी 2019 में शामिल होने के लिए मान्यता नहीं देने के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की है। इनका कहना है कि एनसीटीई की गाइडलाइन के मुताबिक सभी योग्यताएं होने और मान्यता प्राप्त संस्थान से डीएलएड की डिग्री लेने के बावजूद टीईटी 2019 के जारी शासनादेश में उनको शामिल नहीं किया गया है। अखिलेश सिंह चौहान और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने एनसीटीई से इस मामले में जवाब तलब किया है। याचिका पर आठ दिसम्बर को सुनवाई होगी।
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याचीगण के अधिवक्ता के मुताबिक मान्यता प्राप्त और गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों में पढ़ा रहे अप्रशिक्षित अध्यापकों के लिए एनसीटीई ने 28 नवम्बर 2014 को प्रशिक्षण हेतु आदेश जारी किया। इनको प्रशिक्षण देने के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपेन स्कूलिंग नोएडा को 22 सितम्बर 2017 को मान्यता दी गयी। याचीगण ने इस संस्थान से दो वर्षीय डीएलएड पाठ्यक्रम में दाखिला ले लिया। 22 मई 2019 को उनका परिणाम भी आ गया। 17 अक्टूबर 2019 को टीईटी 2019 का शासनादेश जारी किया गया। इसमें ओपेन स्कूलिंग इंस्टीट्यूट को स्थान नहीं दिया गया।
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याचीगण का कहना है कि संस्थान एनसीटीई द्वारा मान्यता प्राप्त है। एनसीटीई के ही 23 अगस्त 2010 की अधिसूचना के मुताबिक डीएलएड की डिग्री सहायक अध्यापक के लिए मान्य है चाहे उसे जिस भी नाम से जाना जाता है। अर्हता पूरी करने के बावजूद परीक्षा नियामक प्राधिकारी द्वारा उनका आवेदन इसलिए स्वीकार नहीं किया गया कि शासनादेश में एनआईओएस को शामिल नहीं किया गया है। कोर्ट ने इस मामले में एनसीटीई को आठ दिसम्बर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।