हाईकोर्ट में कांग्रेस के 72 हजार देने के चुनावी वादे के खिलाफ टली सुनवाई

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के चुनावी घोषणापत्र में देश के 25 फीसदी गरीबों को प्रतिवर्ष 72 हजार रूपये देने के वायदे को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के विपरीत मानते हुए कार्यवाही की मांग में याचिका की सुनवाई टाल दी है।

Update:2019-04-05 21:09 IST

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के चुनावी घोषणापत्र में देश के 25 फीसदी गरीबों को प्रतिवर्ष 72 हजार रूपये देने के वायदे को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के विपरीत मानते हुए कार्यवाही की मांग में याचिका की सुनवाई टाल दी है।

याचिका की सुनवाई 12 अप्रैल अगले शुक्रवार को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति पीकेएस.बघेल तथा न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की खण्डपीठ ने अधिवक्ता मोहित कुमार व अमित पाण्डेय की जनहित याचिका पर दिया है।

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याची का कहना है कि घोषणा को घोषणापत्र से हटाया जाए, याची के 3 अप्रैल 19 को चुनाव आयोग को भेजे गये प्रत्यावेदन को निर्णीत किया जाए। याची का कहना है कि प्रलोभन देकर वोट को प्रभावित करना निष्पक्ष चुनाव के सिद्धान्त के विपरीत है। चुनाव आयोग का दायित्व है कि वह बिना भय, प्रलोभन के निष्पक्ष चुनाव सम्पन्न कराये, ऐसा करना चुनाव आचार संहित का उल्लंघन है।

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आयोग के अधिवक्ता बीएन सिंह का कहना था कि चुनाव से संबंधी शिकायत पर विचार करने का अधिकार आयोग को है। सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने फैसले में ऐसा ही कहा है। कोर्ट ने याचिका को उचित पीठ के समक्ष सुनवाई हेतु पेश करने के लिए मुख्य न्यायाधीश के समक्ष पत्रावली प्रेषित कर दी है।

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