Phulpur Lok Sabha Election 2024: फूलपुर लोकसभा सीट पर सभी दल जातीय मतदाताओं के भरोसे, जनता की है यह मांग
Phulpur Lok Sabha Election 2024: फूलपुर लोकसभा क्षेत्र के लोगों की मानें तो यहां लड़ाई सपा और भाजपा के बीच है। भाजपा जहां विकास की बात कह रही है, वहीं सपा जनसमस्याओं और विरोध के सहारे जीत की ओर ताक रही है।
Phulpur Lok Sabha Election 2024 Analysis: देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की कर्मभूमि रहे फूलपुर लोकसभा सीट पर भाजपा ने जीत की हैट्रिक लगाने के लिए प्रवीण पटेल को चुनावी रण में उतारा है। जबकि सपा ने अमरनाथ मौर्य को चुनावी रण में उतारा है। वहीं बसपा ने जगन्नाथ पाल को उम्मीदवार बनाया है। ये तीनों उम्मीदवार कभी बसपाई हुआ करते थे। प्रवीण पटेल 2017 में बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। अमरनाथ मौर्य भी बसपा से सपा में आए थे। 2002 में वह शहर पश्चिम से बसपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। वहीं जगन्नाथ पाल पुराने बसपाई हैं। वह बसपा के संस्थापक कांशीराम के चुनाव एजेंट के रूप में भी काम कर चुके हैं। ऐसे में इस सीट पर लड़ाई रोचक हो गई है।
इस सीट से माफिया अतीक अहमद भी सपा के टिकट पर सांसद रह चुका है। लोकसभा चुनाव 2004 में बसपा के उम्मीदवार रहीं केशरी देवी पटेल को 64,347 वोट से हराकर संसद पहुंचा था। फिलहाल फूलपुर लोकसभा क्षेत्र के 4 विधानसभा सीटों पर भाजपा और 1 पर सपा का कब्जा है। इलाहबाद पश्चिम विधानसभा सीट से देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के पोते सिद्धार्थ नाथ सिंह विधायक हैं। ऐसे में भाजपा के लिए यह सीट जीतना इज़्ज़त का सवाल है। वहीं प्रयागराज में कहा जा रहा है कि इस सीट पर प्रवीण पटेल को टिकट दिलाने का श्रेय राज्य के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को जाता है। इसलिए जीत हार के लिए भी वहीं ज़िम्मेदार होंगे।
तीनों प्रमुख पार्टियों को इन मतदाताओं पर भरोसा
फूलपुर सीट पर पिछड़ों की निर्णायक भूमिका रहती है। इनमें भी कुर्मी मतदाताओं की बड़ी भूमिका होती है। इस जातीय समीकरण को देखते हुए भाजपा ने प्रवीण पटेल को उम्मीदवार बनाया है। प्रवीण फिलहाल फूलपुर विधानसभा सीट से विधायक हैं। उनके पिता महेंद्र प्रताप भी 1984, 1989 और 91 में इसी लोकसभा क्षेत्र की झूंसी (अब फूलपुर विस सीट) विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं। वहीं सपा ने यादव और मुस्लिम मतदाताओं के साथ अन्य पिछड़ी जातियों के ध्रुवीकरण को ध्यान में रखते हुए अमर नाथ मौर्य को उम्मीदवार बनाया है। बसपा ने जगन्नाथ पाल और अपना दल (कमेरावादी) ने महिमा पटेल को उम्मीदवार बनाया है। यहां तीन लाख कुर्मी और दो लाख यादव मतदाता हैं। जबकि पिछड़ी जाति के अन्य मतदाताओं की संख्या भी करीब तीन लाख है। वहीं ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या दो लाख है। शहर के दोनों विधानसभा क्षेत्र शहर उत्तरी और पश्चिमी में कायस्थ मतदाताओं की संख्या भी दो लाख से अधिक है। इसके अलावा करीब ढाई लाख मुस्लिम और ढाई लाख से अधिक अनुसूचित जाति के मतदाता भी हैं। इंडिया गठबंधन की ओर से राहुल और अखिलेश के संयुक्त जनसभा में भारी भीड़ देखने को मिली थी।
फूलपुर लोकसभा क्षेत्र के ये हैं मुद्दे
फूलपुर लोकसभा क्षेत्र के लोगों की मानें तो यहां लड़ाई सपा और भाजपा के बीच है। भाजपा जहां विकास की बात कह रही है, वहीं सपा जनसमस्याओं और विरोध के सहारे जीत की ओर ताक रही है। वहीं चुनावी मुद्दे की बात करें तो नेहरू-गांधी परिवार के पैतृक निवास आनंद भवन से महज 50 कदम की दूरी पर महर्षि भारद्वाज आश्रम को कॉरिडोर का रूप दिया जा रहा है। इससे इलाके में पर्यटन तो बढ़ेगा। लेकिन तीन दर्जन से अधिक मकान इसकी जद में आने के कारण टूटे हैं। इससे लोगों में नाराजगी भी है और खुशी भी। नाराज वे हैं, जिनके मकान टूटे और खुश वे जो इस आश्रम के आसपास व्यवसाय करते हैं। उन्हें आस है कि आने वाले समय में उनका व्यवसाय फले-फूलेगा। वहीं योगी सरकार के कानून व्यवस्था और गरीबों को मिल रहे राशन से खुश हैं तो बेरोजगारी और मंहगाई से नाराज भी हैं। फूलपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले सलोरी इलाके में काफी तादाद में प्रतियोगी छात्र रहते हैं। इनमें स्थानीय लोगों के साथ पूरे प्रदेश से आकर तैयारी करने वाले छात्र भी हैं। उनका कहना है कि लगातार पेपर लीक हो रहे हैं। कितनी मुश्किल से बच्चे एक-एक पाई जुटाकर परीक्षाओं के फॉर्म भरते हैं। पेपर लीक होने पर पैसे तो बर्बाद होते ही हैं जीवन का कीमती समय भी बर्बाद होता है। यही हाल रहा तो कैसे रोजगार मिलेगा।