Pilibhit News: टाइगर के खौफ में पीलीभीत, हमले से बढ़ा मौतों का आंकड़ा, अब तक क्यों लापरवाह प्रशासन
Pilibhit Tiger Attack Case: इसी साल 30 मई से अभी तक बाघ चार लोगों को मौत के घाट उतार चुका है। तो वही 7 साल में पीलीभीत में लगभग 40 लोग टाइगर के हमले में मारे जा चुके हैं।
Pilibhit Tiger Attack Case: यूपी के पीलीभीत जनपद के टाइगर रिजर्व के जंगलों के किनारे रह रहे ग्रामीणों के लिए अब हिंसक वन्यजीवों का खतरा बढ़ता जा रहा है। जंगल के किनारे तार फेंसिंग न होने के कारण आसपास रहने वाले ग्रामीणों पर आए दिन बाघ, तेंदुआ या अन्य हिंसक वन्यजीव हमला कर रहे हैं, जिससे अब मानव वन्यजीव संघर्ष काफी बढ़ गया। लगातार बाघ, तेंदुआ समेत कई हिंसक वन्यजीव जंगल से बाहर निकलकर बस्तियों में घुस रहे हैं। इससे ग्रामीणों की जाने भी जा रही हैं। आपको बता दे कि इसी साल 30 मई से अभी तक बाघ चार लोगों को मौत के घाट उतार चुका है। तो वही 7 साल में पीलीभीत में लगभग 40 लोग टाइगर के हमले में मारे जा चुके हैं। देखिये ये रिपोर्ट
जब टाइगर रिजर्व घोषित हुआ
वर्ष 2014 में पीलीभीत टाइगर रिजर्व घोषित हुआ है तब से यहां पर बाघ और तेंदुआ के हमले से दर्जनों जाने जा चुकी हैं। इसी साल की बात करें तो कई ग्रामीणों पर बाघ तेंदुआ हमला कर चुके हैं और कई इंसानो व मवेशियों को मौत के घाट उतार दिया है। 30 मई 2023 को ग्राम अलीगंज के 40 वर्षीय अशोक कुमार अपने गन्ने के खेत में खुदाई कर रहे थे तभी जंगल से निकलकर आए तेंदुए ने उन पर हमला कर दिया अन्य ग्रामीणों ने बचाने की कोशिश की लेकिन तब तक अशोक कुमार की मौके पर ही मौत हो गई। वही 27 जून को ग्राम रानीगंज के रहने वाले लालता प्रसाद अपने खेत में पानी लगा रहे थे तभी घात लगाए बैठे टाइगर ने उन पर हमला कर दिया और गन्ने के खेत में ले जाकर उनको मौत के घाट उतार दिया उस समय बेटे ने रो-रोकर अपने पिता की मौत व दहशत के उन पलों को बयां किया था।
बच्ची को बनाया शिकार
इसी तरह पीलीभीत के ग्राम सेलहा में 27 जुलाई 2023 को 7 वर्षीय बेबी अपने दरवाजे पर बच्चों के साथ खेल रही थी। तभी बच्चों के सामने ही बाघ बेबी को मुंह में दबाकर जंगल में उठाकर ले गया। जब तक ग्रामीण भाग कर जंगल में पहुंचे बेबी की मौत हो चुकी थी। तो वही 15 अगस्त 2023 को राम मूर्ति अपने खेत में पानी लगा रहे थे तभी अचानक से बाघ ने हमला कर दिया और खेत से उठाकर जंगल में ले गया और मौत के घाट उतार दिया। 16 अगस्त को ग्रामीणों द्वारा जब जंगल में राम मूर्ति को ढूंढा जा रहा था तो टाइगर राममूर्ति के अधखाए शव को मुंह में दबाए घूम रहा था। किसी तरह से टाइगर से ग्रामीणों ने शव को छीना और जंगल से निकाल कर लाया गया।
वन विभाग की लापरवाही
इतनी मौतों के बाद वन विभाग अभी तक नहीं चेता है जबकि पीलीभीत में वन विभाग के दो दो कार्यालय हैं। एक सामाजिक वानिकी पीलीभीत तो दूसरा पीलीभीत टाइगर रिजर्व। आरोप है की सामाजिक वानिकी के कर्मचारी गांव में जाते ही नहीं है सूचना के बाद भी वह मौके पर नहीं जाते जिससे घटनाएं घट जाती हैं। इसके साथ ही अधिकारी भी ऑफिस टाइम पर गायब रहते हैं। हमने जब सामाजिक वानिकी के डीएफ संजीव कुमार से मिलने की कोशिश की तो उन्होंने मिलने से ही मना कर दिया।
वहीं पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल ने फोन ही नहीं उठाया जिसके बाद डीएम की सिफारिश पर वह बात करने को राजी हुए। पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि जंगल में 100 किलोमीटर के एरिया में तार फेंसिंग की आवश्यकता है। जिसमें 17 किलोमीटर की तार फेंसिंग कर दी गई है। इसके साथ ही जंगल से सटे 272 गांव हैं जिनमें से 72 गांव अति संवेदनशील घोषित किए गए हैं। जल्द ही वह 25 किलोमीटर और तार फेंसिंग करा देंगे इसके साथ ही वन्यजीव एक्सपर्ट टीएच खान ने भी इस समस्या से निजात दिलाने के लिए अपनी राय दी।
इन सबके बीच ग्रामीणों का आरोप है कि बार-बार घटनाएं हो रही है। जंगल के किनारे पर खेत हैं, इसलिए ग्रामीण खेतों पर आते जाते रहते हैं। जब कोई वन्यजीव दिखता है तो सूचना दी जाती है लेकिन वन विभाग मौके पर नहीं आता और बाद में घटना घट जाती है वन विभाग बार-बार तार फेंसिंग का आश्वासन दे दिया जाता है लेकिन उस पर आज तक कोई अमल नहीं हुआ। यह तब है जब सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी वन्यजीवों से हो रही मौतों का मुद्दा विधानसभा में उठा चुके हैं।