पहले बेगुनाह की बेरहमी से की पिटाई फिर झूठा साबित करने में जुटी पुलिस
वहीं इस मामले में एसएसपी वाराणसी आनंद कुलकर्णी ने बताया कि पुलिस द्वारा ई-रिक्शा चालकों को व्यवस्था को लेकर समझाया जा रहा था ऑयर उसी बीच कुछ ई-रिक्शा चालकों ने पुलिस से बहस कर ली|
वाराणसी: वाराणसी थाना दशास्वमेध क्षेत्र के कोदई चौकी इलाके में उस वक्त हड़कंप मच गया जब एक दरोगा व दो सिपाही ने मिलकर एक ई रिक्शा चालक को बेरहमी से पिटाई के बाद वायरल होता वीडियो का सच जब सामने आया तो बौखलाए बनारस की पुलिस ने अब अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को बचाने का प्रयास करने लगी। हालांकि एसएसपी वाराणसी इन्हें कार्यवाही करते हुए दोषी पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है।
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जहाँ एक तरफ प्रदेश के पुलिस मुखिया कहते है की उत्तर प्रदेश की पुलिस मित्र पुलिस है लेकिन उन्ही के आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। जबकि कुछ ही घंटे पहले ही बनारस में सूबे के मुख्यमंत्री ने किये समीक्षा बैठक की थी। आखिर गरीब रिक्शा चालक की खुलेआम रोड पर मारपीट करना कहाँ तक जायज है क्या मानवाधिकारों का खुला उलंघन नहीं है जिसके ऊपर मानवाधिकार को बचाने की जिम्मेदारी है वही जब इस तरह के कार्य कर रहे हैं तो आम जनता थाने में जाने से डरती ही रहेगी। इस बात से तुलसी दास जी का एक वाक्य याद आता है की 'समरथ को नहीं दोष गोसाई'
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वहीं इस मामले में एसएसपी वाराणसी आनंद कुलकर्णी ने बताया कि पुलिस द्वारा ई-रिक्शा चालकों को व्यवस्था को लेकर समझाया जा रहा था ऑयर उसी बीच कुछ ई-रिक्शा चालकों ने पुलिस से बहस कर ली इस पर पुलिस ने उन्हें समझाने की कोशिश की नही मानने पर उन्हें थाने लाने की कोशिश करने लगी पर विरोध होने लगा। जिसके बाद पुलिस ने बलप्रयोग किया। हालांकि जिसतरह से अमानवीय तरीका कुछ पुलिस कर्मियों ने अपनाया उसपर कार्यवाही करते हुए दोषी पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है।
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