Mirzapur News: 30 साल बाद मिला न्याय! फर्जी मुकदमे में फंसाने वाले 5 पुलिसकर्मियों को पांच साल की कैद

Mirzapur News: मिर्जापुर के बिरोही गांव के रहने वाले युवक ने आरोप लगाया था कि पुलिसकर्मियों के उकसाने की वजह से उसकी मां ने मिट्टी का तेल छिड़ककर आग लगा ली थी, जिससे उसकी मां की मृत्यु हो गई थी। युवक के द्वारा प्रकरण की जांच को लेकर मांग की गई थी।

Update: 2023-04-02 15:56 GMT
मिर्जापुर में 30 साल बाद न्याय (फोटो: सोशल मीडिया)

Mirzapur News: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में 31 साल पुराने मामले में अपर सत्र न्यायाधीश वायुनन्दन मिश्रा ने छह पुलिसकर्मियों को 5 साल की कठोर सजा के साथ 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। मिर्जापुर के बिरोही गांव के रहने वाले युवक ने आरोप लगाया था कि पुलिसकर्मियों के उकसाने की वजह से उसकी मां ने मिट्टी का तेल छिड़ककर आग लगा ली थी, जिससे उसकी मां की मृत्यु हो गई थी। युवक के द्वारा प्रकरण की जांच को लेकर मांग की गई थी। सीबीसीआईडी जांच में दोषी पाए जाने के बाद पुलिसकर्मियों के विरुद्ध मुकदमा चल रहा था, जहां 31 साल बाद इस मुकदमे में फैसला आया है।

1992 में दर्ज किया गया था मुकदमा
पीड़ित पक्ष से सुभाष तिवारी ने अपने तहरीर देकर आरोप लगाया था कि विंध्याचल थाना के तत्कालीन थानाध्यक्ष अमरेंद्र कांत सिंह के नेतृत्व में 24 अगस्त को पुलिस टीम सुबह पांच बजे ही घर पहुंच गई। घर पर माता जी पूजा की तैयारी कर रहीं थीं। इसी बीच पुलिस ने छोटे भाई भोला तिवारी के बारे में मां से पूछा। मां ने पुलिसकर्मियों को कहा कि आप थोड़ी देर इंतजार कर लीजिये, जब परिवार के लोग आएंगे तो जानकारी ले लीजिएगा। इस बात से आग बबूला हुए थानाध्यक्ष अमरेंद्र कांत सिंह ने महिला को जमकर गालियां दी, जबरन गाड़ी में बैठाने को लेकर प्रयास करने लगे। माता से अपमान बर्दाश्त नहीं हुआ तो और थानाध्यक्ष से जान दे देने की चेतावनी दी। इसपर थानाध्यक्ष ने कहा कि ‘तू ड्रामा कर रही है, सच में आग लगाकर दिखा।’ पुलिस द्वारा आत्महत्या को लेकर उकसाने के बाद 50 वर्षीय माता ने मिट्टी का तेल छिड़ककर आग लगा ली। घटना के बाद पुलिस टीम उसी हालत में महिला को लेकर चली गई थी, बाद में परिवार के लोगों को सूचना दी गई कि माता जी का देहांत हो गया है।

पुत्र ने की शिकायत तो सीबीसीआईडी जांच
मृतक के पुत्र सुभाष तिवारी ने इस पूरे प्रकरण की जांच को लेकर मांग की। सुभाष तिवारी ने इसको लेकर तत्कालीन मंत्री रहीं प्रेमलता कटियार को पत्र सौंपा। प्रेमलता कटियार ने इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखा। पत्र लिखने के बाद इस पूरे प्रकरण की जांच सीबीसीआईडी की टीम ने की। सीबीसीआईडी ने विवेचना में अभियुक्त तत्कालीन थानाध्यक्ष अमेन्द्र कांत सिंह सहित पुलिसकर्मी सुरेंद्र नाथ राय, सम्बरू यादव, राम सिंहासन सिंह, राम अचल ओझा व दीना नाथ सिंह के विरुद्ध धारा 193, 218, 467, 468, 471, 120 बी व 20 एनडीपीएस एक्ट में पर्याप्त साक्ष्य पाते हुए 2009 में आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया। सीबीसीआईडी जांच में सामने आया कि पुलिस ने सुनियोजित तरीक़े से भोला तिवारी के घर छापा मारा था। इस छापेमारी में भोला तिवारी भाग गया था। जांच में यह तथ्य भी सामने आए की पुलिस स्वयं गांजा लेकर भोला तिवारी के घर पर गई थी। न्यायालय में प्रेषित आरोप पत्र सही पाया गया है।

पांच साल कठोर कारावास की हुई सजा
अपर सत्र न्यायाधीश वायु नन्दन मिश्र ने शनिवार को इस मामले में फैसला सुनाया। अपर सत्र न्यायाधीश ने पुलिसकर्मी अमरेंद्र कांत सिंह, सुरेंद्र नाथ राय, राम अचल ओझा, राम सिंहासन सिंह, दीनानाथ सिंह व दिनेश बहादुर सिंह को एनडीपीएस एक्ट सहित अन्य धाराओं में दोषी पाते हुए पांच साल की कठोर कारावास एवं 50-50 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित दिया। इस मामले में आरोपी रहे सम्बरू यादव की मृत्यु हो गई थी, जहां विश्वनाथ सिंह व अरविंद कुमार सिंह को न्यायालय ने पहले ही बरी कर दिया था।

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