UP Nikay Chunav 2023: हरदोई सदर नगरपालिका में मचा सियासी गदर, प्रत्याशियों ने झोंकी ताकत

Hardoi News: शहर की नगर पालिका अध्यक्ष पद को लेकर उम्मीदवारों और उनके समर्थकों के बीच चुनावी बिसात को लेकर जोड़ घटाने का सिलसिला शुरू हुआ हो गया है। नगर पालिका क्षेत्र में उम्मीदवार अपनी-अपनी चुनावी बिसातें बिछाने में जुट गए हैं।

Update:2023-04-18 23:53 IST
हरदोई निकाय चुनाव के लिए प्रत्त्याशी: Photo- Newstrack

Hardoi News: शहर की नगर पालिका अध्यक्ष पद को लेकर उम्मीदवारों और उनके समर्थकों के बीच चुनावी बिसात को लेकर जोड़ घटाने का सिलसिला शुरू हुआ हो गया है। नगर पालिका क्षेत्र में उम्मीदवार अपनी-अपनी चुनावी बिसातें बिछाने में जुट गए हैं। सपा-बसपा के उम्मीदवार अपनी पार्टी के वोट बैंक को साधने का कार्य कर रहे हैं। भाजपा केंद्र और यूपी की सत्ता में है, उसमें टिकट ना मिलने से कुछ लोगो में नाराज़गी है। कहा जा रहा है कि हरदोई नगर में भाजपा के भीतर दो गुट सक्रिय हैं।

टिकट वितरण के बाद असंतोष थमा

नगर पालिका अध्यक्ष के लिए मतदान की तारीख नजदीक आने के साथ ही सभी पार्टियों में कार्यकर्ता और पदाधिकारी अपने उम्मीदवारों के चुनाव प्रचार में जुट गए हैं। जिस वक्त टिकटों का ऐलान हुआ था, उस वक्त पार्टियों में कुछ असंतोष देखने को मिला था, लेकिन अब यह थम चुका है। सभी अपनी जीत का दावा ठोंकते नजर आ रहे हैं। हालांकि बात भाजपा की करें तो यह क़यास लगाया जा रहा है कि भाजपा में अंदर की कलह का फ़ायदा, कहीं सपा-बसपा के उम्मीदवार को ना मिल जाए। सदर नगर पालिका का पेंच भाजपा के ब्राह्मण उम्मीदवार सुख सागर मिश्रा और बसपा के ब्राह्मण प्रत्याशी दीपांशु मिश्रा के बीच अटक गया है। माना जा रहा है कि ब्राह्मण समाज के वोट इन दोनों की तरफ जा सकते हैं।

भाजपा उम्मीदवार का ये है राजनीतिक बैकग्राउंड

भाजपा उम्मीदवार सुख सागर मिश्रा मधुर एक पुराने राजनीतिक परिवार से हैं। इसलिए राजनीति उनके रग-रग में है। मधुर के पिता लालन शर्मा कांग्रेस के क़द्दावर नेता थे। वह मल्लवा-मधौगंज विधानसभा क्षेत्र से वह तीन बार विधायक व एक बार एमएलसी चुने गए। मधुर के पिता के भाई भी विधायक रहे है। भतीजा मधौगंज से नगर पालिका अध्यक्ष है। सुख सागर मिश्र की पत्नी चित्रा मिश्र पेशे से ज़िला अस्पताल में डॉक्टर रही हैं। सुख सागर एक बार निर्दलीय नगर पालिका अध्यक्ष भी रह चुके हैं। मधुर कांग्रेस छोड़ 2017 में नरेश ख़ेमे में जुड़े और समाजवादी पार्टी के नगर पालिका अध्यक्ष के टिकट पर भाजपा के पारुल दीक्षित को हराकर नगर पालिका अध्यक्ष पद का काबिज हुए। हालांकि जिस वक्त यह चुनाव हुआ था तब भाजपा की लहर थी। सन 2018 में नरेश अग्रवाल बीजेपी में अपने समर्थकों के साथ शामिल हो गए थे। नरेश अग्रवाल के साथ सुख सागर मिश्रा ने भी भगवा चोला ओढ़ लिया था।

व्यापारी से बने नगर पालिका के उम्मीदवार

कांग्रेस ने मंडी में आढ़त की दुकान व राइस मिल मलिक शिव कुमार गुप्ता को अपना उम्मीदवार बनाया है। शिव कुमार 2017 से कांग्रेस पार्टी में सक्रिय कार्यकर्ता की भूमिका में लगे हुए हैं। इस बार कांग्रेस ज़िलाध्यक्ष आशीष सिंह की सिफ़ारिश पर उनको कांग्रेस पार्टी द्वारा हरदोई नगर पालिका का टिकट दिया है। शिव कुमार गुप्ता को क्षेत्र में कमियां ही कमियां नज़र आती है। हालांकि पूछने पर वो एक भी कमी को गिना नहीं सके और क्षेत्र में विकास के दावे करते हुए कांग्रेस की ट्रेन को चलाने की बात करते हैं।

बसपा उम्मीदवार का है पहला चुनाव

बसपा उम्मीदवार दीपांशु मिश्रा राजकीय ठेकेदार अनिल तिवारी के भतीजे हैं। दीपांशु इंटरमीडिएट तक की शिक्षा प्राप्त किए हुए हैं। दीपांशु राजनीति में काफ़ी लगाव रखते हैं। दीपांशु के पूर्व में कई बीजेपी नेताओ के साथ संबंध रहे हैं। दीपांशु नगर पालिका की जन समस्याओं को भली भांति जानते हैं। दीपांशु मिश्रा इससे पूर्व कोई भी चुनाव नहीं लड़े हैं, यह उनका पहला चुनाव है। दीपांशु का कहना है कि क्षेत्र में पार्किंग,आबादी वाले क्षेत्र में शौचालय,ट्रैफ़िक की एक आम समस्या है।

14 वर्ष की मेहनत के बाद राम ज्ञान को मिला टिकट

राम ज्ञान 2009 से समाजवादी पार्टी में रहकर एक सक्रिय कार्यकर्ता की भूमिका निभा रहे है। राम ज्ञान वर्तमान में सपा के राष्ट्रीय सचिव पद कर काबिज है। सपा ने इस बार हरदोई नगर पालिका अध्यक्ष पद का टिकट राम ज्ञान को दिया है। राम ज्ञान की कोई भी राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं रही है, हालांकि उन्होंने जनपद की राजनीति को बहुत क़रीब से देखा है। राम ज्ञान नगरपालिका की समस्त समस्याओं से अच्छे से रूबरू हैं। राम ज्ञान ने पूर्व में हुए विधानसभा चुनावों में नगर पालिका में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। राम ज्ञान गुप्ता ने क्षेत्र में विकास को लेकर बड़े दावे किए है।

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