इस उड़नपरी के सपनों पर हावी राजनीति, प्रशासनिक अधिकारियों ने साधी चुप्‍पी

Update: 2018-11-01 10:46 GMT

बाराबंकी: आप सबने चंद दिनों पहले आई बॉलीवुड की फिल्म ‘दंगल’ तो जरूर देखी होगी, जिसने कामयाबी के सारे रिकार्ड तोड़ दिए थे। इस फिल्म में एक पिता अपनी बेटी को पहलवानी में देश के लिए अन्तरराष्ट्रीय गोल्ड मेडल लाने का सपना दिखाता है और बेटी संघर्ष करके इसे पूरा भी करती है। ठीक उसी प्रकार बाराबंकी में भी एक गरीब पिता अपनी बेटी को राष्ट्रीय स्तर का धावक बनाने के लिए जी जान से जुटा हुआ है। मगर राजनीति इस बेटी और इसके पिता के रास्ते की बाधा बन गई है। अब इस लड़की को नेशनल खेलने के लिए न भेज कर किसी और लड़की को भेजा जा रहा है।

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बबली ने जीती है 21 किलोमीटर दौड़

बाराबंकी के जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर खड़ी इस लड़की का नाम बबली वर्मा है। यह बाराबंकी के थाना लोनीकटरा इलाके के रौनी गाँव की रहनी वाली है। यह लड़की बैजनाथ शिवकला महाविद्यालय मंगलपुर में पढ़ती है और इसे स्कूल से इसकी प्रतिभा को देख कर कहा गया था कि गोण्डा जनपद में होने वाली मैराथन दौड़ में अगर वह प्रथम स्थान अर्थात गोल्ड मेडल जीत जाती है तो उसे राष्ट्रीय स्तर पर खेलने के लिए बैंगलोर भेजा जाएगा। स्कूल के इस आश्‍वासन पर लड़की ने कड़ी मेहनत शुरू की और अपने गाँव से लगभग 60 किलोमीटर दूर राजधानी लखनऊ में के.डी.सिंह बाबू स्टेडियम में प्रैक्टिस के लिए पसीना बहा रही थी।

धावक बनने के लिए जीजान लगा रही लड़की बबली वर्मा ने बताया कि 17 अक्टूबर 2018 को जनपद गोण्डा के नन्दिनी नगर महाविद्यालय में मैराथन दौड़ने के लिए गयी। 21 किलोमीटर की मैराथन दौड़ में उसने जीजान लगा दिया और अपने आस -पास किसी को फटकने भी नहीं दिया। नतीजा बबली वर्मा को गोल्ड मेडल मिल गया। बबली इस बात को लेकर काफी आश्‍वस्‍त थी कि अब वह नेशनल खेलने बैंगलोर जाएगी और वहां भी कामयाबी का झण्डा गाड़ कर आएगी। मगर उसका यह ख्वाब पूरा ही नहीं हो सका। अब उसके स्थान पर किसी और लड़की को खेलने के लिए भेजा जा रहा है।

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अब किसी और लड़की को मिल रहा चांस

बबली वर्मा ने बताया कि उससे अब कहा जा रहा है कि उसकी टाइमिंग ठीक नहीं थी बल्कि उसे पहले टाइमिंग के बारे में बताया ही नहीं गया था अन्यथा वह उस टाइम को भी पूरा कर लेती। मामला साफ़ है कि राजनीति बबली का रास्ता ही रोक कर खड़ी हो गयी है।

इस होनहार लड़की की साधना में साधक की भूमिका निभा रहे उसके पिता दिनेश वर्मा ने बताया कि उनकी लड़की बबली वर्मा ने काफी मेहनत की है और गाँव से हर रोज लगभग 60 किलोमीटर दूर राजधानी लखनऊ के के.डी.सिंह बाबू स्टेडियम में दौड़ की प्रैक्टिस करने के लिए जाती है। वह उसे हर रोज सुबह शाम अपनी साइकिल से 6 किलोमीटर छोड़ने और वापस लेने जाते हैं। दिनेश वर्मा ने बताया कि उनकी लड़की ने उमस भरी धूप में 400 मीटर के 52 चक्कर लगा कर नन्दिनी नगर महाविद्यालय में 21 किलोमीटर की मैराथन यात्रा में पहला स्थान हासिल कर गोल्ड हासिल किया। मगर अब उसे नेशनल दौड़ के लिए नहीं भेजा जा रहा है। अपने साथ हुए इसी अन्याय के लिए न्याय की गुहार करने जिलाधिकारी के पास आये हैं।

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डीएम ने झाड़ा पल्‍ला

इस बात की जानकारी के लिए जब हम बाराबंकी के जिलाधिकारी उदयभानु त्रिपाठी से बात की तो उन्होंने जिला क्रीड़ा अधिकारी को इस मामले को देखने की बात कह कर टाल दिया। जिला क्रीड़ा अधिकारी राजेश सोनकर से जब पूंछा गया तो उन्होंने कैमरे के सामने कुछ भी कहने से इंकार करते हुए कहा कि यह उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला है। इसलिए वह इस पर कुछ भी नहीं कह सकते हैैं।

मामला कुछ भी हो मगर एक होनहार के साथ खिलवाड़ तो हो ही रहा है, इसका भविष्य अब अधिकारियों की चौखट पर दम तोड़ता नज़र आ रहा है। अब देखना होगा कि आखिर किस तरह इस लड़की को इसकी मेहनत का फल मिलता है।

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