सीएम योगी जी इस स्कूल को बनवा दीजिए वरना हो जाएंगी इन नाबालिग बच्चियों की शादियां

Update:2017-04-07 10:58 IST

आगरा: उन मासूम आंखों में पढ़ने की ललक है, पर सुविधाएं ही नहीं हैं, वो देश के लिए कुछ करना चाहती हैं, पर स्कूल के हालत ही सही नहीं हैं। ताजनगरी आगरा के एक प्राथमिक विद्यालय की अव्यवस्था और जर्जर हालत से परेशान 80 छात्राओं ने स्कूल छोड़ दिया है। 14 से 16 वर्ष की बच्चियों की पढ़ाई छूटने के बाद अब उनके परिजन उनकी शादी करना चाहते हैं, लेकिन बच्चियां पढ़ना चाहती है, कुछ बनना चाहती हैं। स्कूल छोड़ने वाली छात्राओं ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से स्कूल का निर्माण कराने की गुहार लगाई है। 80 छात्राओं ने अपने हस्ताक्षरयुक्त पत्र मुख्यमंत्री को भेजा है। छात्राओं ने लिखा है कि वे पढ़ना चाहती हैं, लेकिन स्कूल के किनारे तालाब होने के कारण उनकी जान को खतरा है।

पढ़ाई वाले कमरे में बनता है खाना

आगरा के थाना सदर अंतर्गत सेवेला में तालाब के किनारे बने नंदपुरा प्राथमिक विद्यालय में बाउंड्रीवाल की मांग लंबे समय से की जा रही है। इसे लेकर कई बार बीएसए से शिकायत जा चुकी है। स्कूल में केवल दो कमरे हैं। स्कूल का वो कमरा जहां बच्चों को बैठकर पढ़ना चाहिए, वहां मिड डे मील बनाया जा रहा है।

जब इस बारे में मिड डे मील बनाने वाली कर्मी से बात की गई, तो उसने बताया कि बाहर खाना बनाने के दौरान तालाब किनारे पड़े कूड़े और आवारा जानवरों द्वारा गंदगी किए जाने के कारण बच्चों के लिए तैयार होने वाले खाने की गुणवत्ता पर असर पड़ता था। इसलिए अब खाना एक कमरे में ही बनाया जाता है।

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क्या है स्कूल की टीचर का कहना

स्कूल में एक टीचर और एक प्रिंसिपल है। अध्यापिका ने बताया कि स्कूल में जगह की कमी, तालाब के कारण असुरक्षा और पानी बिजली जैसे मूलभूत व्यवस्थायों के न होने के कारण बच्चों की संख्या लगातार घटती जा रही है। जहां पहले 100 से ज्यादा बच्चे पढ़ा करते थे, वहीं अब 11 बच्चे रह गए हैं बारिशों में हालात और खराब हो जाते हैं। कई बार अधिकारियों से शिकायत की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

क्या है स्कूल में आने वाले बच्चों के पैरेंट्स का कहना

स्थानीय नागरिकों के अनुसार आसपास स्कूल न होने से वे मजबूरी में बच्चों को यहां भेजते हैं। स्कूल में न शौचालय है, न पीने का पानी। टॉयलेट के लिए बच्चों को तालाब पर जाना पड़ता है। वहां कूड़ा और घास होने के कारण कई बार बच्चों का पैर फिसल चुका है। कुछ बच्चे तालाब में गिर भी चुके हैं, लेकिन समय रहते उन्हें निकाल लिया गया। बरसात में गंदा पानी स्कूल में आ जाता है। आम दिनों में भी बदबू के कारण बच्चे बैठ नहीं पाते।

स्कूल परिसर की बदहाली और असुरक्षा के चलते पढ़ाई छोड़ चुकी छात्राओं का विश्वास है कि उनकी फरियाद मुख्यमंत्री जरूर सुनेंगे और गांव में स्कूल बनवाएंगे। उन्होंने खत में लिखा है कि कई साल से हम बच्चे अच्छे स्कूल का निर्माण का इंतजार कर रहे हैं। आपसे बहुत उम्मीदें हैं। हम पढ़ना चाहते हैं, कुछ बनना चाहते हैं।

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करवाना चाहते हैं बच्चियों की शादियां

वहीं इन सब से एक निजी संस्था चलाने वाली प्रीति फौजदार इन बच्चों को स्कूल के बराबर में ही एक अर्धनिर्मित मकान में निःशुल्क पढ़ा रही हैं। ताकि पीएम मोदी का 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ो' अभियान सार्थक किया जा सके उन्होंने बताया कि असुरक्षा और गंदगी की वजह से बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ दिया। इन बच्चों का जब मेडिकल टेस्ट कराया गया, तो कई बच्चों को सांस की बीमारी तक मिली। वहीं उन्होंने एक चौंकाने वाली बात बताई कि 14 से 16 वर्ष की बच्चियों की पढ़ाई छूटने के बाद उनके परिजन उन बच्चियों की शादी करना चाहते हैं। लेकिन बच्चियां पढ़ना चाहती हैं, इसलिए उन्होंने सीएम योगी से गुहार लगाई है।

क्या है इस बारे में अधिकारियों का कहना

वहीं जब इस बारे में अधिकारियों से बात की गई, तो उन्होंने तत्काल टीम गठित कर जांच कराने और जल्द स्कूल के हालात बेहतर करने की बात कही।

चाहे देश में पीएम मोदी कितना भी कह ले कि 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ', लेकिन अगर स्कूलों में बेटियों के लिए सुविधा नहीं होगी, तो वो कैसे पढ़ेंगी और कैसे बढ़ेंगी बेटियां? बहरहाल सीएम योगी इन बच्चियों की गुहार पर क्या कार्यवाही करते हैं, ये आने वाले समय में देखने वाली बात होगी।

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