लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मदरसों को अब पीएम मोदी के डिजिटल इंडिया अभियान का हिस्सा बनाया जा रहा है। इसके लिए सूबे के सभी संचालित मदरसों के लिए खुद को ऑनलाइन रजिस्टर्ड कराने की अनिवार्यता कर दी गई है। इतना ही नहीं इसके लिए डेडलाइन भी दे दी गई है। मदरसों को अपना आनलाइन पंजीकरण कराने के लिए 15 सितंबर तक का समय दिया गया है। इसके बाद 30 सितंबर को इन मदरसों के डाटा को परीक्षण करके डिजिटल हस्ताक्ष से लॉक कर दिया जाएगा और इन्हीं मदरसों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाएगा।
यूनीफाईड इको सिस्टम से मदरसों को होंगे फायदे
यूपी अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की प्रमुख सचिव मोनिका एस गर्ग ने बताया कि उत्तर प्रदेश मदरसा परिषद ने अपना वेब पोर्टल www.madarsaboard.upsdc.gov.in लांच कर दिया है। इसका मकसद प्रदेश के सारे मदरसों को एक यूनीफाइड ईको सिस्टम से जोडना है। अभी तक विभिन्न जनपदों में कई मदरसे संचालित हो रहे थे। विभाग को इन तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने में व्यवहारिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। अब मदरसों को अपने पंजीकरण के साथ वहां संचालित होने वाले कोर्सों, मौलवियों की संख्या, उनका वेरीफिकेशन, बच्चों के नाम आदि आनलाइन शेयर करने होंगे। इससे उस मदरसे को सरकारी छात्रवृत्ति से लेकर अन्य अनुदान उपलब्ध कराने में विभाग को सुविधा होगी।
प्रदेश में 19 हजार मान्यता प्राप्त मदरसे
अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री लक्षमी नारायण चौधरी ने बताया कि सूबे में करीब 19 हजार मान्यता प्राप्त मदरसे हैं और इनमें से 560 अनुदानित मदरसे हैं। इसमें कई मदरसों में उम्रदराज शिक्षकों के पढाने और कई के रिकार्ड में गडबडी की बातें सामने आ रही थीं। इसलिए डिजिटलीकरण किया जा रहा है। इससे हमें मदरसों में गडबडियां दूर करने में मदद मिलेगी।
कल्बे सादिक बोले- रोजगार परक शिक्षण को मिले बढ़ावा
मौलाना कल्बे सादिक ने कहा कि मदरसों को टेक्नोलॉजी के जमाने में ऑनलाइन करना एक अच्छी पहल है। हालांकि अन्य शिक्षण संस्थाओं की तरह यहां भी पढने वाले छात्रों को रोजगार परक शिक्षा मिले तो और भी अच्छा हो। इन मदरसों में तालीम पा रहे बच्चों को अगर कौशल विकास की ओर ले जाया जाएगा तो निश्चित ही अच्छे परिणाम सामने आएंगे।