प्रयागराज रहा अभूतपूर्व बंद, क्यों और किसलिए उफनाया है आक्रोश

बार  एसोसिएशन ने सभा कर 28 अगस्त को भी न्यायिक कार्य बहिष्कार का फैसला लिया है। वकीलो की हड़ताल के चलते हाई कोर्ट में न्यायिक कार्य बुरी तरह प्रभावित रहा। 9वें दिन भी वकीलों का क्रमिक अनशन जारी रहा। बार के अध्यक्ष राकेश पांडेय व् महासचिव के नेतृत्व में नेताजी सुभाष चौक पर जनसभा हुई। विभन्न संगठनों के नेताओ ने अपना समर्थन दिया ।

Update:2019-08-27 19:23 IST

प्रयागराजः प्रयागराज से सरकारी कार्यालयों के मुख्यालय लखनऊ शिफ्ट करने व शिक्षा सेवा अधिकरण लखनऊ में स्थापित करने के विरोध में प्रयागराज बन्द का आयोजन अभूतपूर्व रहा। शहर के स्कूल- कालेजों के अलावा पेट्रोल पंप, व बाजार पूरी तरह से बंद रहे । शहर के हरेक संगठनों ने वकीलों की मांग का समर्थन किया । प्रयागराज की अस्मिता की रक्षा के लिए बार एसोसिएशन ने आरपार का संघर्ष छेड़ दिया है।

बार एसोसिएशन ने सभा कर 28 अगस्त को भी न्यायिक कार्य बहिष्कार का फैसला लिया है। वकीलो की हड़ताल के चलते हाई कोर्ट में न्यायिक कार्य बुरी तरह प्रभावित रहा। 9वें दिन भी वकीलों का क्रमिक अनशन जारी रहा। बार के अध्यक्ष राकेश पांडेय व् महासचिव के नेतृत्व में नेताजी सुभाष चौक पर जनसभा हुई। विभन्न संगठनों के नेताओ ने अपना समर्थन दिया ।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष वी सी मिश्र ने कहा कि केवल हड़ताल ही नही जेल भरो आंदोलन सहित अन्य तरीके अपनाए जाएं। कांग्रेस नेता अनुग्रह नारायण सिंह,व्यापारी नेता विजय अरोड़ा, कर्मचारी संघ के नेताओं ने विचार रखे। ए डी एम सिटी को बार व् व्यापार मंडल ने ज्ञापन सौंपा।

इसके बाद बार एसोसिएशन हाल में हुई सभा में सर्व सम्मति से 28 अगस्त को न्यायिक कार्य से विरत रहने व् वरिष्ठ अधिवक्ताओं की कमेटी में पी आई एल दाखिल करने के पहलुओं पर विचार करने का निर्णय लिया गया। आम सभा में महासचिव जे बी सिंह ने आंदोलन को सफल बनाने के हर तरीके अपनाने पर बल दिया।

मनमानी न्यायपालिका को कमजोर कर रही है

पूर्व महासचिव प्रभाशंकर मिश्र ने आरपार की लड़ाई जारी रखने पर बल दिया। पूर्व महासचिव अशोक सिंह,सुरेश पांडेय व् ए सी तिवारी ने एक्शन कमेटी बनाने व् आंदोलन परिणाम आने तक जारी रखने का सुझाव दिया। और कहा हम बार व प्रयागराज की अस्मिता से खिलवाड़ नही करने देगे।

उन्होंने बार सदस्यों से प्रतिदिन हाईकोर्ट गेट पर इकट्ठा होने की अपील की। राम अवतार वर्मा ने भी आंदोलन को धार देने का सुझाव दिया। पूर्व अपर महाधिवक्ता कमल सिंह यादव ने कहा कि राज्य सरकार की मनमानी न्याय पालिका को कमजोर कर रही है।

जेल का भय हमें नहीं रोक सकता

पूर्व अध्यक्ष आर के ओझा ने कहा कि बार कार्यकारिणी आंदोलन का नेतृत्व करे।वरिष्ठ वकीलो की आंदोलन की सफलता के उपायों पर चर्चा कर अमल किया जाय। ओझा ने कहा कि कोर्ट के वकीलो की हड़ताल को अवैध मानने के फैसले पर कहा कि हम जनतांत्रिक देश है। हम गांधी के असहयोग आंदोलन को अपना कर कोर्ट को सहयोग देने से इंकार कर उद्देश्य प्राप्त कर सकते है। किसी को डरने की जरूरत नही। जेल का भय हमे उचित मांग मनवाने से रोक नही सकता।

उन्होंने मुख्यमंत्री से मिलने का समय लेकर वार्ता करनी चाहिए।बार मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर समय तय कराए और क़ानूनी तथ्यों के साथ प्रभावी बात की जाय।

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