प्रयागराज कुंभ देगा पर्यावरण संरक्षण का संदेश
प्रयाग का कुंभ सनातनी वैभव व भारत की आध्यात्मिक शक्ति का केंद्र है। इस कुंभ से न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया को एक नई दिशा मिलनी है। इस कुंभ के जरिये गंगा व पर्यावरण संरक्षण के अभियान को नया विस्तार मिलना तय है। पर्यावरण के लिए मूल तत्वों में जल का अभिन्न स्थान है।
रामकृष्ण वाजपेयी
प्रयाग का कुंभ सनातनी वैभव व भारत की आध्यात्मिक शक्ति का केंद्र है। इस कुंभ से न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया को एक नई दिशा मिलनी है। इस कुंभ के जरिये गंगा व पर्यावरण संरक्षण के अभियान को नया विस्तार मिलना तय है। पर्यावरण के लिए मूल तत्वों में जल का अभिन्न स्थान है। हिंदी साहित्य में पानी का महत्व बताते हुए रहीम ने बहुत पहले ही कह दिया था रहिमन पानी राखिये बिन पानी सब सून। पानी गए तो ऊबरो मोती मानुष चून। उनका आशय था कि हे मानव पानी का दुरुपयोग ना करो पानी की बचत करो लेकिन बाद की पीढ़ियों ने इसे भुला दिया और धरती पर पानी का सबसे बड़ा स्रोत गंगा मैली होती चली गई और अंततः आज जब वह मृत प्राय होने को है तो हम जागे हैं। प्रयागराज कुंभ लोगों को पानी के संऱक्षण की शपथ दिलाने में भी अहम भूमिका निभा सकता है।
1-कुंभ और पर्यावरण का रिश्ता
जब जल ही जीवन है और हमारा पर्यावरण इसी पर निर्भर है तो जल यानी पानी का संरक्षण हमारे जीवन का उद्देश्य होना चाहिए। कुंभ से यह शपथ लेकर हमें निकलना चाहिए कि पर्यावरण को बचाने के लिए जल संरक्षण ही अब हमारे जीवन का उद्देश्य है। हम मां गंगा को मैला नहीं करेंगे। हम मां गंगा की सेवा करेंगे। गंगा के किनारों को हरा भरा बनाकर इस मृत प्राय नदी को नया जीवन देंगे। युवाओं को जल है तो कल है का संदेश देंगे। अभी हाल ही में गंगा को सदानीरा बनाए रखने के लिए और उसकी पवित्रता को बरकरार ऱखने के लिए गंगा में 151 नदियों का जल छोड़ा गया है। टनकपुर की शारदा नदी का जल प्रयागराज के त्रिवेणी घाट पर देश की 151 नदियों के जल के साथ प्रवाहित कर दिया गया है। संस्कार भारती के गंगा मनुहार कार्यक्रम के तहत जल को पिछले दिनों प्रयागराज ले जाया गया था।
2-पेंट माय सिटी
प्रयागराज कुंभ को अनूठा रूप देने के लिए योगी सरकार ने यहां पेंट माय सिटी नाम से एक बड़ा अभियान चलाया है। जिसके तहत सरकारी गैर सरकारी इमारतों को अलग-अलग रंगों और कलाकृतियों से सजाया जा रहा है। प्रयागराज की दीवारों पर आधुनिकता से लेकर आध्यात्मिकता तक का रंग उतारने की कोशिश की जा रही है। पेंट माय सिटी के माध्यम से सनातन परंपरा के साथ भारतीय संस्कृति को दर्शाने की भव्य कोशिश की जा रही है। कुंभ की ब्रांडिंग कर प्रधानमंत्री मोदी इसे जितना भव्य बता रहे है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उससे कहीं अधिक यहां की भव्यता लाने में लगे हैं।
3-कलाकृतियों से सजावट
प्रयागराज के प्रशासनिक अमले ने गंगा पार अरैल इलाके के मकानों को मंदिरों को मठों को आकर्षक कलाकृतियों से सजाया है। तो सड़कों पर लगे पेड़ों पर भी अलग-अलग कलाकृतियाँ उकेरी गई हैं, जो बेहद आकर्षक है। प्रयागराज के अरैल इलाके में टेंट माय सिटी बसाई जा रही है। जहां प्रवासी भारतीयों सहित विदेशी श्रद्धालुओं को रोका गया है। प्रयागराज अतिथि देवो भव के मंत्र के साथ दुनिया का स्वागत करने के लिए तैयार है। तो वहीं कुंभ में श्रद्धालु प्रयाग की धरती पर आकर संगम नगरी को नए रूप और रंग में देखेंगे। यहां तमाम पेड़ों पर चित्र बनाए गए हैं। जिसे देखने के लिए तमाम लोग शाम को ही सड़कों पर उमड़ पड़ते हैं।
4-विरासत को संजोने की जिम्मेदारी
अब देखा जाए तो कुंभ तो शुरू हो गया खत्म भी जाएगा लेकिन पेंट माय सिटी सरकार की वह योजना है जिसने पूरे शहर को अलग रंग दे दिया है। अब प्रयाग वासियों की जिम्मेदारी है कि इसे इसी स्वरूप में बरकरार रखें। हालांकि शहर को इस नए कलेवर में गढ़ने में जिस तरह सरकार को दिक्कत आई। उसी तरह अब उसे स्वीकार करने में प्रयागराज वासियों को कठिनाई होगी। लेकिन जो स्वरूप प्रयागराज को सरकार ने देने की कोशिश की है वह बेहद खूबसूरत है। प्रयागराज ,निसंदेह योगी सरकार के इस कदम को कई दशकों तक लोग याद रखेंगे।
5-पर्यावरण संरक्षण के संदेश
पेड़ों पर पेंटिंग लोगों को आकर्षित कर रही है। पेंटिंग्स में जहां एक तरफ साधु संतों के चित्र को बनाया गया है। तो वहीं दूसरी तरफ पर्यावरण संरक्षण के भी संदेश हैं। वृक्ष हमारे जीवन में बेहद महत्वपूर्ण है।उन्हें बचाना और सजाना हमारी जिम्मेवारी है।
6-पेड़ों में उकेरे जा रही कलाकृतियां बोल रही हैं
मजे की बात यह है कि योगी सरकार के इस अनूठे काम से जो कलाकार ये चित्रकारी करने आए वह भी आश्चर्यचकित थे उनका कहना था कि हम देशभर में जाकर चित्रकारी करते हैं। लेकिन यह पहली बार है कि हम पेड़ों में चित्रकारी कर रहे हैं। हमें खुद यकीन नहीं है कि दीवारों पर बनाई गई पेंटिंग अगर पेड़ों पर बनाई जाए तो कितनी खूबसूरत लगती है।
7-प्रयागराज की प्राकृतिक छटा मोह रही है
ऐसा लग रहा है कि प्रयागराज वासियों के साथ यहां की प्रकृति भी आने वाले श्रद्धालुओं के स्वागत को तैयार है। प्रयागराज को भव्य और दिव्य बनाने की कोशिश सफल होती दिख रही है। फिलहाल पेड़ों, शहर की दीवारों पर बनाई गई पेंटिंग प्रयागराज के भव्य कुंभ का संदेश दे रही हैं।
8-आंखों को शीतलता देने वाले रंगों का इस्तेमाल
प्रयागराज कुंभ में जहां कहीं भी पेंट माय सिटी की थीम पर जो भी पेंटिंग करायी गयी है उसमें जिन रंगों का प्रयोग किया गया है उन्हें ऐसा इको फ्रेंडली बनाया गया है कि आंखों को चुभें नहीं बल्कि शीतलता दें।
9-स्वच्छाग्रही पढ़ाएंगे स्वच्छता का पाठ
फिरोजाबाद जिले के स्वच्छाग्रही कुंभ में आने वाले लोगों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाएंगे। स्वच्छाग्रही तीन माह तक प्रयाग में निवास करेंगे। वहीं रहकर लोगों को खुले से शौच मुक्ति के लिए लोगों को प्रेरित करेंगे। कुंभ में जाने वाले लोगों को भेजने के लिए स्वच्छाग्रहियों को अभी से तैयारी में लगा दिया गया है। जिला पंचायत रात विभाग द्वारा यह तैयारी की गई है कि जिन स्वच्छाग्रहियों को प्रयागराज कुंभ में जाना है। वह मॉर्निंग और ईवनिंग फॉलोअप, गांव में बैठकें, खुले से शौच मुक्ति के लिए लोगों को प्रेरित करते हुए फोटो बनाए गए ग्रुप पर अपलोड करेंगे। उच्चाधिकारियों द्वारा उनकी मॉनीटरिंग की जाएगी। जो भी योग्य समझा जाएगा। उसे प्रयागराज कुंभ में भेजा जाएगा। कुंभ में जाने वाले स्वच्छाग्रहियों को 500 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान किया जाएगा। उनके रहने और खाने—पीने की व्यवस्था कुंभ प्रशासन द्वारा की जाएगी। उन्हें प्रतिदिन सुबह चार बजे उठकर लोगों को खुले से शौच मुक्ति और गंदगी से दूर रहने के बारे में बताया जाएगा। तीन महीने तक स्वच्छाग्रहियों को प्रयागराज में रहना होगा।
10-जल कुंभ को जन कुंभ बनाने की तैयारी
अध्यात्म और परमार्थ का संदेश देने वाले स्वामी चिदानंद सरस्वती के कुंभ शिविर से इस बार बड़ा संदेश निकलेगा। उनके शिविर से इस बार परंपराओं के निवर्हन के साथ प्रगतिशीलता और पर्यावरण संरक्षण का ऐसा संदेश निकलेगा, जो भविष्य में पेड़-पौधों को ही नहीं, प्राण-पीढ़ी और पृथ्वी की भी सांसें बचाये रखेगा। कुंभ में गंगाजल और गोबर से लकड़ी बनाने की मशीन लोगों के सामने लाने की तैयारी है। उनके आश्रम के एक सदस्य ने यह मशीन तैयार की है। शवदाह के लिए प्रतिवर्ष आठ से दस करोड़ पेड़ काटे जा रहे हैं लेकिन, गोबर की लकड़ी अब इसका ऐसा विकल्प बनेगी, जिसमें वही मंत्र वही परंपरा और वही मान्यता होगी, बस प्रक्रिया बदल जाएगी। शवदाह में इसकी स्वीकार्यता के लिए गोबर की लकड़ी के इस्तेमाल की बात वह कुंभ में संतों के मुख से कहलाएंगे।
11-अस्थि विसर्जन-आस्था का सर्जन
स्वामी चिदानंद कुंभ में 'अस्थि विसर्जन-आस्था का सर्जन' के मंत्र के साथ एक और नई अवधारणा लाने जा रहे हैं। वह कहते हैं कि परंपराओं का पालन करते हुए ऐसा अस्थि विसर्जन हो, जिसमें मान्यता के साथ पर्यावरण भी बचे।कुंभ में इसका मॉडल वह लोगों के सामने रख कर बतायेंगे कि गंगा में प्रतीक के तौर पर थोड़ी अस्थियां विसर्जित करें और बाकी अस्थियों को वहीं खाद के तौर पर प्रयोग कर मिट्टी के साथ बीज रोप दें तो पिता या प्रियजन पेड़ बनकर फिर लौट आएंगे। घाट पर शोक में डूबे लोग वहीं अस्थियों से अशोक रोप दें तो प्रियजन वहीं हमारे साथ रहेंगे। यह मंत्र भी वह संतों से दिलाएंगे।
स्वामी चिंदानंद के अनुसार कुंभ में इस बार उनके शिविर में जहां 37 देशों की जनजाति के प्रतिनिधि जुटेंगे, वहीं 121 देशों के लोगों के साथ योग कुंभ भी साकार होगा। वह कहते हैं कि जल संरक्षण का संदेश देकर इस बार जन कुंभ को जल कुंभ बनाने की तैयारी है।