Gyanvapi Case: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ASI सर्वे पर लगी रोक कल तक बढ़ाई, मामले पर फिर होगी सुनवाई

Gyanvapi Case: इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने ज्ञानवापी परिसर में सर्वे कराये जाने के मामले में दायर अंजुमन इंतजामिया कमेटी की याचिका पर सुनवाई की। ज्ञानवापी परिसर के ASI सर्वे पर लगी रोक को हाईकोर्ट ने बढ़ा दिया है।

Update:2023-07-26 17:31 IST
Gyanvapi Case (Social Media)

Gyanvapi Case: वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) के सर्वे पर लगी रोक गुरुवार (27 जुलाई) कल तक बढ़ गई है। हाईकोर्ट 28 जुलाई को 3:30 बजे फिर से मामले पर सुनवाई करेगा। चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर (Pritinkar Diwakar) ने ज्ञानवापी परिसर में सर्वे कराये जाने मामले में दाखिल अंजुमन इंतजामिया कमेटी की याचिका पर सुनवाई करते हुए ASI के वैज्ञानिक को आज 4.30 बजे तलब किया था।

ASI ने कहा- अनुमति मिली 31 जुलाई तक पूरा कर लेंगे सर्वे

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की ओर से वैज्ञानिक आलोक त्रिपाठी हाईकोर्ट में पेश हुए। उन्होंने अदलत को बताया कि, GPR विधि और फोटोग्राफी विधि से कैसे सर्वेक्षण होगा। साथ ही, एएसआई वैज्ञानिकों ने ये भी बताया कि वैज्ञानिक सर्वेक्षण से मूल ढांचे को कोई नुकसान नहीं होगा। इस बीच, अदालत ने ASI से पूछा कितने सर्वे हो चुके हैं? कब तक पूरा कर लेंगे सर्वे? इस पर एएसआई ने कहा, अगर अनुमति मिली तो 31 जुलाई तक सर्वे पूरा हो जाएगा।

स्टे कल सुनवाई होने तक बरक़रार रहेगा

ज्ञानवापी परिसर के ASI सर्वे पर लगी रोक को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फ़िलहाल बढ़ा दिया है। इस मामले पर गुरुवार दोपहर 3:30 बजे इलाहाबाद हाईकोर्ट में फिर सुनवाई होगी। कल सुनवाई होने तक स्टे बरकरार रहेगा। बता दें, ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के ASI सर्वे पर सुप्रीम कोर्ट की रोक का आदेश आज शाम 5 बजे तक प्रभावी था।
आज की सुनवाई में मुस्लिम पक्ष की दलील

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court News) ने वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सर्वेक्षण के खिलाफ अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की अपील पर आज (26 जुलाई) को सुनवाई शुरू की। मस्जिद कमेटी की तरफ से पेश वकील ने दलील दी कि, 21 जुलाई, 2023 को आदेश पारित करते समय वाराणसी अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची कि सर्वे रिपोर्ट की अनुपस्थिति में मुद्दे को हल नहीं किया जा सकता। मगर, कोर्ट ने इस निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले उसके समक्ष रखी गई सामग्रियों पर चर्चा नहीं की। इंतजामिया कमेटी (Intezamia Committee) के वकील ने कहा, निचली अदालत को सबसे पहले पेश किए गए साक्ष्यों के आधार पर कार्यवाही करनी चाहिए थी। लेकिन, पूरी शिकायत में इस तरह के साक्ष्य का कोई जिक्र नहीं है।

ASI पर इंतजामिया कमेटी ने ये कहा

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के वकील ने कहा, 'भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को इस मुकदमे में पक्षकार नहीं बनाया गया। उसे सर्वेक्षण करने और इस मामले में विशेषज्ञ राय देने का निर्देश दिया गया।'

'हिन्दू पक्ष के पास कोई वास्तविक साक्ष्य नहीं'

अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की तरफ से वकील एसएफए नकवी ने दलील पेश की। उन्होंने कहा, 'वादी के पास वास्तव में कोई साक्ष्य नहीं है। वे ASI सर्वे की मदद से साक्ष्य प्रस्तुत करना चाहते हैं।' इस पर कोर्ट ने उनसे पूछा कि, यदि कानून साक्ष्य के इस तरह के संग्रह की अनुमति देता है तो याचिकाकर्ता को क्या नुकसान होगा? इस पर मुस्लिम पक्ष के नकवी ने कहा, वाराणसी कोर्ट के समक्ष मुकदमे में एएसआई सर्वेक्षण के लिए ये उचित चरण नहीं है। जिस पर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन (Advocate Vishnu Shankar Jain) ने कहा, 'एएसआई सर्वेक्षण से ढांचे को किसी तरह का नुकसान होने नहीं जा रहा।'

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