Prayagraj MahaKumbh 2025: महाकुंभ में अखाड़ों के शिविरों में प्रवेश के लिए अखाड़े बना रहे हैं आचार संहिता, महिला संन्यासियों ने दिया प्रस्ताव
Prayagraj MahaKumbh 2025: संयासिनी अखाड़े ने तय किया है कि अखाड़े के प्रमुख प्रवेश द्वार पर एक महिला संत कोतवाल थाली में रोली चंदन लिए मौजूद रहेगी और वो अखाड़े के अंदर प्रवेश करने के पहले आगंतुक के माथे में तिलक लगाएगी।
Prayagraj MahaKumbh 2025: देश भर सनातन धर्म की रक्षा और प्रचार प्रसार के लिए नूतन विचार सामने आ रहे हैं। महाकुंभ जैसे सनातन धर्म के जन समागम में गैर सनातनियों के प्रवेश को लेकर अखाड़ों में आचार संहिता पर संवाद छिड़ गया है। अखाड़े अपना अपना प्रवेश मॉडल विकसित कर रहे हैं।
उठी अखाड़ों में एंट्री के मॉडल बनाने की मांग
महाकुंभ का संपूर्ण क्षेत्र आस्था और अध्यात्म के विचारों से गुलजार रहता है। लेकिन महा कुंभ नगर का अखाड़ा सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र रहता है। नागा संन्यासियों की गुप्त और कठिन साधनाएं, उनकी तपस्या और संकल्प के विभिन्न संदर्भ आम जन मानस के लिए कुतुहल और जिज्ञासा का विषय रहते हैं। इन्ही कारणों से यहां सबसे अधिक लोग आते हैं। इन आगंतुकों के मंतव्य भी पढ़े जाने की आवश्यकता महसूस होने लगी है।
पिछले कुछ महीनों से विधर्मियों द्वारा कभी थूक जेहाद तो कभी पेशाब जेहाद जैसे घृणित , अमानवीय और धर्म को अपवित्र करने वाले मामले सामने आने के बाद अखाड़ों में भी ऐसे लोगों से बचने की जरूरत महसूस होने लगी है।श्री पंच दशनाम संयासिनी जूना अखाड़ा की महिला संत और विचारक दिव्या गिरी जी कहती हैं कि हर महाकुंभ एक नवीन चिंतन देता है। इस बार चिंतन सनातन धर्म की पवित्रता को सुरक्षित रखने का है इसके लिए अखाड़ों को अपने प्रवेश मॉडल बनाने चाहिए।
महिला संयासिनी अखाड़े का तिलक मॉडल
श्री पंच दशनाम संयासिनी अखाड़े की महिला संत दिव्या गिरी जी का कहना है कि अपने अपने धर्म की पवित्रता का संरक्षण करना सभी का दायित्व है। अब वक्त आ गया है कि अखाड़े भी इसके लिए अपनी संहिता तय करें।
संयासिनी अखाड़े ने तय किया है कि अखाड़े के प्रमुख प्रवेश द्वार पर एक महिला संत कोतवाल थाली में रोली चंदन लिए मौजूद रहेगी और वो अखाड़े के अंदर प्रवेश करने के पहले आगंतुक के माथे में तिलक लगाएगी। यदि आगंतुक सनातनी है तो उसे इसमें कोई ऐतराज नहीं होगा और ऐतराज हुआ तो वह गैर सनातनी होगा जिसका प्रवेश हम अपने अखाड़े में वर्जित रखेंगे। इसका एक लाभ यह भी होगा कि सनातन धर्म से जुड़े लोगों के अंदर तिलक लगाने के अपने प्राचीन संस्कार को बल मिलेगा।