लखनऊ: यूपी में होने वाले राज्यसभा की 11 सीटों के चुनाव में शुक्रवार को किसी भी प्रत्याशी ने अपना नाम वापस नहीं लिया। निर्दलीय प्रत्याशी प्रीति महापात्रा के मैदान में डटे रहने से सपा के सातवें प्रत्याशी और कांग्रेस के एकमात्र उम्मीदवार के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं।
जीत के लिए प्रत्याशी को 34 वोटों की जरूरत होगी। कांग्रेस के विधानसभा में 29 सदस्य हैं। उसे 5 अतिरिक्त वोट की आवश्यकता है। इसी तरह सपा को भी अपने सातवें प्रत्याशी को जिताने के लिए 14 अतिरिक्त वोट चाहिए।
प्रीति ने मुश्किल की सिब्बल की राह
कांग्रेस ने कपिल सिब्बल को मैदान में उतारा है। कपिल सिबबल 2014 के चुनाव में दिल्ली के चांदनी चौक सीट से पराजित हो गए थे। पार्टी ने उन्हें संसद में भेजने के लिए राज्यसभा का टिकट दिया है। प्रीति के मैदान में उतरने से कपिल सिब्बल की राह मुश्किल हो गई है।
बसपा प्रत्याशी की राह आसान
इससे बसपा के दो प्रत्याशी आसानी से जीत जाएंगे। इसके बाद भी पार्टी के 12 वोट बचते हैं। बसपा के 80 विधायक हैं। ऐसी संभावना नजर नहीं आती कि बसपा कपिल सिब्बल को समर्थन देगी।
सपा के सातवें प्रत्याशी पर फंसेगा पेंच
दूसरी ओर सपा की सदस्य संख्या के अनुसार उसके छह प्रत्याशी आसानी से जीत जाएंगे। सातवें प्रत्याशी की जीत के लिए 14 अतिरिक्त वोटों की आवश्यकता है। चुनाव मैदान में बने रहने के लिए हर प्रत्याशी को प्रथम वरीयता के 18 वोट की जरूरत होगी ।
छोटे दल नहीं खोल रहे अपने पत्ते
सपा और कांग्रेस की धड़कनें इसलिए बढ़ी हुई हैं क्योंकि आरएलडी और अन्य छोटे दलों ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं कि वो किसे वोट देंगे। इस बात की संभावना जताई जा रही है कि आरएलडी और छोटे दल निर्दलीय प्रत्याशी को समर्थन करेंगे। बड़े व्यापारी घराने से संबंध रखने वाली प्रीति के नामांकन के वक्त छोटे दलों के कुछ विधायक उनके प्रस्तावक बने थे।
ऐसे हालात में चुनाव में बड़े पैमाने पर खरीद-फरोख्त और क्रॉस वोटिंग की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।