छठ पर्व की तैयारी शरू, सजने लगी दउरा सुपेली व फलों की दुकानें

Update:2018-11-10 12:30 IST

गोरखपुर: छठ पर्व मनाने का क्रम नहाय खाय के साथ 11 नवंबर को शुरू हो जाएगा इसे लेकर बाजार और घरों में सक्रियता दिखाने लगी है। बाजार सज चुके हैं। घाटों पर वेदिया बनाई जा रही हैं। दउरा सुपेली और फलो की असंख्य दुकाने महानगर में सज चुकी हैं।

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छठ पूजा में खासतौर से इस्तेमाल होने वाला दौउरा और सुपेली सड़कों के किनारे दिखी तो इस पर्व से वास्ता रखने वाले लोग उस और बढ़ लिए हालांकि खरीदने वालों की तादाद कम ही रही लेकिन लोगों ने मोल भाव कर इस बात की तस्दीक की कि उन्होंने छठ को लेकर तैयारी को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है।

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सुधानी अनानास गंजी गागर इमली शरीफा पनियाला जैसे फलों के अस्थाई दुकानदारों ने भी शहर के कई स्थानों पर डेरा डालना शुरू कर दिया है आजाद चौक बेतियाहाता नौसर जैसे मशहूर बाजार में इसकी तैयारी दिखी तो असुरन चौक पर कई दुकानदारों ने अपनी दुकान सजा ली है।

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दुकानदार राममोहन ने बताया कि अभी तो यह शुरुआत है रविवार तक त्योहार में इस्तेमाल होने वाले अन्य फल भी बाजार में उपलब्ध होंगे। अस्थाई दुकान सज रहे जोखन ने बताया कि छठ में इस्तेमाल होने वाले दुर्लभ फल बिहार के सीवान हाजीपुर और मुजफ्फरपुर से आते हैं काफी फल अभी रास्ते में है।

जो रविवार सुबह तक गोरखपुर पहुंच जाएंगे और दोपहर बाद दुकानों पर बिकने लगेंगे कीमत पर चर्चा करने पर इन दुकानदारों ने बताया कि ज्यादातर फलों की कीमत कमोवेश पिछले साल की ही रहेंगी। अनानास नारियल गागर जैसे फलों की कीमत पर्व के समय तक तय करेगा इसके अलावा श्रद्धालु घाटों पर पहुंचे और अपनी जगह चिन्हित कर बेदिया बनाना शुरू कर दी।

कार्तिक शुक्ल पक्ष चतुर्थी अर्थात 11 नवंबर रविवार को नहाय खाय के साथ सूर्योपासना के महापर्व सूर्यपष्टि व्रत (छठ) प्रारंभ हो जाएगा 12 नवंबर को खरना 13 नवंबर को सूर्य देव को सायं कालीन अर्ध्य तथा 14 नवंबर को उदय होते सूर्य को अर्ध्य देने के साथ ही व्रत की पूर्णाहुति होगी।

इस बात की जानकारी पंडित संजय पांडे ने दी उन्होंने बताया कि सूर्य देव को प्रथम अर्ध्य 13 नवंबर को साय 5.25 बजे दिया जाएगा। अरुणोदय कालीन सूर्य को अर्घ्य 14 नवंबर को सुबह 6:36 पर दिया जाएगा।

छठ पूजन में प्रयोग होने वाली सामग्री गन्ना नारियल आम के पल्लो, पान, सुपारी, फूल, लौंग ,इलायची, गुड, रुई ,दिया, चौमुखी कलश,सुपेली डाला, चुनरी, सिंदूर,रोली,साठी, चावल,अगरबत्ती, कपूर, चूड़ा, सरसो तेल,आलता, नीबू बड़ा व छोटा, कसार, ठेकुआ, पूड़ी, मूली, कोहड़ा, हल्दी, अदरक,सुथनी, ओल, चावल, पंचमेवा ,देसी घी, तथा सभी प्रकार के फल व सब्जी आदि का उपलब्धता के अनुसार प्रयोग होता है।

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