IN PICS: चुनार के किले में बिना AC के प्रियंका गांधी ने भीषण गर्मी में काटी रात

इसपर मिर्जापुर प्रशासन ने प्रियंका से बात करके उनसे कहा कि बिजली न होने की वजह से यहां एसी नहीं है। इसलिए उन्हें वाराणसी चले जाना चाहिए। मगर प्रियंका नहीं मानीं।

Update:2019-07-20 10:44 IST
चुनार के किले में बिना AC के प्रियंका गांधी ने भीषण गर्मी में काटी रात

सोनभद्र: कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा को शुक्रवार को सोनभद्र जाने से रोक दिया गया जहां इस हफ्ते 10 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। इस पर वह सड़क पर ही पाल्थी मारकर बैठ गईं और जोर देने लगीं कि उन्हें आगे जाने की इजाजत दी जाए।

यह भी पढ़ें: प्रियंका अब पुलिस हिरासत में, सोनभद्र हत्याकांड को लेकर बैठीं थी धरने पर

इसके बाद वहां मौजूद अधिकारियों ने उन्हें हिरासत में ले लिया और उन्हें एक अतिथि गृह ले जाया गया। प्रशासन के आला अधिकारियों ने बाद में उन्हें मनाने की काफी कोशिश की, मगर वह पीड़ित के परिजनों से मिलने देने या फिर जेल भेजने की बात पर अड़ गयीं।

यह भी पढ़ें: कारगिल विजय दिवस आज, राजनाथ सिंह युद्ध स्मारक पर नायकों को देंगे श्रद्धाजंलि

ऐसे में एक खबर ये सामने आई कि जिस गेस्ट हाउस में उन्हें अरेस्ट किया गया है, वहां रात 10 बजे तक बिजली भी नहीं थी। ऐसे में भीषण गर्मी में बिना एसी के चुनार के किले में रात काटनी पड़ी। बता दें, जहां प्रियंका गांधी को हिरासत में लेकर रखा गया है वहां बिजली नहीं होने की वजह से एसी नहीं लगा है।

यह भी पढ़ें: बुरी तरह तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान के पीएम अब जाएंगे अमेरिका

इसपर मिर्जापुर प्रशासन ने प्रियंका से बात करके उनसे कहा कि बिजली न होने की वजह से यहां एसी नहीं है। इसलिए उन्हें वाराणसी चले जाना चाहिए। मगर प्रियंका नहीं मानीं। प्रियंका गांधी ने प्रशासन को जवाब देते हुए कहा कि उन्हें एसी नहीं चाहिए, वह कार्यकर्ताओं के साथ रह लेंगी। ऐसे में उन्होंने चुनार गेस्ट हाउस में रात जगते हुए बिना एसी के बिताई।

64 साल पुराना है मामला

गांव वालों के अनुसार, सोनभद्र के उभ्भा गांव की इस जमीन का विवाद 1955 से चल रहा है। यह जमीन रिटायर्ड आईएएस प्रभात कुमार मिश्रा की है। इसमें कुछ जमीन एक ट्रस्ट की भी है। जमीन पर कई साल से गांव की गोड़ जाति के लोगों का कब्जा है। रिटायर्ड आईएएस जब उक्त जमीन को कब्जा नहीं कर सके तो मूर्तिया के प्रधान यज्ञदत्त सिंह भूरिया को भूमि औने-पौने दाम में बेच दी।

यह भी पढ़ें: महाराष्ट्र: पुणे-सोलापुर हाइवे पर हुआ दर्दनाक हादसा, 9 की मौत

हालांकि जमीन पर आदिवासियों का कब्जा बरकरार रहा, लेकिन पटना से आईएएस का एक शख्स जिसका नाम धीरज है, वह हर साल प्रति बीघे लगान भी वसूलने आता था। इसी जमीन पर कब्जा करने की कोशिश में लोगों की हत्या हुई है।

ट्रकों-ट्रक भरकर हमलावर

बुधवार को प्रधान यज्ञदत्त ट्रैक्टर ट्राली व ट्रकों में भरकर करीब 200 लोगों को लेकर घोरावल थाना इलाके उम्भा गांव पहुंचा। इन लोगों के पास गंड़ासे व अवैध तमंचे थे। प्रधान ट्रैक्टरों से खेत की जबरन जुताई करवाने लगा। यह देख ग्रामीणों ने विरोध किया तो प्रधान के समर्थकों ने उन पर हमला कर दिया।

यह भी पढ़ें: बाढ़ का ऐसा खौफनाक मंजर नहीं देखा होगा आपने, 150 पहुंचा मरनेवालों का आकड़ा

लोगों के मुताबिक, इस दौरान हमलावरों ने सामने आने वाले ग्रामीणों को गंड़ासे से काट डाला। करीब दो सौ राउंड फायरिंग हुई। फायरिंग में गोली लगने और गंड़ासे से घायल ग्रामीणों की लाशें खेत में चारों तरफ गिरती चली गईं।

यह भी पढ़ें: बिहार और असम में बाढ़ का तांडव, 150 लोगों की मौत, 1.15 करोड़ लोग प्रभावित

लोगों का कहना है कि, ओबरा-आदिवासी बहुल जनपद में सदियों से आदिवासियों के जोत को तमाम नियमों के आधार पर नजरअंदाज किया जाता रहा है। सर्वे होने के बाद अधिकारियों की संवेदनहीनता उन्हें भूमिहीन बनाती रही है। इलाके में रसूखदार लोग इस तरह की काफी जमीनों पर अवैध तरीके से कब्जा किए हुए हैं।

जब हुआ मुआवजे के ऐलान तब हुआ अंतिम संस्कार

मृतकों के परिवार वालों ने सुबह शव लेने से इंकार कर दिया था। सपा समेत कई दलों ने इस कांड के खिलाफ प्रदर्शन भी किया। जिला प्रशासन ने समझा बुझाकर पीड़ित परिवार वालों को अंतिम संस्कार के लिए मनाया।

Tags:    

Similar News