सहारनपुर में घट रहा गन्ने का उत्पादन ,गिरावट के आसार- किसानों की बेचैनी

इस साल गन्ने के उत्पादन में गत वर्ष के मुकाबले 8 से 10 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की जा रही है जिसे लेकर किसानों में बैचेनी है। दरअसल किसान की लागत निरंतर बढ़ती जा रही है जबकि गन्ना भाव स्थिर बने हुए है। ऐसे में अगर उत्पादन में भी कमी दर्ज की जा रही है तो बैचेनी स्वाभाविक है। इस सब के बावजूद न किसान को समय पर गन्ना मूल्य भुगतान मिल रहा है और न ही देरी से भुगतान पर ब्याज। किसान को अपना काम साहूकार व बैंक से महंगे ब्याज पर कर्ज लेकर चलाना पड रहा है।

Update: 2019-01-07 06:42 GMT

सहारनपुर: इस साल गन्ने के उत्पादन में गत वर्ष के मुकाबले 8 से 10 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की जा रही है जिसे लेकर किसानों में बैचेनी है। दरअसल किसान की लागत निरंतर बढ़ती जा रही है जबकि गन्ना भाव स्थिर बने हुए है। ऐसे में अगर उत्पादन में भी कमी दर्ज की जा रही है तो बैचेनी स्वाभाविक है। इस सब के बावजूद न किसान को समय पर गन्ना मूल्य भुगतान मिल रहा है और न ही देरी से भुगतान पर ब्याज। किसान को अपना काम साहूकार व बैंक से महंगे ब्याज पर कर्ज लेकर चलाना पड रहा है।

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इस साल खाद, तेल और बिजली सभी के दाम अच्छी खासी बढोत्तरी हुई है तो दूसरी ओर कृषि में इस्तेमाल होने वाली मशीनरी हो या लेबर आदि सभी कुछ महंगा हो रहा है। ऐसे स्थिति में दो ही चीजें किसान को उभारती है कि या तो फसल का भाव बढे या फिर उत्पादन बढे। गत वर्ष उत्पादन में उछाल था तो गन्ना विभाग व सरकार तक ने खूब श्रेय लूटा था।

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नि:संदेह गन्ना विभाग ने नवीनतम प्रजातियों के विकास के साथ ट्रेंच विधि से बुवाई आदि तकनीकी अपनाने को किसानों को न सिर्फ प्रेरित किया बल्कि खुद उनके बीच खडे होकर बुवाई कराई। नतीजा गन्ना उत्पादन में उछाल आया लेकिन गन्ने की नई प्रजतियां पहले जितनी टिकाऊ साबित नहीं हो पा रही है। दो ही फसल दे पा रही है जबकि पहले तीन से पांच तक फसल मिल जाती थी।

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गन्ना विभाग के क्राप कटिंग के आंकडों में इस साल 8 से 10 प्रतिशत तक की गिरावट की बात कही जा रही है। गन्ना अधिकारियों के अनुसार, गत वर्ष गन्ना उत्पादन 732 कुंतल प्रति हेक्टेयर था जो इस साल घटकर पौने सात सौ-सात सौ कुंतल तक सिमटने के आसार है। हांलाकि गन्ना अधिकारी इसके लिए प्राकृतिक कारणों को जिम्मेवार मानते है।

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जिला गन्ना अधिकारी केएम मणि त्रिपाठी बताते है कि उत्पादन में थोडा गिरावट है। 8-9 प्रतिशत की कमी है। अभी पेडी की क्राप कटिंग होनी है लेकिन गिरावट तो है ही। पिछले दिनों बारिश और ओलावृष्टि के साथ तेज हवाओं के चलते फसल का गिर जाना भी इसका बडा कारण है।

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भाकियू नेता अरूण राणा और कृषक समाज के संयोजक प्रीतम चौधरी कहते है कि उत्पादन में गिरावट का मतलब सीधा-सीधा किसान को नुकसान है। भारतीय किसान संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष श्यामवीर त्यागी कहते है कि उत्पादन में कमी आई है तो इसकी भरपाई को प्रदेश स्तर पर सरकार को मांगपत्र सौपे जाएंगे।

चीनी मिलों पर बकाया का आंकडा लगातार बढ़ रहा

सहारनपुर मंडल में गन्ना बकाया का ग्राफ लगातार चढ़ता जा रहा है। नया-पुराना बकाया मिलाकर 1500 करोड़ के पार जा पहुंचा है जो भी चिंता का विषय है। 5 जनवरी 2019 के विभागीय आंकडों के अनुसार, इस वर्ष अब तक चीनी मिलों द्वारा 1725 करोड की गन्ना खरीद की जा चुकी है जबकि भुगतान महज चार सौ करोड का भी नहीं हो सका है। हांलाकि इसमें 14 दिन पुराना बकाया 1269 करोड़ का ही है।

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दूसरी ओर, गत वर्ष का भी मंडल में 213 करोड़ का बकाया लंबित है। मंडल की पांच चीनी मिलों ने अभी गत वर्ष का भी भुगतान नहीं किया है। इनमें जिले की दया शुगर मिल पर 13 करोड़, बजाज गांगनौली पर 56 करोड़, मुजफ्फरनगर की बजाज भैसाना पर 47 करोड़ तथा शामली में बजाज थानाभवन पर 16.5 करोड़ व शामली मिल पर 80 करोड का गत वर्ष का बकाया है।

इस साल की बात करें तो जिले में 471 करोड़ की गन्ना खरीद हो चुकी है जबकि भुगतान 104 करोड का है। मुजफ्फरनगर में 908 करोड की गन्ना खरीद के सापेक्ष 292 करोड़ तथा शामली में 346 करोड़ की गन्ना खरीद के सापेक्ष भुगतान शून्य है। इसके साथ ही गत वर्ष का करीब 148 करोड़ व इस साल में देरी से भुगतान पर 8 करोड़ का ब्याज हो गया है।

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