वाराणसी: संस्कृत के जाने माने साहित्यकार प्रो. भगीरथ प्रसाद त्रिपाठी को इस साल दिए जाने वाले पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना गया है। भारत सरकार ने 84 साल के प्रो. त्रिपाठी को संस्कृत साहित्य में उनके विशेष योगदान के लिए उन्हें ये अवार्ड देने का फैसला किया है। प्रो. त्रिपाठी को वागीश शास्त्री भी कहा जाता है।
'जब जागो तभी सवेरा'
पुरस्कार की घोषणा के बाद newstrack.com की टीम ने प्रो.त्रिपाठी से बात की। इस दौरान उन्होंने कहा, कि 'ये पुरस्कार सिर्फ मेरे लिए नहीं बल्कि पूरे संस्कृत जगत के लिए महत्वपूर्ण है। बाबा विश्वनाथ और मेरे गुरुजनों की कृपा से ये सम्मान मुझे मिला है।' पुरस्कार देर से मिलने पर उन्होंने कहा, कि 'एक कहावत है जब जागो तभी सवेरा।' हालांकि, ये पुरस्कार मुझे 10 साल पहले मिल जाना चाहिए था। फिर भी आज पूरे काशी के लिए ये गर्व का क्षण है। प्रो.त्रिपाठी ने कहा, कि संस्कृत को लेकर मेरी साधना को सरकार ने पहचाना। संस्कृत जगत के लिए पुरस्कार मील का पत्थर साबित होगा।
प्रकाशित को चुके हैं 400 शोधपत्र
गौरतलब है, कि प्रो त्रिपाठी का जन्म मध्य प्रदेश के सागर जिले के बिलइया गांव में हुआ था। इन्होंने 1959 में वाराणसी के टीकमणी संस्कृत महाविद्यालय में बतौर अध्यापक कार्य आरंभ किया था। इनके अब तक 400 से भी अधिक शोध लेख प्रकाशित हो चुके हैं।