Azamgarh News: बांग्लादेश-भारत सीमा पर शहीद जवान विवेक तिवारी का शव पैतृक गांव पहुंचा, शव से लिपटकर रो परिजन

Azamgarh News: बिलरियागंज थाना क्षेत्र के महुवी शेरपुर गांव में बलिदानी सैनिक के अंतिम दर्शन के लिए जुटी हजारों की भीड़ में अंतिम झलक पाने को होड़ लग गई।

Newstrack :  Network
Published By :  Divyanshu Rao
Update:2022-01-11 19:08 IST

शव पर रोते हुए परिजन 

Azamgarh News: देश के सीमा की सुरक्षा के दौरान पड़ोसी देश बंगलादेश देश से अपने देश के सीमा क्षेत्र में घुसपैठियों से लोहा लेते समय देश के लिए अपना सर्वाेच्च बलिदान करने वाले शहीद विवेक तिवारी का शव मंगलवार को उनके पैतृक गांव पहुंचा। शव से लिपट कर विलाप कर रहे परिवार की मनोदशा देख वहां मौजूद हर किसी की आंखें नम हो गईं। जिला पंचायत अध्यक्ष विजय यादव ने शहीद जवान विवेक तिवारी को श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुए परिवार को ढांढस बंधाया।

बिलरियागंज थाना क्षेत्र के महुवी शेरपुर गांव में बलिदानी सैनिक के अंतिम दर्शन के लिए जुटी हजारों की भीड़ में अंतिम झलक पाने को होड़ लग गई। तिरंगे में लिपटे बेटे का शव देख सुधबुध खो चुके पिता हरिनारायण तिवारी को लोग संभाले हुए थे तो आंखों में आंसू लिए वहां जुटी महिलाएं शहीद की पत्नी समेत घर की महिलाओं को संभालने का प्रयास कर रही थीं।

वहीं युवाओं की भीड़ श्भारत माता की जयश् व श्जब तक सूरज-चांद रहेगा, विवेक तुम्हारा नाम रहेगाश् जैसे नारे लगा रही थी। हजारों की भीड़ के बीच बीएसएफ के वाहन से पार्थिव शरीर के ताबूत को मशक्कत के साथ जब जवानों ने जैसे भूमि पर रखा तो छोटा भाई अपने को नहीं रोक सका और ताबूत पर ही सिर रख रोने लगा।

रोते हुए शहीद जवान के पिता की तस्वीर 

सैनिकों ने जैसे ही अंतिम सलामी दी सभी आखें मानों गर्व से नम हो गईं। मकानों की छतों से लेकर आसपास के सभी स्थानों पर तिल रखने की जगह नहीं थी। यह नजारा था मंगलवार को दिन में जनपद के महराजगंज विकासखंड क्षेत्र व बिलरियागंज थाना अंतर्गत महुवी शेरपुर गांव का। बंगलादेश की सीमा पर यहां के निवासी बीएसएफ जवान के शहीद होने की सूचना मिलते ही पूरा इलाका शोक में डूब गया था। दो वर्ष पूर्व सीमा सुरक्षा बल में नियुक्त हुए 24 वर्षीय विवेक तिवारी पश्चिम बंगाल प्रांत से लगे बांग्लादेश बार्डर पर तैनात थे।

रविवार की आधी रात वह घुसपैठियों से हुई मुठभेड़ में बलिदान हुए थे। शहीद जवान की लगभग तीन वर्ष पूर्व शादी हुई थी और उनके पास एक डेढ़ वर्ष की बेटी है। शहीद जवान के पिता घर पर ही रहकर कृषि कार्य करते हैं। छोटा भाई अभी पढ़ाई कर रहा है। दिवंगत जवान के घर शोक संवेदना व्यक्त करने वालों का तांता लगा हुआ है

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