Navratri Special: त्रेतायुगीन मां कष्टहरणी भवानी, नवरात्रि में है दर्शन का विशेष महत्व

Navratri Special:त्रेतायुगीन मां कष्टहरणी भवानी का कपाट कोरोना काल के बाद पहली बार भक्तों के लिए खोला जायेगा।

Report :  Rajnish Mishra
Published By :  Shraddha
Update:2021-10-06 18:03 IST

त्रेतायुगीन मां कष्टहरणी भवानी मंदिर का कपाट नवरात्रि में खुल रहा 

Navratri Special :  गाजीपुर जनपद (Ghazipur District) के करीमुद्दीनपुर (Karimuddinpur) स्थित त्रेतायुगीन मां कष्टहरणी भवानी (Tretayugin Maa Kashharni Bhavani) का कपाट कोरोना काल के बाद पहली बार भक्तों के लिए खोला जायेगा। इस बार मां कष्टहरणी भवानी के भक्तों को नवरात्रि में दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होगा। मां कष्टहरणी भवानी के दर्शन के लिए लोग आस लगाये रहते है कि कब नवरात्रि आये और मां कष्टहरणी का दर्शन हो क्यों कि यहां नवरात्रि में दर्शन करना फलदायी होता है। त्रेतायुग में भगवान राम ने भी कष्टहरणी भवानी के दर्शन किये थे।

नवरात्रि के मद्देनजर मंदिर प्रशासन भी पूरी तरह तैयार है। पुजारी राजू पान्डेय ने बताया की यहां दर्शन करने आये भक्तों को कोरोना प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन करना होगा बगैर मास्क किसी को भी मंदिर परिसर में प्रवेश नहीं दिया जायेगा। उन्होंने बताया की गर्भगृह के अंदर एक बार में सिर्फ दस लोग ही जा पायेंगे। मंदिर के पुजारी ने बताया की प्रवेश द्वार पर भक्तों के लिए सैनिटाइजर का भी व्यवस्था है।

सौ साल पहले हुआ था मंदिर का निर्माण


त्रेतायुगीन मां कष्टहरणी भवानी मंदिर 

पुजारी राजू पान्डेय ने बताया कि आज से करीब सौ साल पहले मां कष्टहरणी भवानी मंदिर का निर्माण हुआ था। उन्होंने बताया की यहां जो भी भक्त सच्चे मन से कोई मन्नत मांगता है, तो उसकी मुरादें अवश्य पूरी होती है। उन्होंने बताया की मंदिर का निर्माण कराने का कार्य लाल बाबा ने शुरू किया था। पुजारी राजू पान्डेय व करीमुद्दीनपुर निवासियों के अनुसार कष्टहरणी भवानी का संबंध त्रेतायुग व द्वापरयुग से भी है। यही नहीं कीनाराम बाबा को भी यहीं पर सिद्धि प्राप्त हुई थी।

आज का करीमुद्दीनपुर त्रेतायुग व द्वापरयुग में दारूक वन से था प्रसिद्ध


गाजीपुर जनपद का आज का करीमुद्दीनपुर जहां मां भवानी विराजमान हैं। वो स्थान कभी दारूक वन के नाम से प्रसिद्ध था। किवंदती है कि जब विश्वामित्र अयोध्या से राम को अपने साथ लेकर चले तो दारूक वन आज के करीमुद्दीनपुर में ही विश्राम किया था। समय के साथ साथ दारूकवन बन गया आज का करीमुद्दीनपुर, यहां के बुजुर्ग ग्रामीणों ने बताया की कीनाराम बाबा को भी यहीं पर ही सिद्धियां प्राप्त हुई थीं। ग्रामीणों के अनुसार कीनाराम को मां कष्टहरणी ने अपने हाथों से प्रसाद खिलाया था। इसीलिए मंदिर परिसर में कीनाराम की भी मूर्ति स्थापित है।

विश्वामित्र के साथ राम कर चुके हैं विश्राम तो पांडवों को कृष्ण दे चुके है शिक्षा


गाजीपुर जनपद के करीमुद्दीनपुर स्थित मां कष्टहरणी भवानी का जिक्र पुराणों में भी मिलता है। कहा जाता है कि द्वापरयुग में भी.कृष्ण ने पांडवों को कष्टहरणी भवानी का यहीं दर्शन कराया था तत्पश्चात कृष्ण ने पांडवों को शिक्षा भी दी थी।

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