Gorakhpur News: योगी सरकार पर राहुल गांधी का तंज, शिक्षक दिवस पर गोरखपुर की बेटी संध्या के जज्बे को सराहा

Gorakhpur News: राहुल गांधी ने शिक्षक दिवस पर गोरखपुर की बेटी संध्या निषाद के बहाने प्रदेश की योगी सरकार पर फिर हमला बोला है।

Published By :  Shreya
Update: 2021-09-05 08:54 GMT

राहुल गांधी-योगी आदित्यनाथ (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Gorakhpur News: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने शिक्षक दिवस (Teachers' Day) पर गोरखपुर की बेटी संध्या निषाद (Sandhya Nishad) के बहाने प्रदेश की योगी सरकार (Yogi Government) पर फिर हमला बोला है। राहुल ने ट्वीट कर लिखा है कि 'ये बच्ची मुश्किल परिस्थिति, ठप प्रशासन व अनिश्चित भविष्य होने पर भी हिम्मत नहीं हारी। संध्या का साहस बहुत कुछ सिखाता है।' 

गोरखपुर में बाढ़ (Flood In Gorakhpur) से जूझ रही संध्या निषाद की स्कूल जाने की जिद में खुद नाव चलाने का वीडियो वायरल (Viral Video) हुआ है। संध्या के संघर्ष और जज्बे की हर तरफ तारीफ हो रही है। दरअसल, बाढ़ की विभीषिका से जूझते हुए हार नहीं मानने का जज्बा पाले संध्या निषाद इन दिनों खुद नाव चलाकर स्कूल जा रही है। नदी की तेज धार के बीच वह रोज 500 मीटर तक अकेले नाव चलाती है।  

नाव चलाना सीखना अब आ रहा काम

संध्या कहती है कि 'लंबे समय बाद स्कूल में पढ़ाई शुरू हुई है। छह साल पहले से नाव चलाना सीखा था। जो अब सार्थक हो रहा है।' असल में निषाद परिवार की संध्या ने नाव चलाना छह साल पहले ही सीख लिया था। बाढ़ की दुश्वारियों के बीच वह पहले भी रोजमर्रा की जरूरतों को लेकर नाव चलाती रही है। लेकिन पढ़ाई को लेकर संध्या के जोश और जब्बे को राप्ती की तेज धारा भी नहीं रोक पा रही है।

संध्या एडी राजकीय कन्या इंटर कॉलेज में 11वीं की छात्रा है। स्कूल में कक्षाएं शुरू होने की सूचना मिली तो वह बाढ़ से घिरी हुई थी। स्कूल की टीचर की तरफ से मिले मैसेज के बाद उसने हर हाल में क्लास करने का निर्णय लिया। कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष विश्वविजय सिंह का कहना है कि मुख्यमंत्री बाढ़ पीड़ितों को लेकर हवाई सर्वे कर रहे हैं। लेकिन जमीन पर कोई काम नहीं हो रहा है। लोग जुगाड़ के नाव से जिंदगी काट रहे हैं। खजनी में नाव पलटने बुआ-भतीजे की मौत प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा है। 

संध्या निषाद (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

कारपेंटर का काम करते हैं पिता

बहरामपुर दक्षिणी में रहने वाली संध्या के पिता दिलीप निषाद पेशे से कारपेंटर का काम करते हैं। घर में पहली मंजिल तक बाढ़ का पानी है। परिवार छत पर निवास कर रहा है। छत पर ही खाना पकता है। संध्या बताती है कि '20 मिनट तक लगातार नाव चलाना पड़ता है। लेकिन लंबे समय के बाद कक्षाएं शुरू हुईं तो क्लास छोड़ा भी नहीं जा सकता है। दोस्त काजल पड़ोस से जाती है। बंधे पर आने के बाद ऑटो से स्कूल जाते हैं।' पिता दिलीप साहनी बताते हैं कि 'तीन बेटे और इकलौती बेटी है। पढ़ने में काफी तेज है। उसका कहना है कि हर हाल में सरकारी नौकरी करेगी। हम उसके जोश और जज्बे में सिर्फ एक नाव की भूमिका में हैं।' 

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