Gorakhpur News: गोरखपुर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में बोलीं राज्यपाल, बेटिया आगे बढ़ रही हैं, बेटे पीछे जा रहे
Gorakhpur News: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (Deendayal Upadhyay Gorakhpur University) का 40वां दीक्षांत समारोह (40th Convocation) धूमधाम से बुधवार को दीक्षाभवन में मनाया गया।
Gorakhpur News: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (Deendayal Upadhyay Gorakhpur University) का 40वां दीक्षांत समारोह (40th Convocation) धूमधाम से बुधवार को दीक्षाभवन में मनाया गया। जहाँ कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने मुख्य अतिथि प्रो. एके श्रीवास्तव की मौजूदगी में सत्र 2020-21 की स्नातक और परास्नातक कक्षाओं में सर्वाधिक अंक हासिल करने वाले 45 मेधावियों को स्वर्ण पदक प्रदान कर सम्मानित किया।
कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल (Chancellor Anandiben Patel) ने कहा पदक हासिल करने वाले मेधावियों में 71 फीसदी छात्राओं की संख्या को देखकर मैं आनंदित हूं। मैं मुख्य अतिथि से अनुरोध करती हूं कि वो एक शोध कराएं की यूपी की मिट्टी में ऐसा क्या है जो बेटियां आगे बढ़ती है। बेटे पीछे क्यो हैं ये भी पता लगाया जाना चाहिए। हो सकता है इससे ये संख्या 50-50 फीसदी की बराबरी पर आ जाए (मुस्कुराते हुए) या हो सकता है 100 फीसदी बेटियां ही पदक हासिल करने वालों की सूची में स्थान बनाने लगें।
राज्यपाल ने कहा कि आज सभी मेधावियों को स्वर्ण पदक मिला है। इसे ले जाकर घर पर रख दें। मगर किसी से सोने की मांग न करने का भी प्रण लें। अपने दम पर आगे बढ़ने की शपथ ले। किसी से मांग कर लेना बहादुरी नहीं होती है बल्कि मुझे लगता है ये सबसे बड़ी कमजोरी है। कुलाधिपति ने कहा कि जब जिंदगी में कुछ बड़ा हासिल करना हो तो देश और दुनिया में क्या हो रहा है ये जानना बेहद आवश्यक है।
बनारस क्या है कैसे बदल रहा है
काशी विश्वधाम का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में उद्घाटन किया है। बनारस क्या है कैसे बदल रहा है। प्रधानमंत्री ने ये बताया है। मैं चाहती हूं कि विश्वविद्यालय बच्चों को या तो उससे जुड़े लेख पढ़ने को उपलब्ध कराए या ऑडियो वीडियो सुनवाने की व्यवस्था करें। विद्यार्थियों को भ्रमण कराने पर भी फोकस किया जाए। आज के ये विद्यार्थी आईएएस, पीसीएस, वैज्ञानिक, इंडस्ट्री तैयार करने वाले बनेंगे। लेकिन जब ये समाज में जाते हैं तो इनसे हमें शिकायत होती है। अधिकारी कुछ कर नहीं रहे हैं। अयोध्या का राम मंदिर और विश्वधाम कैसे बना जब तक जाकर विद्यार्थी देखेंगे नहीं तब तक उसकी महत्ता समझ में नहीं आएगी। राम मंदिर के निर्माण की मजबूती एक साल तक चले, इसे लेकर पचास फीट नीचे नींव तैयार करने को देख भर के इंजीनियर और मनीषी जुटे। तीन महीनों तक मंथन हुआ। ये वही देश है जहां हजारों वर्ष पुराने मंदिर मौजूद है। उस दौर की इंजीनियर क्या हमसे ज्यादा उन्नत नहीं थी। जब तक हम नहीं देखेंगे पता नहीं चलेगा।
छोटे पैमाने पर किए गए काम लाते हैं बड़ा बदलाव
कुलाधिपति ने कहा कि छोटे पैमाने पर किए गए काम बड़ा बदलाव लाते हैं। पिछले कुछ वर्षों में पद्मश्री पुरस्कारों का अध्ययन करने की जरूरत है। जिन्हें ये पुरस्कार मिला है। उसकी किताब बनाकर बच्चों को दीजिए और बताने की जरूरत है। ये काम कैसे जिंदगी बदल सकते हैं। 105 साल के व्यक्ति को पद्मश्री दिया गया। उस व्यक्ति से विदेशी ने अंग्रेजी में पूछा कौन सा फल लिए हो, वो नहीं बता सका। मगर ये बात उसके दिल को लगी, उसने ठाना कि मेरे गांव को कोई भी बच्चा ऐसा ना हो जो अंग्रेजी न बोल सके। इसे लेकर गांव में अंग्रेजी माध्यम का स्कूल बनाया। 400 बच्चे विद्यालय में अध्ययन कर रहे हैं। आसाम के एक बैंक में कार्य करने वाली कैशियर ने स्वयं सहायता समूह का आइडिया चलन में लाया। आज 30 हजार महिलाएं उससे लाभान्वित हो रही हैं।
बच्चों को प्रोत्साहित करना बेहद आवश्यक
कुलाधिपति ने कहा कि ऑडिटोरियम में आगे की तरफ परिषदीय स्कूलों के बच्चे बैठे हुए हैं। उनके पीछे बैठने मेधावी जब मंच पर आकर सम्मानित हो रहे थे तो मैंने देखा की ये बच्चे जोर से तालियां बजाकर उनका हौसला बढ़ा रहे थे। ऐसे ही जब इन बच्चों को सम्मानित किया जा रहा था तो मेधावी तालियां बजाकर उनका हौसला बढ़ा रहे थे। एक दूसरे का प्रोत्साहन करना बेहद आवश्यक है। ये बच्चे पहली बार विश्वविद्यालय आए हैं। मुझे लगता है कि सभी बच्चों और स्कूली शिक्षकों को विश्वविद्यालय में आना चाहिए। लैब, लाइब्रेरी यहां की कक्षाओं को वो देखेंगे तो उन्हें प्रेरणा मिलेगी। बच्चों के अंदर भी समाज के लिए कुछ करने का जज्बा उत्पन्न होगा।
75 फीसदी गम्भीर बीमारियां पशुओं ने मानव में पहुंच रही: प्रो.एके श्रीवास्तव
मुख्य अतिथि पशु विज्ञान के सदस्य और एग्रीकल्चर साइंटिस्ट चयन बोर्ड (डेयर) के प्रो एके श्रीवास्तव ने कहा कि जिन विद्यार्थियों ने दीक्षांत समारोह में पदक हासिल किया है। उनपर देश को आगे ले जाने की अहम जिम्मेदारी है। पशुओं से मानव में फैलने वाले बीमारी बेहद घातक है। दुनियाभर में फैली 75 फीसदी घातक बीमारियां जानवरों से मानव में फैली हैं। आधा पका दूध, मीट ये सब इसके अहम कारकों में शामिल हैं। बचाव की दिशा में कदम उठाने की जरूरत है। हमें साथ रहकर एक साथ विकास के बारे में योजना बनाने की आवश्यकता है।
ग्रामीण इलाकों में रहने वाली माताओं को कुपोषण के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। एक बच्चे को जन्म लेने के बाद 1000 दिनों तक पोषणयुक्त आहार की आवश्यकता होती है। जो उसे बीमारियों से जिंदगी भर दूर रखती हैं। बढ़ती जनसंख्या से पानी का संकट आता है। देश खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हुआ ही है। एक नया शोध ये भी दर्शाता है कि टीबी भी जानवरों से व्यक्ति में आता है। इसे लेकर गांवों में जागरूकता लाना है। प्रत्येक व्यक्ति 10 लोगो को जागरूक करें।
बदल रही तस्वीर, विदेश के लोग गोरखपुर पढ़ने आ रहे
कुलपति प्रो राजेश सिंह ने कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल और मुख्य अतिथि का स्वागत करते हुए वर्ष पर्यंत विश्वविद्यालय द्वारा अर्जित उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। कुलपति ने कहा कि पूर्वांचल के विकास पर आधारित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के माध्यम से पूर्वांचल के विकास का रोडमैप तैयार करने में विश्वविद्यालय प्रशासन ने अहम भूमिका निभाई। विश्वविद्यालय के सूझावों पर कैबिनेट कमेटी की ओर कार्य प्रारंभ किया जा चुका है। 40 हजार करोड़ रुपये कहां से आएंगे कमेटी उसका खाका तैयार कर रही है। इसके साथ ही नाथपंथ पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय पर भी अलग अलग अंतरराष्ट्रीय सेमिनारों का आयोजन किया गया। नाथपंथ पर इंटरनेशनल सेल बनाया जा रहा है।
गंभीरनाथ चेयर भी यूजीसी की ओर से स्थापित की जा रही है। सीबीसीएस पैर्टन को भी विश्वविद्यालय और संबद्ध महाविद्यालयों के स्नातक प्रथम वर्ष में लागू किया जा चुका है। इस पैर्टन को ध्यान में रखकर ही 63 नए पाठ्यक्रमों की शुरूआत की गई है। जिनमें 24 डिग्री, 26 डिप्लोमा और शेष सर्टिफिकेट कोर्स हैं। इसके साथ ही आठ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, 11 रिसर्च प्रोजेक्ट के अलावा डीएसटी एवं स्टार्ट एप के प्रोजेक्ट पर कार्य हो रहा है। जीरो वेस्ट कैंपस, इलेक्शन सेल, 17 अंतरराष्ट्रीय फेलोशिप, 100 अंतराष्ट्रीय खिलाड़ियों के लिए फेलोशिप, पांच रूपये नाश्ता और भोजन के लिए अदम्य चेतना फाउंडेशन से करार हुआ है। इसके अलावा जीरो वेस्ट कैंपस की स्थापना की है। हाल ही में विश्वविद्यालय को क्यू एस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में देश के शैक्षणिक संस्थानों में 96वीं और राज्य विश्वविद्यालयों में पहला स्थान मिला है। कार्यक्रम का संचालन डॉ तुलिका मिश्रा ने किया।
सत्र 2020-21 में प्रदान की जाने वाली यूजी-पीजी की उपाधियों का विवरण
क्र.सं- उपाधियों की संख्या- छात्राएं- छात्र
विश्वविद्यालय परिसर- 6279- 3431- 2848
महाविद्यालय- 59377-39663-19714
कुल उपाधियां- 65656-43094- 22562
विश्वविद्यालय स्वर्ण पदकों की संख्या- 45
छात्राएं- 32
छात्र- 13
स्मृति पदक- 76
कुल पदक- 121
पीएचडी उपाधि हासिल करने वालों की संख्या*
पीएचडी- 35
छात्राएं- 9
छात्र- 26
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