Illegal Liquor Sale: शराब माफिया का गोल्डेन ट्राई एंगल बना गोरखपुर, यहीं से होती है बिहार तस्करी

Illegal Liquor Sale: पिछले तीन माह में गोरखपुर जनपद के विभिन्न इलाकों से लगभग डेढ़ करोड़ कीमत की शराब पुलिस व आबकारी विभाग ने अब तक जब्त की है।

Report :  Sandeep Mishra
Published By :  Shraddha
Update: 2021-10-25 08:54 GMT

Liquor in UP (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)



Illegal Liquor Sale Gorakhpur District: जब से बिहार में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगा है तब से ही गोरखपुर अवैध शराब बिक्री (gorakhpur illegal liquor sale) का प्रमुख गढ़ बन गया है। इस जनपद की सहजनवां पुलिस ने आज सोमवार को 7.42 लाख की अवैध शराब (illegal liquor) के साथ दो शराब तस्करों को पकड़ा है। गोरखपुर में शराब पकड़ना अब आम बात है। पिछले तीन माह में गोरखपुर जनपद (Gorakhpur District) के विभिन्न इलाकों से लगभग डेढ़ करोड़ कीमत की शराब पुलिस व आबकारी विभाग ने अब तक जब्त की है। ये सभी अवैध शराब का जखीरा बिहार ले जाया जा रहा था।

शराब मफिया का हरियाणा से लेकर बिहार तक है लम्बा नेटवर्क

गोरखपुर से बिहार तक जाने में वाया मुज्जफरपुर एक व्हीकल्स को मात्र 8 घण्टे लगते हैं। जबकि कुशीनगर होकर एनएच 27 होकर जाने में 9 घण्टे लगते हैं। इसलिए शराब माफिया ने बिहार में शराब ले जाने के लिए गोरखपुर को ही सेंटर पॉइंट बनाया हुआ है। गोरखपुर के जिला आबकारी अधिकारी (District Excise Officer) बताते हैं कि पिछले तीन माह में लगभग 1करोड़ 50 लाख कीमत की शराब बरामद की गई है। लगभग दो दर्जन से अधिक शराब तस्कर भी गिरफ्तार किए गए हैं। आबकारी विभाग का कहना है कि बिहार में शराब हरियाणा से लाकर सप्लाई की जा रही है। लेकिन सेंटर पाइंट गोरखपुर है। हरियाणा से बिहार तक हर जिले के बॉर्डर पर ये शराब माफिया पुलिस व आबकारी विभाग के लोगों की रेकी करते मिल सकते हैं।

हर जिले में बदल जाती है इनके वाहनों की नम्बर प्लेट

जानकरी यह दी गयी है कि दिल्ली, यूपी बिहार के हर जिलों की नम्बर प्लेट इन मफिया के गुर्गों के पास रहती हैं। ये हर जिले में जरूरत के हिसाब से अपने शराब ढोने वाले वाहनों व कारों के नम्बर प्लेट बदलते रहते हैं, ताकि हाइवे पर मिलने वाला चैकिंग स्टाफ लोकल गाड़ी समझकर ज्यादा तंग न करे। ये लोग हर जिलों में एंट्री करते वक्त तो बहुत ज्यादा नम्बर प्लेट तो नहीं बदलते हैं लेकिन स्टेट चेंज होंने पर अपने वाहनों की नम्बर प्लेट जरूर बदल देते हैं।


गोरखपुर अवैध शराब बिक्री(कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)


दरअसल यूपी में वाहनों की चैकिंग बहुत गम्भीरता से पुलिस नहीं करती है। सीट बेल्ट, गाड़ी चलाते समय मोबाइल यूज करना व पेपर देखने के अलावा पुलिस कोई अन्य जांच नहीं करती हैं और लखनऊ आगरा हाइवे समेत अन्य हाइवे पर तो न के बराबर ही जांच होती है। इसलिए ये माफिया अवैध की शराब खेप लेकर गोरखपुर तक बहुत आसानी से पहुंच ही जाते हैं।

गोरखपुर-कुशीनगर पुलिस की साठगांठ से हो रही है ये तस्करी


शराब तस्करी (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)


 जानकारी तो यह भी दी गयी है कि वैसे जब हरियाणा से अवैध शराब का जखीरा बिहार के लिए निलकता है तो रुपयों से भरा एक ब्रीफकेस इनके गुर्गे कार में लेकर साथ ही चलते हैं, ताकि रास्ते मे होने वाली दिक्कतों से निपटा जा सके लेकिन बिहार ले जाने के लिये शराब के वाहनों को ढाबों व अन्य स्थानों पर खड़ा किया जाता है क्योंकि बिहार जिस शराब माफिया का स्टाफ लेकर जाता है, वो दूसरे लोग होते हैं और बिहार प्रान्त के लोकल के लोग होते हैं। इसलिये ये माफिया गोरखपुर जनपद के विभिन्न थानों की पुलिस से अपनी अच्छी सैटिंग रखते हैं। ताकि गोरखपुर की पुलिस इनके अवैध शराब के वाहनों से कोई छेड़छाड़ न करे।

इस शराब तस्करी में कई पुलिस कर्मी भी शामिल रहते हैं

जनपद कुशीनगर पटहेरवा थाने में तैनात एक दरोगा के निजी आवास पर स्वाट टीम ने छापेमारो की। दरोगा के आवास से भारी संख्या में अवैध शराब का जखीरा बरामद किया गया। लिहाजा स्वाट टीम के पुलिसकर्मियों व उक्त दरोगा के बीच हाथापाई होने लगी। जब एसएचओ मौके पर पहुंचे तो पता लगा कि इस अवैध शराब को रखवाने में एसएचओ साहब की बहुत बड़ी भूमिका थी। यह चर्चित मामला अभी 20 दिन पूर्व का है। पूर्व में तरायसुजान पुलिस ने दो टस्करों के साथ शराब की बिहार जा रही अवैध शराब की बड़ी खेप पकड़ी थी, तब पकड़े गए तस्करों ने बताया था कि गोरखपुर व कुशीनगर पुलिस के कई थाने के पुलिस कर्मी उनके इस अवैध धंधे में काफी मदद क्ररते हैं।

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