Manish Gupta Hatyakand: गोरखपुर पुलिस ने लिखी इंस्पेक्टर और चौकी इंचार्ज की गिरफ्तारी की स्क्रिप्ट, पढ़ें इनसाइड स्टोरी

गोरखपुर में रियल स्टेट कारोबारी मनीष गुप्ता हत्याकांड में इंस्पेक्टर जेएन सिंह की खुली साजिश की पोल

Published By :  Raghvendra Prasad Mishra
Update: 2021-10-11 13:33 GMT

इंस्पेक्टर जेएन सिंह और चौकी इंचार्ज अजय मिश्र की फाइल तस्वीर (फोटो-न्यूजट्रैक)

Manish Gupta Hatyakand: रियल इस्टेट कारोबारी मनीष गुप्ता (Manish Gupta Murder Case Ki Kahani) की हत्या में वांछित इंस्पेक्टर जेएन सिंह और चौकी इंचार्ज अक्षय मिश्रा की फिल्मी स्टाइल में हुई गिरफ्तारी से गोरखपुर सवालों में है। जिस हत्यारोपित पुलिस वालों को एसआईटी कानपुर की टीम नहीं पकड़ सकी उसे एसएसपी के मातहत पुलिस ने गिरफ्तार (Police arrests 2 cops Manish Gupta Hatyakand) कर लिया। बांसगांव इंस्पेक्टर राणा देवेन्द्र सिंह के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम ने दोनों को पकड़ा। राणा देवेन्द्र सिंह, इंस्पेक्टर जेएन सिंह के करीबी बताये जाते हैं। ऐसे में जेएन सिंह ने गिरफ्तार होकर अपने तीन पुलिस वालों को लखपति बना दिया।

ये अलग बात है कि पुलिस विभाग के कागजी दस्तूर में इन्हें इनाम मिलता है या नहीं? इसपर सवाल है। एसआईटी कानपुर ने (Gorakhpur Manish Gupta Hatyakand) मनीष हत्याकांड में हत्यारोपी छह पुलिस वालों पर एक-एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया है।

मनीष हत्याकांड (Manish Gupta Hatyakand) में हत्यारोपित पुलिस वाले चंद दिनों में एक लाख के इनामी हो गए थे। ऐसे में उनकी गिरफ्तारी को लेकर सक्रियता बढ़ गई थी। खुद कानपुर एसआईटी के तेज तर्रार पुलिस वाले सभी छह पुलिस वालों की गिरफ्तारी को लेकर पूरे प्रदेश में छापेमारी कर रहे थे। लेकिन इंस्पेक्टर जेएन सिंह और चौकी इंचार्ज उसी थाना क्षेत्र में गिरफ्तार हुए जहां चंद दिनों पहले तक इनका रसूख और दबदबा था।


दिलचस्प यह है कि दोनों की गिरफ्तारी के करीब 24 घंटे पहले ही यह खबर आ चुकी थी कि आरोपितों को हाजिर कराया जा चुका है। सिर्फ इसकी पुष्टि नहीं हुई थी। सवाल यह है कि इनकी गिरफ्तारी की स्क्रिप्ट आखिर लिखी किसने? क्योंकि गिरफ्तारी के घटनाक्रम को देखते हुए मनीष गुप्ता की पत्नी मीनाक्षी के आरोप शत प्रतिशत सही साबित हो रहे हैं।

(Gorakhpur Manish Gupta Hatyakand) मीनाक्षी लगातार कह रही है कि हत्यारोपितों की गोरखपुर पुलिस के आला आधिकारियों से बात हो रही है। इन्हें संरक्षण मिला हुआ है। अब जब दोनों गिरफ्तार हुए तो सवाल उठ रहा है कि क्या इंस्पेक्टर और दरोगा इतने नासमझ हैं कि दुनिया भर में उनकी फोटो और वीडियो वायरल होने के बाद वह अपने ही इलाके में घूमेंगे?

गोरखपुर में ही थे इंस्पेक्टर और चौकी इंचार्ज (gorakhpur chauki incharge)

पुलिस सूत्रों की मानें तो 28 सितंबर की रात थाने की जीडी में एंट्री कर आरोपित पुलिस वाले फरार हो गए थे। लेकिन उन्होंने अपने छिपने का सबसे महफूज ठिकाना गोरखपुर को ही समझा। क्योंकि उन्हें पता था कि उनकी देश के हर कोने में तलाश की जाएगी, लेकिन गोरखपुर के लिए कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जाएगा। इस बीच रामगढ़ताल थाने के ही दो कारखास कर्मी फरारी के बाद से भी लगातार आरोपितों के संपर्क में बने रहे थे। जब 14 टीमों की ओर से गिरफ्तारी के लिए बिछाए गए सभी जाल खाली ही दिखे तो फिर गोरखपुर पुलिस ने एक नया फार्मूला अख्तियार किया। पुलिस वालों ने जानबूझ कर रामगढ़ताल थाने में गिरफ्तारी की प्लानिंग की। जिससे मीडिया के कैमरों से बचने से लेकर अन्य सभी सूचनाएं गोपनीय रखी जा सकें।


जेल भेजे गए इंस्पेक्टर-दरोगा (Manish Gupta Hatyakand aaropi Inspector-Daroga)

जेएन सिंह और उसके साथी को रिमांड पर लेने के लिए एसआइटी ने कोर्ट से मांग की थी लेकिन दोनों को न्यायिक हिरासत में मंडलीय कारागार में भेज दिया गया। (Gorakhpur Manish Gupta Hatyakand) हत्याकांड में जिला जेल में आने के बाद जेएन सिंह और अक्षय मिश्रा का देर रात ही जेल प्रशासन द्वारा डॉक्टर टीम बुलाकर स्वास्थ्य प्रशिक्षण एवं कोविड जांच कर मेडिकल प्रोफार्मा तैयार कर जेल के नेहरू बैरक में दाख़िल किया गया।

दिलचस्प यह है कि हाफ ब्लेड में आरोपी को पकड़ने के प्रेस रिलीज जारी कर मीडिया से मुखातिब होने वाली पुलिस दो लाख के इनामिया को पकड़ने के बाद भी मुंह चुरा रही है। मुकदमा वापस लेने का मीनाक्षी पर दबाव बनाने वाले एसएसपी विपिन टांडा भी मीडिया के सामने आने से बच रहे हैं।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेशी (Manish Gupta Hatyakand Video Conferencing)

जेएन सिंह को मंडलीय कारागार के नेहरू बैरक में रखा गया है। इसमें पहले भी मनबढ़ क़िस्म के बंदी रखे जाते रहे हैं। मधुमति शुक्ला हत्याकांड में जेल काट रहे पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी इसी बैरक में थे। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुए ऑक्सीजन कांड के आरोपी डॉ. कफील खान और डॉ.राजीव मिश्रा भी इसी बैरक में रहे थे। जेएन सिंह और अक्षय मिश्रा की सुरक्षा देखते हुए पेशी पर नहीं ले जाया जाएगा। इनकी पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जेल से ही कराई जाएगी।

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