Kashi Vishwanath Dham: पीएम मोदी के तीन संकल्प, 'स्वच्छता, सृजन और आत्मनिर्भर भारत'

Kashi Vishwanath Corridor Live: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन (13 व 14 दिसंबर) वाराणसी दौरे पर हैं। आज उन्होंने काशी विश्वनाथ धाम का उद्घाटन कर देश को समर्पित किया है।

Newstrack :  Network
Update: 2021-12-13 03:07 GMT

काशी विश्वनाथ मंदिर में नरेंद्र मोदी (डिजाइन फोटो- @BJP ट्विटर)

Kashi Vishwanath Corridor Live: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) आज (13 दिसंबर) 33 महीनों से तैयार हो रहे श्री काशी विश्वनाथ धाम परियोजना का (kashi vishwanath dham project plan) उद्घाटन कर दिया है। इस कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) और राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल (Anandiben Patel) समेत भाजपा के कई दिग्गज नेता भी होंगे। काशी विश्वनाथ धाम (kashi vishwanath dham varanasi) के लोकार्पण की पल-पल की खबर और काशी विश्वनाथ मंदिर का लाइव वीडियो (kashi vishwanath mandir live video) देखने के लिए बने रहे न्यूज ट्रैक (News Track) के साथ...


Live Updates
2021-12-13 09:17 GMT

'हर-हर महादेव' के नारे का साथ पीएम ने अपने संबोधन को दिया विराम

अपने संबोधन के अंत में पीएम मोदी ने कहा, "भारत 130 करोड़ देशवासियों के प्रयासों से, सबके प्रयास से आगे बढ़ रहा है। महादेव की कृपा से, हर भारतवासी के प्रयास से हम आत्मनिर्भर भारत का सपना सच होता देखेंगे।" इस तरह पीएम मे 'हर-हर महादेव' के नारे का साथ अपने संबोधन को विराम दिया।


2021-12-13 09:07 GMT

आत्मनिर्भर भारत का संकल्प 

पीएम मोदी ने अपने तीसरे संकल्प के बारे में बताते हुए कहा, "तीसरा एक संकल्प जो आज हमें लेना है, वो है आत्मनिर्भर भारत के लिए अपने प्रयास बढ़ाने का। ये आजादी का अमृतकाल है। हम आजादी के 75वें साल में हैं। जब भारत सौ साल की आजादी का समारोह बनाएगा, तब का भारत कैसा होगा, इसके लिए हमें अभी से काम करना होगा।"

2021-12-13 09:04 GMT

पीएम मोदी ने कहा, "आज का भारत सिर्फ सोमनाथ मंदिर का सौन्दर्यकरण ही नहीं करता बल्कि समुद्र में हजारों किमी ऑप्टिकल फाइबर भी बिछा रहा है। आज का भारत सिर्फ बाबा केदारनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार ही नहीं कर रहा बल्कि अपने दम पर अंतरिक्ष मे भारतीयों को भेजने की तैयारी में जुटा है।"


2021-12-13 09:03 GMT

इनोवेट करिए, इनोवेटिव तरीके से करिए- पीएम

पीएम ने अपने संबोधन में कहा, "गुलामी के लंबे कालखंड ने हम भारतीयों का आत्मविश्वास ऐसा तोड़ा कि हम अपने ही सृजन पर विश्वास खो बैठे। आज हजारों वर्ष पुरानी इस काशी से, मैं हर देशवासी का आह्वान करता हूं- पूरे आत्मविश्वास से सृजन करिए, इनोवेट करिए, इनोवेटिव तरीके से करिए।"

2021-12-13 08:59 GMT

पीएम मोदी ने देश से 3 संकल्प मांगा। उन्होंने कहा, "स्वच्छता, सृजन और आत्मनिर्भर भारत के लिए निरंतर प्रयास।"

2021-12-13 08:58 GMT

पीएम ने कहा, "आज का भारत अपनी खोई हुई विरासत को फिर सजो रहा है।  यहां काशी में तो माता अन्नपूर्णा खुद विराजती हैं। मुझे खुशी है कि काशी से चुराई गई मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा, एक शताब्दी के इंतजार के बाद अब फिर से काशी में स्थापित की जा चुकी है।"


2021-12-13 08:55 GMT

पीएम मोदी ने भारत वासियों के बल को याद दिलाते हुए कहा, "हर भारतवासी की भुजाओं में वो बल है, जो अकल्पनीय को साकार कर देता है। हम तप जानते हैं, तपस्या जानते हैं, देश के लिए दिन रात खपना जानते हैं। चुनौती कितनी ही बड़ी क्यों ना हो, हम भारतीय मिलकर उसे परास्त कर सकते हैं।"

2021-12-13 08:52 GMT

पीएम ने कहा है कि "जब भी काशी ने करवट लिया, काशी का भाग्य बदला है। काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण, भारत को एक निर्णायक दिशा देगा, एक उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएगा। ये परिसर, साक्षी है हमारे सामर्थ्य का, हमारे कर्तव्य का। अगर सोच लिया जाए, ठान लिया जाए, तो असंभव कुछ भी नहीं।"

2021-12-13 08:50 GMT

पीएम मोदी ने बनारस के इतिहास के बारे में चर्चा करते हुए कहा,"काशी अहिंसा,तप की प्रतिमूर्ति चार जैन तीर्थंकरों की धरती है। राजा हरिश्चंद्र की सत्यनिष्ठा से लेकर वल्लभाचार्य,रमानन्द जी के ज्ञान तक, चैतन्य महाप्रभु,समर्थगुरु रामदास से लेकर स्वामी विवेकानंद,मदनमोहन मालवीय तक, कितने ही ऋषियों,आचार्यों का संबंध काशी की पवित्र धरती से रहा है। छत्रपति शिवाजी महाराज के चरण यहाँ पड़े थे। रानीलक्ष्मी बाई से लेकर चंद्रशेखर आज़ाद तक, कितने ही सेनानियों की कर्मभूमि-जन्मभूमि काशी रही है। भारतेन्दु हरिश्चंद्र, जयशंकर प्रसाद, मुंशी प्रेमचंद, पंडित रविशंकर और बिस्मिल्लाह खान जैसी प्रतिभाएं इस स्मरण को कहां तक ले जाया जाये। "

2021-12-13 08:47 GMT

पीएम मोदी ने कहा, "बनारस वो नगर है जहां से जगद्गुरू शंकराचार्य को श्रीडोम राजा की पवित्रता से प्रेरणा मिली, उन्होंने देश को एकता के सूत्र में बांधने का संकल्प लिया। ये वो जगह है जहां भगवान शंकर की प्रेरणा से गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस जैसी अलौकिक रचना की। यहीं की धरती सारनाथ में भगवान बुद्ध का बोध संसार के लिए प्रकट हुआ। समाजसुधार के लिए कबीरदास जैसे मनीषी यहाँ प्रकट हुये।,समाज को जोड़ने की जरूरत थी तो संत रैदास जी की भक्ति की शक्ति का केंद्र भी ये काशी बनी।"

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