रायबरेली: नवरात्र के पहले दिन लखनऊ-रायबरेली रेलखंड पर बुधवार को हुए दर्दनाक हादसे से हरचंदपुर रेल हादसे से रूह कांप गई। समय कब किसके साथ कौन सा खेल खेले, यह किसी को नहीं पता। दो साल पहले जिस मासूम के सर से बाप का साया उठ गया था, आज रेल हादसे में उसके मां और बड़े भाई की मौत हो गयी। जिला अस्पताल में इन बेसुध बच्चों को समझ में नही आ रहा है कि अब उनकी जिंदगी कैसे चलेगी।
ट्रेन हादसे ने बिखेरा परिवार
बिहार के मुंगेर जिले के केनुआ गाँव का रहने वाले राकेश के पिता की दो साल पहले मौत हो गयी थी। उसकी माँ अपने बच्चों के पालन पोषण के लिए मजदूरी का काम करती थी। इसी सिलसिले में वो आज अपने बच्चों के साथ फरक्का एक्सप्रेस से पंजाब जा रही थी। लेकिन आज हरचंदपुर में हुए ट्रेन हादसे में मां और बड़े बेटे की मौत हो गई, जबकि राकेश और उसके दो छोटे भाई बच गए। राकेश को यह समझ नही आ रहा कि नियति ने उनके साथ ऐसा खेल क्यों खेला। दो साल पहले राजेश जब महज चार साल का था तब उसके सर से बाप का साया उठ गया था। रायबरेली ट्रेन हादसे में अब उसकी मां भी नहीं रही।
अस्पताल में बदहवास और दर्द से तड़पते राकेश को समझ मे नहीं आ रहा है कि अब जिंदगी उसे किस ओर ले जाएगी। उसके सामने अब अपने दो छोटे भाइयों की परवरिश की जिम्मेदारी पहाड़ बन कर खड़ी है। कभी वो अपने जख्मों को देखता तो कभी अपने छोटे भाइयों के मासूम चेहरे को निहारता। राकेश की मां का पोस्टमार्टम रायबरेली में किया जा रहा है। ये लोग सो रहे थे जब आंख खुली तो अपने को बर्थ के नीचे पाया। फिर राकेश ने अपने छोटे भाइयों को ढूंढा और लोगों से मदद मांगी। दो छोटे भाई रवि और लवी की परवरिश भी अब राजेश के सर आ गयी है।
अभिभावक न होने से अटका मुआवजा
रेलवे वेलफेयर इंस्पेक्टर सुधीर तिवारी ने बताया कि रेलवे की तरफ से अभी तक कोई मुआवज़ा नही दिया गया है क्योंकि बच्चों का कोई अभिभावक नहीं है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि अपनी माँ की लाश को लेकर ये मासूम अपने गांव कैसे जाएगा।