मैडम की दबंगई: टिकट काउंटर पर मचाया हंगामा, यात्री परेशान
यात्रीगण कृपया ध्यान दें! नई दिल्ली से चलकर आगरा, ग्वालियर के रास्ते भोपाल को जाने वाली गाड़ी संख्या.....अपने निर्धारित समय से 10 मिनट की देरी से चल रही है।
झांसी: यात्रीगण कृपया ध्यान दें! नई दिल्ली से चलकर आगरा, ग्वालियर के रास्ते भोपाल को जाने वाली गाड़ी संख्या.....अपने निर्धारित समय से 10 मिनट की देरी से चल रही है। यह गाड़ी 4 बजकर 15 मिनट पर प्लेटफॉर्म नंबर 1 पर आएगी। यात्रियों को हुई असुविधा के लिए हमें खेद है। ऐसी अनेक उद्घोषणाएं आपने झांसी रेलवे स्टेशन पर सुनी होंगी। ये उद्घोषणा करने वाली महिला की मधुर आवाज यात्रियों को असुविधा में भी पीड़ा नहीं देती लेकिन विभाग के आरक्षण कार्यालय में कार्यरत एक महिला कर्मचारी (आरक्षण सुपरवाइजर-2) की बदतमीजी यात्रियों को बहुत अखर रही। मैडम आए दिन आरक्षण काउंटर पर अनेक यात्रियों को भला-बुरा कहती रहती हैं।
उनसे लड़ने पर उतारू हो जाती हैं। यात्रियों द्वारा उनके रूखे व्यवहार की शिकायत उच्च अधिकारियों से भी की जा चुकी है पर मैडम की हनक ऐसी है कि कोई भी अधिकारी उन पर हाथ नहीं डालता। ऊंची पहुंच और नेतागिरी के कारण कोई भी अफसर मैडम की दबंगई को कंट्रोल नहीं कर पाया है। वह वर्षों से कार्यालय में अपनी धौंस जमाए हैं और यात्री उनसे परेशान हैं।
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कर्मचारियों की संख्या की दृष्टि से रेलवे सबसे बड़े विभागों में शुमार है। यह ऐसा विभाग है जिसका वास्ता लगभग सभी लोगों से पड़ता रहता है। शायद ही ऐसा कोई परिवार होगा जिसके सदस्य ने ट्रेन का सफर न किया हो। सफर के लिए ट्रेन में सीट की मारामारी होती है। यही कारण है कि बड़ी संख्या में यात्री आरक्षित श्रेणी में सफर करते हैं। सीट आरक्षित कराने के लिए रेलवे स्टेशन पर बने मुख्य आरक्षण कार्यालय पर यात्रियों की हमेशा ही भीड़ लगी रहती है। कई बार एक-एक सीट के लिए यात्री जूझते नज़र आते हैं पर टिकिट काउंटर पर शीशे के उस पार बैठे कर्मचारियों द्वारा जब बुरा बर्ताव किया जाता है तो यात्रियों का भड़कना जायज है।
पिछले काफी समय से कार्यालय की एक महिला कर्मचारी (आरक्षण सुपरवाइजर-2) की दबंगई की खबरें आ रही हैं। कोरोना काल में जब रेलवे ने दोबारा ट्रेनों में आरक्षण के लिए काउंटर खोलने के निर्देश दिए तो फिर इस महिला कर्मचारी पर यात्रियों से झगड़ने के आरोप लगे। आरक्षण काउंटर पर अपना रिफंड वापस लेने आए दीपक कुमार का आरोप है कि जब उन्होंने अपना टिकट निरस्त करके पैसा वापस मांगा तो मैडम उन पर भड़क गई। उसने भला-बुरा कहना शुरू कर दिया। पैसे वापसी के लिए इंतजार करने को कह कर घण्टों इंतजार कराया। इसी प्रकार नीरज सिंह ने भी एक महिला कर्मचारी पर यात्रियों से अभद्र व्यवहार करने के आरोप लगाए। कोरोना काल के पूर्व जब ट्रेन की आरक्षित टिकट के लिए यात्रियों में होड़ मची रहती थी तब भी इस महिला कर्मचारी के आए दिन यात्रियों से झगड़े होते थे। कई बार तो मामले गम्भीर रूप लेने की स्थिति में पहुंच गए थे।
दलालों से सांठगांठ के आरोप
रेलवे आरक्षण काउंटर पर दलालों का बड़ा गिरोह लम्बे अरसे से सक्रिय रहा। इन दलालों की सांठगांठ बुकिंग करने वाले कर्मचारियों से होती है। यही कारण है कि आम नागरिक लाइन में लगा रहता है और उसे कन्फर्म टिकट नहीं मिलता किन्तु दलालों को झट से कन्फर्म टिकट दे दिया जाता है। कई बार जब घण्टों लाइन में लगे आम लोगों का सब्र जवाब दे जाता है और वे कर्मचारियों के विरुद्ध आवाज़ उठाते हैं तो यही दलाल ऐसे कर्मचारियों के पैरोकार बनकर खड़े हो जाते हैं। आरक्षण कार्यालय में तैनात एक महिला कर्मचारी पर दलालों से सांठगांठ के भी आरोप लगे पर उसे विभाग ने ठंडे बस्ते में डाल दिया।
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रेलवे अधिकारी नहीं करते कार्रवाई
किसी भी कर्मचारी के खिलाफ शिकायत मिलने पर उसकी जांच कर दोषी के विरुद्ध उचित विभागीय कार्रवाई की जानी चाहिए पर आरक्षण कार्यालय में तैनात मैडम के विरुद्ध तमाम शिकायतों का कोई संज्ञान नहीं लिया गया। सूत्रों का कहना है कि मैडम के पति का रेलवे विभाग में काफी प्रभाव है इसलिए अधिकारी उन पर कार्रवाई से बचते हैं।
साथ ही रेलवे यूनियन में भी मैडम की पैठ है। लेकिन यहाँ सवाल यह उठता है कि क्या किसी कर्मचारी को आम नागरिकों से बदतमीजी करने, झगड़ने का लाइसेंस सिर्फ इसलिए मिल जाएगा क्योंकि वह बहुत प्रभावशाली है? अधिकारियों को ऐसे कर्मचारियों को तत्काल कार्यालय से स्थानांतरित कर देना चाहिए।
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